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Written By WD Feature Desk
Last Updated : सोमवार, 17 फ़रवरी 2025 (14:18 IST)

भूकंप से हो जाएगी धरती तबाह, अभी संभलना जरूरी वर्ना...

Earthquake| भूकंप से हो जाएगी धरती तबाह, अभी संभलना जरूरी वर्ना...
Earthquake prediction: हाल ही में दिल्ली सहित दुनियाभर में भूकंप के 8 झटके आए हैं। भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चंद्र और सूर्य ग्रहण का भूकंप से कनेक्शन रहता है और ग्रह-नक्षत्रों की चाल के अनुसार भी धरती पर भूकंप आते हैं। इसके अलावा धरती अपने ध्रुव पर तेजी से घूम रही है जिसके कारण धरती के भीतर की टेक्टोनिक प्लेटें एक निश्चित समय पर सरकती है और टूटी हुई प्लेटें आपस में टकराती हैं जिसके कारण भी भूकंप आते हैं। हालांकि हम इन कारणों से आने वाले भूकंप की चर्चा नहीं कर रहे हैं, हम बात कर रहे हैं मानव जनित गतिविधियों के कारण आने वाले भूकंप की। आपने 2012 मूवी देखी होगी.....हो सकता है कि भविष्य में यही होने वाला है।ALSO READ: तिब्बत से लेकर दिल्ली, बिहार, राजस्थान तक 13 घंटों में भूकंप के 8 से ज्यादा झटके
 
  1. जमीन के अंदर की चट्टानें अचानक टूटने से भूकंप आता है।
  2. भूमि के भीतर टेक्टोनिक प्लेटों के हिलने से भूकंप आता है।
  3. भूमि कटाव, अवसादन, या हिमनद पिघलने जैसी चीजों से भूकंप आता है।
  4. जब किसी निश्चित क्षेत्र पर भार हटा दिया जाता है, तो यह जमीन को उछाल सकता है और इससे भूकंप पैदा हो सकता है।
  5. अत्यधिक खनन और बढ़ते तापमान के चलते भी भूकंप आता है।
  6. चंद्रमा और धरती के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण भी भूकंप आता है।
  7. ज्वालामुखी के फटने, भूस्खलन, खदानों में विस्फोट, परमाणु परीक्षणों की वजह से भी भूकंप आते हैं।
1. परमाणु विस्फोट : कई देश पूर्व में परमाणु टेस्ट कर चुके हैं। इसके लिए धरती के भीतर गहराई तक एक गड्डा खोदा जाता है और वहां पर परमाणु बम फीट करके उसकी तीव्रता का टेस्ट किया जाता है। इस विस्फोट के चलते धरती के भीतर की प्लैटों में भी कंपन होता है और इसकी के चलते उनके दरकने और सरकने की गति में तीव्रता आती है। भूमिगत परमाणु परीक्षण भविष्य में भूकंपों को जन्म देता है। 
 
2. खनन से खोखली होती धरती : धरती को कई किलोमीटर भीतर तक खोद दिया गया है। हीरा, पन्ना, तेल, कोयला, बॉक्साइड, यूरेनियम, कार्बन, तांबा, सल्फ़र, सोना, संगमरमर, ग्रेनाइड, ग्रेफाइट आदि कई खनीजों के लिए धरती को छलनी कर दिया गया है। धरती अब भीतर से खोखली होने लगी है। उनकी उपरी परत के टूटने का खतरा बड़ गया है इसी के साथ यह स्थिति आने वाले समय में भूकंपों की संख्‍या को बढ़ा देने वाली है।ALSO READ: ग्रहण और भूकम्प का क्या कनेक्शन है?
 
खनन 5 जगहों पर हो रहा है- 1. नदी के पास खनन, 2. पहाड़ की कटाई, 3. खनिज, धातु, हीरा क्षेत्रों में खनन, 4. समुद्री इलाकों में खनन और 5. पानी के लिए धरती के हर क्षेत्र में किए जा रहे बोरिंग। रेत, गिट्टी, खनिज पदार्थों, हीरा, कोयला, तेल, पेट्रोल, धातु और पानी के लिए संपूर्ण धरती को ही खोद दिया गया है। कहीं हजार फीट तो कहीं 5 हजार फीट नीचे से पानी निकाला जा रहा है। खोखली भूमि भविष्य में जब तेजी से दरकने लगेगी तब मानव के लिए इस स्थिति को रोकना मुश्‍किल हो जाएगा।
Earthquake
3. कटते वृक्ष से घटता ऑक्सीजन बढ़ाएगा धरती का तापमान: ब्राजील, अफ्रीका, भारत, चीन, रशिया और अमेरिका के वन और वर्षा वनों को तेजी से काटा जा रहा है। वायुमंडल से कार्बन डाई ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड, सीएफसी जैसी जहरीली गैसों को सोखकर धरती पर रह रहे असंख्य जीवधारियों को प्राणवायु अर्थात 'ऑक्सीजन' देने वाले जंगल आज खुद अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं। जंगल हैं तो पशु-पक्षी हैं, जीव-जंतु और अन्य प्रजातियां हैं। कई पशु-पक्षी, जीव और जंतु लुप्त हो चुके हैं। पेड़ों की भी कई दुर्लभ प्रजातियां और वनस्पतियां लुप्त हो चुकी हैं। इस सबके चलते धरती का तापमान भी धीरे धीरे बढ़ने लगा है। कई प्रेक्षणों से पता चला है कि भूकंप से पहले सतह और सतह के आस-पास का तापमान 3-5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता है। इसके उलट धरती के क्षेत्र विशेष पर तापमान बढ़ने से भी भूकंप आता है। दुनियाभर में गर्मी के दिनों में भूकंप का खतरा ज्यादा बना रहता है. अक्सर इन दिनों में भूकंप के झटके ज्यादा महसूस किए गए हैं।ALSO READ: 2025 predictions: बाबा वेंगा की 3 डराने वाली भविष्यवाणी हो रही है वायरल
 
4. नदी पर बने बांध, नर्मदा पर बना बांध सबसे खतरनाक : नदियों की स्वाभाविक गति को बिजली उत्पादन के लिए रोकना एक ओर जहां जलचर जीव जंतुओं के जीवन को नष्ट करना है तो दूसरी ओर कई दुर्लभ वनस्पतियों और जंगलों को भी नष्ट करना है। इसके साथ ही जब अत्यधिक माता में जल अस्वाभाविक रूप से एक ही जगह एक‍त्रित होकर धरती के क्षेत्र विशेष पर दबाव बनाता है तो संचित जल का कुछ हिस्सा धरती में भीतर तक समाकर कई चट्टानों पर भी दबाव बनाता है। धरती के भीतर चट्टानों को संभालने के लिए जल की जरूरत है परंतु अत्यधिक मात्रा में गया जल चट्टानों को तोड़ता है। 
 
नदी पर बांध बनने से पृथ्वी की पपड़ी में दबाव और तनाव आता है, जिससे भूकंप आने का खतरा रहता है। भूकंप आने के कारण बांध क्षतिग्रस्त हो सकता है और बाढ़ आ सकती है। बांधों के कारण भूकंप आने की घटना को जलाशय-प्रेरित भूकंपीयता (आरआईएस) कहते हैं। बांधों के निर्माण से जमीन में सूक्ष्म दरारें और दरारों में अतिरिक्त पानी का दबाव पैदा होता है। हिंदू पुराणों में लिखा है कि नर्मदा नदी को यदि रोका गया तो इसका पानी पाताल में समाकर सैंकड़ों भूकंप की रचना करेगा और भविष्य में भारत के दो टूकड़े हो सकते हैं, क्योंकि यह नदी और विध्यांचल की पहाड़ियां भारत को दो हिस्सों बांटती है। 
महा भूकंप की भविष्यवाणी: धरती पर 30 से 35 तक की संख्या में रोज 2.3 की तीव्रता वाले भूकंप आते रहते हैं। बीच में कोई 6.5 की तीव्रता वाला भूकंप आता है तब धरती के हिलने का आभास होता है परंतु यदि जब 9.5 की तीव्रता वाला भूकंप आता है तो तबाही मच जाती है। कई भविष्यवक्ता और वैज्ञानिक इस बात की आशंका व्यक्त कर रहे हैं कि धरती पर बहुत बड़ा भूकंप आने वाला है जो बहुत ही विनाशकारी साबित होगा। इस वक्त सूर्य पर गतिविधियां बढ़ गई है जिसका सभी ग्रहों के साथ ही धरती पर भी हो रहा है। धरती की मैग्नेटिक शक्ति और धरती के एकदम भीतर की थर्मल शक्तियां, सब कुछ इन सौर ज्वालाओं से प्रभावित हो रहा है। ऐसे में कई भविष्यवक्ता भी भविष्यवाणी कर रहे हैं कि धरती पर बड़ा भूकंप आ सकता है। वर्ष 2024-25 में बृहस्प‍ित, राहु, मंगल, शनि और सूर्य के कारण दुनियाभर में प्राकृतिक प्रकोप बढ़ सकते हैं। तूफान, चक्रवात, भूकंप और बाढ़ से लोगों को बचना होगा। इस बार भूकंप और चक्रवात के कारण जान माल के नुकसान की ज्यादा आशंका व्यक्त की जा रही है।ALSO READ: सच हुई अमृता फडणवीस की भविष्यवाणी, मौसम भी बदला, देवेन्द्र की भी CM के रूप में वापसी