रासायनिक हथियारों से रक्षा करेगा 'सूट'
रासायनिक युद्ध की स्थिति में अब देश के सैनिकों का कुछ भी नहीं बिगड़ पाएगा। कानपुर के रक्षा सामग्री भंडार अनुसंधान विकास संस्थान (डीएमएसआरडीई) ने एक ऐसा परमाणु जैविक और रासायानिक (एनबीसी) सूट तैयार किया है जिस पर रासायनिक युद्ध की सूरत में किसी भी तरह के खतरनाक रसायन या हथियारों का असर नहीं होगा।डीएमएसआरडीई ने इस सूट का नाम ‘एनबीसी’ रखा है। हालांकि अभी यह रासायनिक हथियारों का मुकाबला करने में ही सक्षम है और इसे परमाणु तथा जैविक हथियारों के लिए तैयार करने पर अनुसंधान कार्य चल रहा है।संस्थान के सूत्रों के अनुसार जैविक हथियारों से निपटने वाला सूट 2013 तक तैयार हो जाएगा लेकिन परमाणु युद्ध से निपटने वाले सूट की तैयारी में थोड़ा समय लगेगा। इसका अनुसंधान कार्य अभी प्रारंभिक चरण में है।डीएमएसआरडीई के निदेशक डॉ. अरविन्द कुमार सक्सेना ने कहा कि पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर आधारित एनबीसी सूट को तैयार करने में संस्थान के रक्षा वैज्ञानिक काफी समय से लगे थे। अब इसका निर्माण पूरा हो गया है। इसे सेना के कानपुर आयुध पैराशूट कारखाने में तैयार कर इस पर परीक्षण भी कर लिए गए हैं, जो पूरी तरह सफल रहे।उन्होंने बताया कि गुणवत्ता की जांच के लिए एनबीसी सूट को पुणे के गुणवत्ता मानक महानिदेशालय भेजा गया जहां से इसे हरी झंडी मिल गई है। गुणवत्ता जांच में इस सूट को किसी भी तरह के रासायनिक युद्ध में सैनिकों के लिए उपयुक्त पाया गया।सक्सेना ने बताया कि इस सूट की एक और खासियत यह होगी कि इसे तीन बार धोया भी जा सकता है। इससे इसकी गुणवत्ता पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने बताया कि सारे परीक्षणों में उपयुक्त पाये जाने के बाद भारतीय सेना ने चालीस हजार एनबीसी सूट बनाने का ऑर्डर आयुध पैराशूट कारखाने को दिया है।सक्सेना ने कहा कि सेना अधिकारियों के पूरी तरह से संतुष्ट होने के बाद डीएमएसआरडीई ने एनबीसी सूट की तकनीक सेना को सौंप दी है। अब यह सूट सेना के आयुध पैराशूट कारखाने में बनेगा और इसकी गुणवत्ता जांच पुणे का गुणवत्ता मानक महानिदेशालय करेगा।उन्होंने बताया कि इस सूट के चार परीक्षण डीएमएसआरडीई की प्रयोगशाला में किए गए और सभी परीक्षण सफल रहे। इसके बाद सेना के अधिकारियों के सामने इसके परीक्षण किए गए जिससे वे पूरी तरह संतुष्ट नजर आए।सक्सेना ने बताया कि इस एक सूट की कीमत करीब तीस हजार रुपए आयेगी जो विदेशी एनबीसी सूटों की तुलना में काफी कम होगी। (भाषा)