बिजली के नंगे तार से जानवरों का शिकार
- रायपुर से सुखनंदन बंजारे
छत्तीसगढ़ के जंगल-पहाड़ में जब से नक्सलियों ने कब्जा जमाया है, तब से परिंदा भी पर मारने के पहले कई बार सोचता है। गोलियों की धांय-धांय और बम के धमाकों से अब कहां जंगल में मंगल ? कभी सिंहनाद से जहां पूरा जंगल थर्रा उठता था, वहां हालत यह है कि खुद सिंह ही दुबका हुआ है। हिरणों की उछल-कूद, बंदरों की कारस्तानियां, हाथियों की चिंघाड़, मोर का थिरकना, कोयल, पहाड़ी मैना समेत विभिन्न पक्षियों की मीठी तान, नदियों की कल-कल, झरनों की झर-झर, हवा की सर-सर। यही तो जंगल का आनंद है। यही देखने के लिए नए साल या अन्य अवसर पर लोग दूर-दूर से यहां आते रहे हैं लेकिन अब पर्यटकों की संख्या लगातार घट रही है। उनका कहना है कि छत्तीसगढ़ के जंगलों में अब वह आकर्षण नहीं रहा। नक्सली खौफ के अलावा वनमाफिया की बुरी नजर वन और वन्यजीवों पर लगी हुई है। अब तो जानवरों को मारने के लिए नए-नए तरीके अपनाए जा रहे हैं। खाल, हड्डी, नाखून, दांत आदि की तस्करी की जा रही है। ये तस्कर अब जंगली जानवरों को जहर देकर और बिजली के नंगे तार फैलाकर उनकी जान ले रहे हैं और जंगल महकमे के अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। यह भी पढ़े - बढ़ती योजनाएँ, घटते टाइगर यहां के जंगलों में वन्य प्राणियों का शिकार धड़ल्ले से चल रहा है। शिकार के लिए पहले गोली-बारूद, जाल या अन्य हथियारों का उपयोग किया जाता था। बायसन, हिरण आदि के शिकार के लिए शिकारी कुत्तों को भी छोड़ा जाता था। इसमें शिकारियों को काफी मेहनत करनी पड़ती थी लेकिन शिकारियों ने अब शिकार करने का तरीका बदल लिया है। अब वे जहर और बिजली का प्रयोग कर रहे हैं। गर्मी में जब जंगल के जल स्रोत सूख जाते हैं और वन्य प्राणी गर्मी से बेहाल पानी के लिए भटकने लगते हैं, तब शिकारियों की बांछें खिल जाती हैं। वे जंगल में किसी छोटे से गड्ढे में पानी भरकर उसमें जहर घोल देते हैं। इसके लिए बहुधा यूरिया खाद का प्रयोग किया जाता है। प्यास बुझाने के लिए वन्य जीव इस जहरीले पानी को पी जाते हैं और वहीं अपने प्राण त्याग देते हैं। जंगल में जब पानी की समस्या नहीं होती तब शिकार के लिए बिजली का प्रयोग किया जाता है। जंगल के आसपास गांवों से गुजरी बिजली लाइन पर हुकिंग कर जंगल में करंट प्रवाहित तारों का जाल फैला दिया जाता है। विचरण करते हुए जंगली पशु इसकी चपेट में आ जाते हैं और मौके पर ही उनकी मौत हो जाती है।
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गोली-बारूद चलाने से तेज आवाज गूंजती है। इससे शिकारियों की करतूतें उजागर होने और पकड़े जाने का खतरा भी बना रहता है। साथ ही अगर निशाना सही लगा तो ठीक वरना हाथ आया शिकार भी हाथ से निकल जाता है। जहर या बिजली करंट से वन्य प्राणियों को सायलेंट मौत मारा जा रहा है। किसी को शिकार होने की भनक तक नहीं लगती है और आसानी से शिकार भी हाथ आ जाता है बल्कि एक बार में एक साथ कई शिकार भी हाथ लग जाते हैं।