जापान की तोशिबा कंपनी ने बर्लिन में "क्वाड फुल एचडी " टेलीविज़न का एक ऐसा मॉडल पेश किया, जिस पर त्रिआयामी तस्वीरों को देखने के लिए किसी विशेष 3D चश्मे की ज़रूरत नहीं पड़ती। इस मॉडल का बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू हो गया है।
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140 सेंटीमीटर बडे और अत्यंत महीन प्रिज़्मों (त्रिपार्श्वों) के बने उसके डिस्प्ले पैनल के सामने बैठे दर्शक को, एक सीमित दायरे के भीतर, सब कुछ त्रिआयामी दिखता है। अधिकतम 9 दर्शक तीसरे आयाम का मज़ा ले सकते हैं, हालाँकि एक से अधिक दर्शक होने पर हर अतिरिक्त दर्शक को तस्वीरों की स्पष्टता घटती नज़र आयेगी।
तोशिबा के इस "क्वाड फुल एचडी " को संक्षेप में 4K HD भी कहा जाता है। 4K इसलिए, क्योंकि उसकी तस्वीरों में 4 हज़ार होरिज़ोंटल (क्षैतिजिक) और 2160 वर्टिकल (लंबवत) चित्रबिंदु (पिक्सल) होते हैं। यानी उसकी हर तस्वीर 4000 x 2160= 86 40 000 बिंदुओं के मेल से बनी होती है।
फुल एचडी से भी चार गुना अधिक सुस्पष्ठता की ज़रूरत इसलिए पड़ रही है, क्योंकि टेलीविज़न सेटों के पर्दे इस बीच उस आकार से कहीं बड़े होने लगे हैं, जिसके लिए 'फुल हाई डेफ़िनिशन' के मानक निर्धारित किये गये थे। इस बीच दो मीटर से भी बड़े आकार वाले डिस्प्ले पैनल बनने लगे हैं, जो कुछ वर्ष पहले तक केवल कल्पना की वस्तु हुआ करते थे।
चित्र का आकर बहुत अधिक अभिवर्धित होने से उसके एकल चित्रबिंदु अलग-अलग दिखाई पड़ने लगते हैं, यानी चित्र दानेदार लगने लगता है। इस समस्या का हल केवल चित्रबिंदुओं की संख्या को बढ़ा कर ही मिल सकता था। स्वयं 'हाई डेफ़िनिशन' (उच्च उद्भासन) की अवधारणा भी इसी समस्या के कारण पैदा हुई थी। तोशिबा के क्वाड एचडी टीवी का पैनल 2.20 मीटर (90 इंच) विकर्ण (डाइगॉनल) वाला है। मूल्य है क़रीब 8 हज़ार यूरो (लगभग 5,35,000 रू.)। फ़िलहाल 4K उद्भासन वाला न तो कोई टेलीविज़न प्रसारण होता है और न डीवीडी या ब्लू-रे डिस्क ही उपलब्ध है। हो सकता है कि बर्लिन की अगली "ईफ़ा" प्रदर्शनी तक यह कमी भी न रह जाए।