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Last Updated : बुधवार, 1 अक्टूबर 2014 (19:32 IST)

अंधकार से मस्तिष्क का आकार बढ़ता है

विज्ञान समाचार

अंधकार से मस्तिष्क का आकार बढ़ता है -
ब्रिटेन में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के नृवंशशास्त्रियों (एंथ्रोपोलॉजिस्ट) के एक दल का कहना है कि हमारे मस्तिष्क का आकार इस बात पर भी निर्भर करता है कि हम जहां रहते हैं, वहां सूर्यप्रकाश कितना कम या अधिक पहुंचता है। इसके लिए उन्होंने विश्व के अलग अलग भौगोलिक क्षेत्रों के 12 प्रकार के निवासियों के कपालों (खोपड़ियों) को नापा

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उनके कहने के अनुसार, उन्होंने पाया कि जो लोग यूरोप या एशिया महाद्वीप के जितना ही धुर उत्तर में रहते हैं, उनके मस्तिष्क का आकार (घनफल) उन लोगों की तुलना में उतना ही अधिक होता है, जो भूमध्यरेखा के जितना पास रहते हैं। भूमध्यरेखा से दूर हटने वाली अक्षांश रेखाओं के साथ ही लोगों की आंखों का आकार भी बड़ा होता जाता है।

इस अवलोकन की व्याख्या करते हुए इन वैज्ञानिकों का कहना है कि इसका कारण यही होना चाहिए कि धुर उत्तर के देशों में कहीं लंबे समय तक अंधेरा रहता है और दिन के समय की रोशनी भी उतनी प्रखर नहीं होती, जितनी भूमध्यरेखा के पास होती है। इसलिए वहां के निवासियों की आंखें इस कमी को किसी हद तक पूरा करने के लिए समय के साथ बड़ी होती गई हैं।

आंखों के साथ धुर उत्तर के निवासियों के मस्तिष्क का दृष्टिकेंद्र भी बड़ा होता गाया और शायद उसे जगह देने के लिए पूरे मस्तिष्क का आकार भी अपेक्षाकृत बड़ा हो गया है। इन ब्रिटिश वैज्ञानिकों का मानना है कि प्रकाश की मात्रा और आंख तथा मस्तिष्क के आकार के बीच यह विकासवादी संयोजन पिछले केवल कुछेक हजार वर्षों में ही हुआ है।