दुनिया भर में बायोटेक्नोलॉजी का जादू सिर पर चढ़कर बोल रहा है। जानवरों से इनसानों तक की क्लोनिंग के दावे, अधिक उपजाऊ नई रोगरोधी विभिन्न फसलों की किस्में, स्टेम सेल का उपयोग, जीनियागिरी से पीढ़ियों से चले आ रहे आनुवंशिक रोगों का अगली पीढ़ी में सफाया, क्लीनिकल रिसर्च जैसी कामयाबी बायोटेक्नोलॉजी से मिली हैं। बायोटेक्नोलॉजी बुनियादी रूप से रिसर्च आधारित एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें बायोलॉजी और टेक्नोलॉजी का कॉर्डिनेशन देखा जा सकता है। इसके अंतर्गत कई अन्य विषयों का भी सहज और स्वाभाविक उपयोग निहित है। इन विषयों में बायोकेमिस्ट्री, जेनिटिक्स, माइक्रोबायोलॉजी, केमिस्ट्री, वायरोलॉजी तथा इंजीनियरिंग को खासतौर से शुमार किया जा सकता है।हाल के वर्षों में बायोटेक्नोलॉजी का जिस तेजी से विकास हुआ है उसे समझने के लिए यही जानकारी पर्याप्त है कि जहाँ वर्ष 1978 में मात्र एक बायोटेक्नोलॉजी कंपनी काम करती थी आज उनकी संख्या बढ़कर हजारों तक पहुंच गई है। बायोटेक्नोलॉजी की बदौलत विभिन्न क्षेत्रों में आज बड़ी संख्या में ट्रेंड युवा काम कर रहे हैं। इनमें हैल्थ एंड मेडिसिन, क्रॉपिंग सिस्टम एवं क्रॉप मेनेजमेंट, एग्रीकल्चर मृदा विज्ञान, इकोलॉजी, बायोस्टेटिक्स, सेल बायोलॉजी, सीड टेक्नोलॉजी, प्लांट फिजियोलॉजी मुख्य हैं। इनके रिसर्च का मकसद वैक्सिन का विकास करना, रोगनाशक दवाओं को तैयार करना, डायग्नोस्टिक की नई तकनीकें विकसित करना इत्यादि है।देश भर कई इंस्टिट्यूट हैं, जो बायोटेकनोलॉजी में डिप्लोमा और डिग्री कोर्स करवाती हैं। उनमें से प्रमुख इंस्टिट्यूशंस हैं-
ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, नई दिल्ली
अमरावति यूनीवर्सिटी, अमरावती
बोस इंस्टिट्यूट, कोलकाता
सेंटर ऑफ बायोटेक्नोलॉजी, अन्ना यूनीवर्सिटी, चेन्नई
सेंटर ऑफ बायोटेक्नोलॉजी, पोंडिचरी यूनीवर्सिटी, पोंडिचरी
डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी, देवी अहिल्या यूनीवर्सिटी, इंदौर
सेंटर ऑफ बायोटेक्नोलॉजी, पोंडिचरी यूनीवर्सिटी, पोंडिचरी
डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी, गुरुनानक देव यूनीवर्सिटी, अमृतसर, पंजाब
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, नई दिल्ली
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, खड़गपुर
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मुंबई
जवाहर लाल नेहरु यूनीवर्सिटी, नई दिल्ली
यूनीवर्सिटी ऑफ हैदराबाद, हैदराबाद