कलकत्ता विश्वविद्यालय- भारत के विकास का गवाह
कलकत्ता विश्वविद्यालय की स्थापना 1857 में हुई थी। ब्रिटिश राज्य में स्थापित इस विश्वविद्यालय को दुनिया के सबसे पुराने आधुनिक विश्वविद्यालयों में से एक माना जाता है। भारत में सर्वाधिक नोबल विजेता तैयार करने का श्रेय भी कलकत्ता विश्वविद्यालय को जाता है। कलकत्ता विश्वविद्यालय ने बनते बिगड़ते भारत को करीब से देखा है। यह भारत के विकास का गवाह भी रहा है। रोनाल्ड रॉस, रवीन्द्रनाथ टैगोर, सीवी रमन और अमर्त्य सेन जैसी प्रसिद्ध हस्तियों के नाम भी इस विश्वविद्यालय से जुड़े हुए हैं। बंकिमचन्द्र चटर्जी और जुद्दोनाथ बोस जैसे नामी लोग यहां से ग्रेजुएट हुए हैं। कलकत्ता विश्वविद्यालय देश का एकमात्र विश्वविद्यालय जो संयुक्त राष्ट्र के एकेडमिक इंपेक्ट प्रोग्राम के तहत आने वाले दुनिया के 10 विश्वविद्यालयों में शामिल है। इस विश्वविद्यालय नेशनल असेसमेंट एंड एक्रिडिटेशन काउंसिल से 'ए' ग्रेड मान्यता मिल चुकी है। सरकारी छात्रवृत्ति के साथ पीएचडी अध्ययन के लिए नेट परीक्षा में टॉप रैंक हासिल करने वाले सबसे अधिक छात्र कोलकाता विश्वविद्यालय से हैं। कोलकाता विश्वविद्यालय ने खुद अध्ययन के पारंपरिक क्षेत्रों के ठिकाने की बजाय अधिक वैश्विक और आधुनिक संस्थान के रूप में बदला है। सेंटर फॉर रिसर्च इन नैनो साइंस एंड नैनो टेक्नोलॉजी जैसे बेसिक और एडवांस्ड साइटोमेट्री में शॉर्ट टर्म कोर्स कलकत्ता यूनिवर्सिटी द्वारा कराए जाते हैं। नैनो टेक्नोलॉजी के लिए सेंटर भी कलकत्ता विश्वविद्यालय में स्थापित है। कलकत्ता विश्वविद्यालय में करीब 636 फैकेल्टी सदस्य हैं। इसके अंतर्गत 14 कॉलेज आते हैं। 343 कोर्सेस कलकत्ता विश्वविद्यालय द्वारा संचालित हैं। कलकत्ता विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी में 2011 में 40000 हजार पुस्तकें शामिल की गई थीं। नेत्रहीनों के लिए आधुनिक ऑडियो सह लाइब्रेरी सह स्टूडियो यहां स्थापित हैं।