• Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. »
  3. नन्ही दुनिया
  4. »
  5. कहानी
  6. वेताल पच्चीसी की रोचक कहानियां : बीसवीं कहानी
Written By WD

वेताल पच्चीसी की रोचक कहानियां : बीसवीं कहानी

विक्रम वेताल की कहानी
चित्रकूट नगर में एक राजा रहता था। एक दिन वह शिकार खेलने जंगल में गया।

घूमते-घूमते वह रास्ता भूल गया और अकेला रह गया। थक कर वह एक पेड़ की छाया में लेटा कि उसे एक ऋषि-कन्या दिखाई दी

उसे देखकर राजा उस पर मोहित हो गया।

ऋषि ने पूछा आने का कारण...


FILE

थोड़ी देर में ऋषि स्वयं आ गए।
ऋषि ने पूछा, 'तुम यहां कैसे आए हो?' राजा ने कहा, 'मैं शिकार खेलने आया हूं।
ऋषि बोले, 'बेटा, तुम क्यों जीवों को मार कर पाप कमाते हो?'

राजा ने मांग ‍लिया मनचाहा वर...


FILE


राजा ने वादा किया कि मैं अब कभी शिकार नहीं खेलूंगा।
खुश होकर ऋषि ने कहा, 'तुम्हें जो मांगना हो, मांग लो।'
राजा ने ऋषि-कन्या मांगी और ऋषि ने खुश होकर दोनों का विवाह कर दिया।

जब राजा का हुआ राक्षस से सामना...


FILE


राजा जब उसे लेकर चला तो रास्ते में एक भयंकर राक्षस मिला। बोला, 'मैं तुम्हारी रानी को खाऊंगा।
अगर चाहते हो कि वह बच जाए तो सात दिन के भीतर एक ऐसे ब्राह्मण-पुत्र का बलिदान करो, जो अपनी इच्छा से अपने को दे और उसके माता-पिता उसे मारते समय उसके हाथ-पैर पकड़ें।'

राजा क्यों डर गया....


FILE

डर के मारे राजा ने उसकी बात मान ली। वह अपने नगर को लौटा और अपने दीवान को सब हाल कह सुनाया।

दीवान ने कहा, 'आप परेशान न हों, मैं उपाय करता हूं।'

दीवान ने निकाला समस्या का हल...


FILE


इसके बाद दीवान ने सात बरस के बालक की सोने की मूर्ति बनवाई और उसे कीमती गहने पहना कर नगर-नगर और गांव-गांव घुमवाया।

यह कहलवा दिया कि जो कोई सात बरस का ब्राह्मण का बालक अपने को बलिदान के लिए देगा और बलिदान के समय उसके मां-बाप उसके हाथ-पैर पकड़ेंगे, उसी को यह मूर्ति और सौ गांव मिलेंगे।

अपनी जाने देने को ब्राह्मण बालक हुआ तैयार...


FILE


यह खबर सुनकर एक ब्राह्मण-बालक राजी हो गया, उसने मां-बाप से कहा, 'आपको बहुत-से पुत्र मिल जाएंगे। मेरे शरीर से राजा की भलाई होगी और आपकी गरीबी मिट जाएगी।'
मां-बाप ने मना किया, पर बालक ने हठ करके उन्हें राजी कर लिया।

मृत्यु को सामने देखकर क्यों हंस पड़ा ब्राह्मण बालक....


FILE


मां-बाप बालक को लेकर राजा के पास गए। राजा उन्हें लेकर राक्षस के पास गया। राक्षस के सामने मां-बाप ने बालक के हाथ-पैर पकड़े और राजा उसे तलवार से मारने को हुआ।

उसी समय बालक बड़े जोर से हंस पड़ा।

राजा ने दिया सही उत्तर...


FILE

इतना कहकर बेताल बोला, 'हे राजन्, यह बताओ कि वह बालक क्यों हंसा?'

राजा ने फौरन उत्तर दिया, 'इसलिए कि डर के समय हर आदमी रक्षा के लिए अपने मां-बाप को पुकारता है। माता-पिता न हो तो पीड़ितों की मदद राजा करता है। राजा न कर सके तो आदमी देवता को याद करता है। पर यहां तो कोई भी बालक के साथ न था।

शेष भाग आगे पढ़ें...


FILE


मां-बाप हाथ पकड़े हुए थे, राजा तलवार लिए खड़ा था और राक्षस भक्षक हो रहा था। ब्राह्मण का लड़का परोपकार के लिए अपना शरीर दे रहा था। इसी हर्ष से और अचरज से वह हंसा।'

इतना सुनकर वेताल अंतर्ध्यान हो गया और राजा लौटकर फिर उसे ले आया। रास्ते में बेताल ने फिर नई कहानी शुरू कर दी।
(समाप्त)