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Written By WD Feature Desk
Last Updated : सोमवार, 2 जून 2025 (15:45 IST)

ऑपरेशन सिन्दूर पर निबंध: आतंकवाद के खिलाफ भारत का अडिग संकल्प, देश के माथे पर जीत का तिलक

operation sindoor essay competition
Essay on Operation Sindoor: 22 अप्रैल 2025 का दिन, पहलगाम की शांत वादियां चीख उठीं। यह वो दिन था जब मानवता का खून बहाया गया, धर्म पूछकर कपड़े उतरवाए गए, और कलमा पढ़ने के लिए मजबूर किया गया। ये तारीख कोई भी भारतवासी कभी नहीं भूलेगा जब इस आतंकियों ने निर्दोष पर्यटकों को निशाना बनाया गया, जिनमें कई नवविवाहित जोड़े भी शामिल थे। 26 बेगुनाह लोगों की मौत ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। यह 2008 के मुंबई हमलों के बाद हमारे नागरिकों पर सबसे घातक आतंकी हमलों में से एक था। आतंकवादियों ने इस बर्बरता को अंजाम देकर यह संदेश देने की कोशिश की थी कि वे भारत में अराजकता फैला सकते हैं, कि वे हमारे शांत पर्यटन स्थलों को भी रक्तपात से रंग सकते हैं। लेकिन उन्हें शायद यह नहीं पता था कि यह नया भारत है, जो अपने घावों को भरने के साथ-साथ बदला लेने की क्षमता भी रखता है, और अपने दुश्मनों को उनकी ही भाषा में जवाब देता है।

इस हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया, लेकिन इसी हमले के दर्द को हिम्मत में बदल दिया भारत ने जिन माता और बहनों के सिन्दूर को उजाड़ने की दुश्मन ने साजिश की उसी सिन्दूर की सौगंध लेकर, उसी सिन्दूर के लाल रंग को अपना साहस बनाया और जैसे रण चंडी दुष्टों के रक्त से अत्याचार को खत्म करती है उसी तरह सिन्दूर का बदला दुश्मन की जमीन पर उन्हीं के खून से लिया। आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर खड़े होने की इसी ऊर्जा का परिणाम था "ऑपरेशन सिन्दूर", जिसने दुश्मन की करतूतों का मुंहतोड़ जवाब दिया और आतंकवाद को भारत का सीधा संदेश दिया कि वह अब और बर्दाश्त नहीं करेगा।

पहलगाम हमला: मानवता पर कायराना वार
पहलगाम हमला सिर्फ एक आतंकवादी घटना नहीं थी, यह मानवता के मूल्यों पर एक नंगा नाच था। आतंकियों ने अपनी बर्बरता की सभी हदें पार कर दीं। उन्होंने न केवल निर्दोष लोगों की जान ली, बल्कि उन्हें धार्मिक आधार पर निशाना बनाया। धर्म पूछकर निर्दोष पर्यटकों के कपड़े उतरवाना और कलमा पढ़ने के लिए मजबूर करना, यह दर्शाता है कि यह हमला सिर्फ आतंक फैलाने के लिए नहीं था, बल्कि भारत की धर्मनिरपेक्षता और एकता को तोड़ने का एक सुनियोजित प्रयास था। हमले में 26 मासूम और निर्दोष लोग मारे गए। इस हमले ने देश के हर नागरिक के दिल में एक गहरा घाव छोड़ दिया।

ऑपरेशन सिन्दूर: संकल्प का सिन्दूर
पहलगाम हमले के बाद, देश में आक्रोश और दुख की लहर दौड़ गई। प्रधानमंत्री ने एक उच्च-स्तरीय बैठक बुलाई, जिसमें तीनों सेनाओं के प्रमुखों और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों ने भाग लिया। इस बैठक में ही "ऑपरेशन सिन्दूर" की नींव रखी गई। इस ऑपरेशन का नाम "सिन्दूर" इसलिए रखा गया क्योंकि यह सिर्फ एक सैन्य अभियान नहीं था, बल्कि यह भारत की उन बेटियों के सिन्दूर का प्रतीक था जिनके सुहाग उस दिन आतंकवादियों ने छीन लिए। यह संकल्प का सिन्दूर था कि अब आतंकवाद की हर साजिश का अंत किया जाएगा। पहलगाम हमले के बाद, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट निर्देश दिए कि इस हमले के दोषियों को बिना सजा के नहीं छोड़ा जाएगा। भारत के रक्षा मंत्रालय और शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों ने मिलकर एक सुनियोजित और सटीक जवाबी कार्रवाई की रूपरेखा तैयार की, जिसे नाम दिया गया "ऑपरेशन सिन्दूर"। यह नाम उन नवविवाहिताओं को ध्यान में रख कर चुना गया था जिनका सिन्दूर आतंकियों ने उजाड़ा था, जो बताता है कि भारत अपने हर बलिदान को याद रखता है।

ऑपरेशन सिन्दूर: रणनीति और तैयारी
ऑपरेशन सिन्दूर एक बहुत ही जटिल और बहुआयामी ऑपरेशन था। इसमें सिर्फ सैन्य कार्रवाई ही नहीं, बल्कि खुफिया जानकारी जुटाना, कूटनीतिक दबाव बनाना और मनोवैज्ञानिक युद्ध भी शामिल था। सबसे पहले, भारतीय खुफिया एजेंसियों ने हमले में शामिल आतंकवादियों और उनके ठिकानों के बारे में सटीक जानकारी जुटाई। ड्रोन, सैटेलाइट इमेजरी और मानव खुफिया के माध्यम से आतंकियों के हर कदम पर नज़र रखी गई।
इसके बाद, तीनों सेनाओं – भारतीय सेना, भारतीय वायुसेना और भारतीय नौसेना – ने मिलकर एक संयुक्त रणनीति तैयार की। सेना के विशेष बल, जैसे कि पैरा कमांडो, को आतंकियों के ठिकानों पर जमीनी कार्रवाई के लिए तैयार किया गया। वायुसेना ने हवाई हमले की योजना बनाई, जिसमें राफेल जैसे उन्नत लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया जाना था।

हथियारों और उपकरणों की तैयारी भी पूरी मुस्तैदी से की गई। आतंकियों के ठिकानों को तबाह करने के लिए लेज़र-गाइडेड बम, सटीक मारक मिसाइलें और रॉकेट लॉन्चर तैयार किए गए। आधुनिक संचार प्रणालियों और निगरानी उपकरणों का भी बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया ताकि ऑपरेशन के दौरान सटीक जानकारी और समन्वय सुनिश्चित किया जा सके।

कैसे दिया दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब
ऑपरेशन सिन्दूर 6-7 मई की आधी रात के बाद शुरू हुआ। यह कार्रवाई 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जवाब थी।। भारत ने पाकिस्तान और पीओके में नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया।। आधी रात के घने अंधेरे में, भारतीय वायुसेना के जांबाज लड़ाकू विमानों ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकवादियों के ठिकानों पर हवाई हमले किए। ये हमले इतने सटीक और विनाशकारी थे कि आतंकियों को संभलने का मौका भी नहीं मिला। उनके कई प्रशिक्षण शिविर, लॉन्च पैड और गोला-बारूद के डिपो पूरी तरह से तबाह हो गए। इस ऑपरेशन में कई शीर्ष आतंकवादी कमांडर भी मारे गए। इसमें लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों के मुख्यालय और प्रशिक्षण शिविर शामिल थे।

ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सेना ने पाकिस्तान में जमकर तबाही मचाई। भारत ने कुशल रण नीति के तहत पाकिस्तान और PoK में मौजूद 9 आतंकी ठिकानों को तबाह किया और फिर पाक सेना पर जवाबी कार्रवाई करते हुए 11 एयरबेस को भी कुचल डाला। इस लिस्ट में पाकिस्तान की 4 आतंकी अड्डों (बहावलपुर, मुर्दिके, सरजाल और मेहमूना जोया) और PoK के 5 आतंकी अड्डों (सवाई नाला, मुजफ्फराबाद, सैयदना बिलाल, गुलपुर, कोटली, बरनाला, भीमबर और अब्बास) के नाम शामिल हैं। 
 
आतंक की नर्सरी कहे जाने वाला मुर्दिके पाकिस्तान का बड़ा कमर्शियल हब माना जाता है। और यहीं लश्कर-ए-तैयबा का मुख्यालय भी मौजूद है। 200 एकड़ में फैले इस मुख्यालय में आतंकियों के ट्रेनिंग कैंप चलाए जाते हैं। पाकिस्तान के पंजाब में बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद का बेस है। 26/11 आतंकी हमलों का मास्टरमाइंड मसूद अजहर यहीं से अपने नापाक आतंकी मंसूबों को अंजाम दिया करता है।

ऑपरेशन के दौरान, भारतीय सेना ने अत्याधुनिक हथियारों और रणनीति का प्रदर्शन किया। उन्होंने ड्रोन के माध्यम से निगरानी की और वास्तविक समय में जानकारी साझा की, जिससे सटीक कार्रवाई करने में मदद मिली।
ऑपरेशन सिन्दूर के हीरो: रणनीतिकार और शूरवीर
ऑपरेशन सिन्दूर की सफलता सिर्फ सैन्य ताकत का ही परिणाम नहीं थी, बल्कि यह उन रणनीतिकारों और शूरवीरों की असाधारण क्षमता का भी परिणाम थी जिन्होंने इसे अंजाम दिया। इस ऑपरेशन में कई ऐसे गुमनाम नायक थे जिनकी बहादुरी और सूझबूझ ने जीत सुनिश्चित की। 'ऑपरेशन सिन्दूर' की सफलता के पीछे कई दूरदर्शी रणनीतिकारों और निडर शूरवीरों का हाथ था। हालांकि सेना अपने अभियानों में शामिल व्यक्तिगत सैनिकों के नाम गोपनीय रखती है, फिर भी कुछ प्रमुख हस्तियों के योगदान को स्वीकार किया जा सकता है जिन्होंने इस ऑपरेशन की स्क्रिप्ट लिखी:
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल: उन्हें इस ऑपरेशन की कमान सौंपी गई थी। उनके नेतृत्व और रणनीतिक दृष्टिकोण ने इस ऑपरेशन की सफलता में निर्णायक भूमिका निभाई।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान: उन्होंने तीनों सेनाओं के बीच समन्वय स्थापित किया और ऑपरेशन को सही दिशा में चलाया। उनकी भूमिका सैन्य रणनीति में अत्यंत महत्वपूर्ण रही।
थल सेनाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी, एयर मार्शल अमर प्रीत सिंह और नौसेनाध्यक्ष एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी: ये तीनों 1984 NDA बैच के साथी रहे हैं और पहली बार तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने मिलकर इतनी बड़ी और ऐतिहासिक कार्रवाई को अंजाम दिया। यह भारतीय सेना की एकजुटता और पेशेवर क्षमता का अद्वितीय उदाहरण था।
विदेश सचिव विक्रम मिसरी, केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन और जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव अटल डुल्लू: इन प्रशासनिक अधिकारियों ने भी ऑपरेशन के कूटनीतिक और आंतरिक सुरक्षा पहलुओं को संभाला, जो इसकी समग्र सफलता के लिए महत्वपूर्ण थे।
कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह : इस महत्वपूर्ण ऑपरेशन की एक और खास बात थे महिला सेन्य अफसरों की भूमिका। देश की बेटियों के सुहाग को उजाड़ने वालों को देश की बेटियों ने करारा जवाब दिया। ऑपरेशन सिन्दूर का चेहरा बनीं कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह जिन्होंने पकिस्तान के नापाक चेहरे को सबूतों के साथ बेनकाब किया।
सबसे महत्वपूर्ण : वे सभी अज्ञात सैनिक, पायलट और विशेष बल के जवान जिन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर दुश्मन के ठिकानों में घुसकर सटीक हमले किए और सुरक्षित वापस लौटे। ये ही असली नायक हैं, जिनकी बहादुरी और बलिदान पर राष्ट्र हमेशा गर्व करेगा।

किन हथियारों से तबाह किए आतंक के अड्डे
ऑपरेशन सिंदूर में आधुनिक सैन्य हथियारों और तकनीक का प्रभावी ढंग से उपयोग किया गया। आतंकियों के ठिकानों को तबाह करने के लिए न सिर्फ छोटे हथियारों जैसे एके-47, स्नाइपर राइफल, और हैंड ग्रेनेड का इस्तेमाल किया गया, बल्कि उच्च-तकनीकी उपकरणों को भी नियोजित किया गया।
ड्रोन और यूएवी (मानव रहित हवाई वाहन): इनका उपयोग निगरानी, लक्ष्य निर्धारण और यहां तक कि सटीक बमबारी के लिए भी किया गया। दुश्मन की गतिविधियों पर लगातार नज़र रखने और उनकी संचार लाइनों को बाधित करने में ये अत्यंत प्रभावी साबित हुए।
लेजर-गाइडेड मिसाइल और स्मार्ट बम: दुर्गम इलाकों में छिपे बंकरों और ठिकानों को ध्वस्त करने के लिए लेजर-गाइडेड मिसाइलों और स्मार्ट बमों का उपयोग किया गया, जिससे अधिकतम सटीकता और न्यूनतम संपार्श्विक क्षति सुनिश्चित हुई।
विशेष बल के हथियार: एम4 कार्बाइन, टैवोर राइफल, और अत्याधुनिक नाइट विजन गॉगल्स जैसे विशेष बल के हथियारों ने सैनिकों को रात के अंधेरे में भी दुश्मन पर बढ़त बनाने में मदद की।
संचार जामर और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली: दुश्मन के संचार नेटवर्क को बाधित करने और उनकी गतिविधियों को भ्रमित करने के लिए संचार जामर और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियों का उपयोग किया गया।
आर्टिलरी और रॉकेट लॉन्चर: कुछ बड़े आतंकी शिविरों और रसद ठिकानों को नेस्तनाबूद करने के लिए आर्टिलरी और मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर का भी सीमित और लक्षित उपयोग किया गया।
इन हथियारों के प्रभावी समन्वय और कुशल संचालन ने ऑपरेशन सिंदूर को एक निर्णायक सफलता बनाया। आतंकवादियों के कई प्रमुख अड्डे नेस्तनाबूद हो गए, उनके प्रशिक्षण शिविर ध्वस्त हो गए, और उनकी रसद आपूर्ति श्रृंखला छिन्न-भिन्न हो गई।

पूरे देश की एकजुटता: आतंकवाद के खिलाफ भारत का सीधा संदेश
ऑपरेशन सिन्दूर सिर्फ एक सैन्य जीत नहीं थी, बल्कि यह पूरे देश की एकजुटता का प्रतीक भी थी। इस हमले के बाद, देश के हर कोने से लोगों ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी आवाज़ उठाई। राजनीतिक दलों ने मतभेदों को भुलाकर एकजुटता दिखाई। पूरे देश की एकजुटता ने आतंकवादियों को यह स्पष्ट संदेश दिया कि भारत अपने नागरिकों पर होने वाले किसी भी हमले को बर्दाश्त नहीं करेगा। यह संदेश था कि भारत अपनी संप्रभुता और अखंडता की रक्षा के लिए कुछ भी कर सकता है। इस एकजुटता ने न केवल सेना का मनोबल बढ़ाया, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी यह दिखाया कि भारत आतंकवाद से लड़ने के लिए प्रतिबद्ध है। इस ऑपरेशन ने पाकिस्तान को भी एक कड़ा संदेश दिया कि वह अपनी धरती से आतंकवाद को बढ़ावा देना बंद करे।

उपसंहार
22 अप्रैल 2025 का पहलगाम हमला एक दुखद घटना थी, लेकिन इसने भारत को एक नया संकल्प दिया। ऑपरेशन सिन्दूर उसी संकल्प का परिणाम था, जिसने दुश्मन की करतूतों का मुंहतोड़ जवाब दिया और आतंकवाद को भारत का सीधा संदेश दिया। ऑपरेशन सिन्दूर ने यह साबित कर दिया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ कभी नहीं झुकेगा और अपने नागरिकों की रक्षा के लिए हमेशा तैयार रहेगा। यह एक ऐसा सिन्दूर था जिसने देश के माथे पर जीत का तिलक लगाया और आतंकवाद के खिलाफ भारत के अडिग संकल्प को दर्शाया। यह संदेश था: भारत शांतिप्रिय देश है, लेकिन वह अपनी संप्रभुता, अखंडता और अपने नागरिकों की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेगा। जो भी भारत की धरती पर आतंक फैलाएगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा। यह ऑपरेशन केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं थी; यह भारत की राष्ट्रीय इच्छाशक्ति का प्रतीक था। इस ऑपरेशन ने न केवल आतंकवादियों के मनोबल को तोड़ा, बल्कि पड़ोसी देशों को भी यह स्पष्ट कर दिया कि भारत किसी भी तरह की सीमा पार आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा। यह एक दृढ़ चेतावनी थी कि भारत अपनी रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगा, चाहे वह सीमा पार सर्जिकल स्ट्राइक हो या किसी भी रूप में प्रत्यक्ष कार्रवाई।

पहलगाम का घाव कभी नहीं भरेगा, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर ने यह सुनिश्चित किया कि उस खून का हिसाब लिया गया। यह एक ऐसी महागाथा है जो अदम्य साहस, अटूट संकल्प और राष्ट्र के प्रति असीम प्रेम को दर्शाती है। यह हमें याद दिलाती है कि जब भी भारत पर संकट आएगा, उसके सिंदूर को रक्त से सनाने की कोशिश की जाएगी, तब भारत का हर सिपाही, हर नागरिक उस सिंदूर का बदला खून से लेने को तत्पर रहेगा। ऑपरेशन सिंदूर, भारतीय सेना के शौर्य और भारत के अटल संकल्प का एक ऐसा प्रतीक बन गया, जो आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरित करता रहेगा कि आतंक का जवाब केवल ताकत और दृढ़ संकल्प से ही दिया जा सकता है। यह सिर्फ एक अध्याय नहीं था, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की निरंतर लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था।