पंचतंत्र की कहानी : राह का साथी
किसी नगर में एक ब्राह्मण रहता था। उसका नाम था ब्रह्मदत्त। एक बार उसे किसी दूसरे गांव में कोई काम आ पड़ा। वह चलने लगा तो उसकी मां ने कहा- बेटा अकेले न जाओ। किसी को साथ ले लो।लड़के ने कहा- तुम इतना क्यों घबराती हो मां। इस रास्ते में कोई विघ्न-बाधा नहीं है। किसी को साथ लेने की क्या जरूरत है।
मां ने देखा, लड़का टस से मस नहीं हो रहा है तो उसने उसे एक केकड़ा देते हुए कहा- अच्छा, कोई और साथी नहीं है तो तुम इस केकड़े को ही साथ ले लो। हो सकता है यही तुम्हारे किसी काम आ जाए।मां का मन रखने के लिए लड़के ने उस केकड़े को पकड़कर कपूर की एक डिबिया में रख लिया और उसे एक झोले में डालकर चल पड़ा। गर्मी के दिन थे। कड़ाके की धूप थी। वह कुछ दूर जाने के बाद एक पेड़ के नीचे आराम करने को रुका और वहीं सो गया।इसी बीच उस पेड़ के कोटर से एक सांप निकला और रेंगता हुआ ब्राह्मण के पास चला आया।