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Last Updated : सोमवार, 8 जुलाई 2024 (17:58 IST)

पर्यावरण प्रदूषण पर बाल गीत : बातों का बाजार गरम है

Tree
पर्यावरण प्रदूषण की अब,
बातों का बाजार गरम है।
 
हम-तुम-सबको, बात पता है
पर्यावरण प्रदूषण फैला।
जल-जंगल-जमीन अब मैली,
वातावरण हुआ है मैला।
बिना रुके फिर भी धरती पर
ढाया जाता रोज सितम है।
 
चौपहिया, दो पहिया वाहन,
बने प्रदूषण के हरकारे।
मिलें, कलें भी बांट रहे हैं,
नभ में जहरीले गुब्बारे।
पर्यावरण प्रदूषण होगा,
बोलो कब! क्या ! कभी खतम है?
 
विज्ञापन, अखबवारों वाले,
पर्यावरण बचाते दिखते।
मिटे किस तरह अधम प्रदूषण,
नए उपाय कागज़ पर घिसते।
लेकिन साफ-साफ दिखता है,
हल्ला ज्यादा कोशिश कम है।
 
ज्यों-ज्यों बढ़ती गईं दवाएं,
बढ़ता गया मर्ज भी उतना।
ढेर उपाय किए हैं लेकिन,
दिखता नहीं प्रदूषण छटना। 
वादे होते रहे निरंतर,
नहीं रहा वादों में दम है।
 
केवल तंत्र नहीं कर सकता,
है, विनाश इस बीमारी का।
काम नहीं केवल नेता का,
काम नहीं बस, अधिकारी का।
आगे बढ़कर हमें लगाना ,
ही होगा अपना दम-खम है।
 
वृक्षरोपण समय-समय पर,
अब हो ये ही लक्ष्य हमारा।
गलियां झाड़ें,सड़क बुहारें,
पॉलीथिन से करें किनारा।
जरा सीख लें पैदल चलना,
वाहन पर अब चलना कम है।

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