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बाल गजल : खेल रहे हैं बच्चे टेनिस

बाल गजल : खेल रहे हैं बच्चे टेनिस - Poem on kids playing tennis
Poem on kids
घोड़े पर है आसमान में,
मुन्नी रानी बड़ी शान में।
 
गुड्डी ने गुड्डे को कूका,
बड़ी जोर से दिया कान में।
 
मम्मी बहुत ध्यान रखती हैं,
उसका हरदम खान पान में।
 
दादी का दिन कट जाता है,
कत्था चूना और पान में।
 
मजा आजकल दादाजी को,
आता रहता गपड़ तान में।

 
गुस्से की तलवार छुपाकर,
रखना होगी अभी म्यान में।
 
बस, ट्रैफिक से बाहर निकली,
अब आई है जान, जान में।
 
कक्षा में बैठी हैं मैडम,
बड़ी देर से गहन ध्यान में।
 
खेल रहे हैं बच्चे टेनिस,
बाजू वाले बड़े लॉन में।
 
 
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Kids Poem