बाल कविता : हल्दी वाला दूध पियो
ठंड नहीं लगती क्या चंदा,
नंगे घूम रहे अंबर में।
नीचे उतरो घर में आओ,
सेकों जरा बदन हीटर में।
कड़क ठंड है अकड़ जाओगे,
बिस्तर तुम्हें पकड़ना होगा
किसी वैद्य के या हकीम के,
अस्पताल में सड़ना होगा।
कोरोना के कारण जग में,
सभी तरफ फैली बदहाली।
बड़े दवाखानों में तुमको,
बिस्तर नहीं मिलेगा खाली।
हल्दी वाला दूध पियो तुम,
इससे बदन निखर जाएगा।
औषधियों वाले काढ़े से,
कोरोना भी डर जाएगा।
(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)