चटपटी बाल कविता : जंगल की होली
शेर भाई ने हाथी जी के,
माथे में था तिलक लगाया।
हाथी ने भी सूंड उठाकर,
ढेरम ढेर ग़ुलाल उड़ाया।
तभी हाथ में ले पिचकारी,
एक गिलहरी थी आ धमकी।
बंदर ढ़ोल बजता आया।
कौआ लगा बजाने टिमकी।
सबने होली खूब मनाई,
हो हल्ला था खूब मचाया।
एक लोमड़ी ने सबको ही,
हलवा गरमागरम खिलाया।
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