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Last Updated : बुधवार, 18 दिसंबर 2024 (14:53 IST)

बाल गीत : चलो धूप में बैठें हम

बाल गीत : चलो धूप में बैठें हम - poem on winter days
रविवार को छुट्टी सबकी,
मम्मी पापा फुर्सत हैं।
दादा-दादी तो पहले से,
धूप तापने में रत हैं।
बाई बनाती चाय नाश्ता,
किसी बात का फिर क्या गम।
 
मम्मी जी लग गईं बनाने,
कटहल का स्वादिष्ट अचार।
पापाजी को काम नहीं कुछ,
वह तो बस पढ़ते अखबार।
ले आई है बाई नाश्ता,
गरम मुगौंड़ी और चमचम।
 
ताप रहे हैं धूप मजे से,
हम सब हो हल्ला करते।
दादा-दादी बात-बात पर,
हो-हो-हो-हो कर हंसते।
इस मस्ती में बज उठती,
खुशियों की पायल छम-छम-छम।
 
कड़क ठंड में मिले धूप तो,
अहा! स्वर्ग सा सुख मिलता।
दूर कंपकपी होने लगती,
चेहरा-चेहरा खिल उठता।
अदरक वाली चाय मिले तो,
तबियत हो जाती बम-बम।
 
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