बाल कविता : मंगल पर बस्ती
पूछ लगा दो, गदा दिला दो,आज मुझे हनुमान बना दो। लंका जाऊं आग लगाऊं,मां सीता से मिलकर आऊं। आज्ञा लेकर फिर उनसे मैं,मीठे मीठे कुछ फल खाऊं। कैसे उड़ना है अंबर में,थोड़ा थोड़ा मुझे सिखा दो। रावण को जाकर समझाऊं,मेघनाथ को सबक सिखाऊं। नहीं मानता है गर अक्षय,मारूं गदा मारकर आऊं। हनुमान आनेवाला है,जरा विभीषण को बतला दो। कुंभकरण से मैं भिड़ जाऊं,रावण को भी मजे चखाऊं। मिले इजाजत सीता से तो,पुष्पक अभी छीनकर लाऊं। किसी तरह से भी सौ लीटर,टंकी में पेट्रोल भरा दो। पुष्पक से मैं भारत आऊं,सब घर को इंग्लैंड घुमाऊं। जगह हो गई धरती पर कम,मंगल पर बस्ती बनवाऊं। एडवांस कुछ मुझे दिला दो,चंदा पर भी बुकिंग कराऊं।