फनी कविता : सूरज चाचा कैसे हो...
सूरज चाचा कैसे हो,क्या पहले के जैसे हो।बिना दाम के काम नहीं,क्या तुम भी उनमें से हो?बोलो-बोलो क्या लोगे,बादल कैसे भेजोगे।चाचा जल बरसाने का,कितने पैसे तुम लोगे।पानी नहीं गिराया है,बूंद-बूंद तरसाया है।एकटक ऊपर ताक रहे,बादल को भड़काया है।चाचा बोले गुस्से में,अक्ल नहीं बिल्कुल तुम में।वृक्ष हजारों काट रहे,पर्यावरण बिगाड़ रहे।ईंधन खूब जलाया है,जहर रोज फैलाया है।धुआं-धुआं अब मौसम है,गरमी नहीं हुई कम है।बादल भी कतराते हैं,नभ में वे डर जाते हैं।पर्यावरण सुधारोगे,ढेर-ढेर जल पा लोगे।