चुलबुली कविता : बिल्ली का संदेश
एक दिवस बिल्ली रानी नेसब चूहों को बुलवायाढीले ढाले उन चूहों कोबड़े प्रेम से समझाया।अपने संबोधन में बोलीमरे-मरे क्यों रहते होइंसानों के जुर्म इस तरहक्यों सहते हो डरते हो।गेहूं-चावल दाल सरीखेटॉनिक घर में भरे पड़ेक्यों जूठन चाटा करते होखाते खाने गले सड़े।प्रजातंत्र में नेता देखोकैसे लप-लप खाते हैंभरी तिजोरी मोटर बंगलेफिर भी नहीं अघाते हैं।सत्य अहिंसा नैतिकता कोबेचा खुले बाजारों मेंबनकर लीडर खड़े हुए हैंदिखते अलग हजारों में।तुम्हें पता है प्यारे चूहोमैं तुमको ही खाती हूंमोटे-ताजे तुमको खाकरअपना स्वास्थ्य बनाती हूं।तेरे भोजन से पा ताकतउछल कूद कर पाती हूंभाग दौड़ कर लेती हूंऔर कुत्तों से बच जाती हूं।इस कारण हे प्यारे चूहोनिश दिन खाओ अच्छा मालतभी तुम्हारी बिल्ली मौसीरह पाएगी नित खुश हाल॥