छोटे रोल से बड़ी शुरुआत करो
स्कूलों में वार्षिकोत्सव शुरू हो गए हैं। यह अच्छा मौका है नाटक, कविता, निबंध, डांस या गायन जैसी प्रस्तुति के जरिए इंप्रेशन जमाने का। सालभर में स्कूल में ऐसा बड़ा मौका एक ही बार आता है। अक्सर वार्षिकोत्सव में कुछ स्टूडेंट तो बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं पर कुछ चुपचाप रहते हैं। वे अगली बार करेंगे यह सोचकर इस मौके को जाने देते हैं। याद रहे कि एक बार यह मौका निकल जाने पर एक साल बाद दूसरा मौका मिलेगा। इतना समय क्यों जाने दें? इसी बार वार्षिकोत्सव का पूरा फायदा क्यों न उठाएँ? सोचो, वार्षिकोत्सव में भाग लेने से ही तो स्कूल में आपकी पहचान बनेगी। अपनी रुचियों और प्रतिभा के प्रदर्शन का यह सही मंच है। यकीन के साथ कहा जा सकता है कि जो स्टूडेंट इस मंच पर अपनी प्रतिभा दिखाएँगे वे जिंदगी में जरूर कुछ न कुछ रचनात्मक काम करेंगे। अगर आप इस बार वार्षिकोत्सव में भाग लेने का सोच रहे हो तो सोचो मत, कर डालो। इस बार किसी नाटक या डांस में ज्यादा बड़ा नहीं तो छोटा-सा रोल ही प्ले करो। यह छोटा रोल ही बड़ी शुरुआत बन जाएगी। महात्मा गाँधी ने कहा था कि बचपन में उन्होंने हरिश्चंद्र नाटक देखा था, और बचपन के देखे इस नाटक की सदा सत्य बोलने की प्रेरणा हमेशा उनके साथ रही। जब एक नाटक देखकर इतना प्रभाव हो सकता है तो नाटक करने वाले को तो बहुत कुछ मिल सकता है। तो बेस्ट ऑफ लक।