बच्चों, गणेशोत्सव का दस दिनों का त्योहार कल समाप्त हो जाएगा। हम सभी धूमधाम से गणपति बप्पा की मूर्तियों को विसर्जित कर देंगे। याद है ना, पिछले सप्ताह मैंने आप लोगों से क्या कहा था?
भगवान गणेश की मूर्तियों को जब हम अपने जलस्रोतों में विसर्जित कर देते हैं तो कई दिनों तक इन प्रतिमाओं का विघटन नहीं होता। इन प्रतिमाओं को ऑइल पेंट से पोता जाता है और पानी के भीतर जब इन प्रतिमाओं का रंग उतरता है, तो रंग में मिले विषैले रसायन पानी में घुल जाते हैं।
यह रसायन पानी के भीतर रहने वाले जीव-जंतुओं के लिए बहुत हानिकारक सिद्ध होते हैं। इनके कारण हमारे जलस्रोत प्रदूषित हो जाते हैं।
अब हमने गणेशोत्सव मनाया है तो हमें भगवान की मूर्तियों का विसर्जन तो करना ही होगा। मैं आपको विसर्जन करने के लिए मना नहीं कर रही हूँ। आप विसर्जन का तरीका थोड़ा-सा बदल लीजिए।
आप घर में ही किसी बाल्टी या बड़े बर्तन को पूरी तरह पानी से भरकर उसमें भगवान श्री गणेश का विसर्जन कर दें। जब भगवान की प्रतिमा पूरी तरह से विघटित हो जाए, तो उस पानी को मिट्टी सहित अपने घर के या मोहल्ले के बगीचे में डाल दें। आप इस पानी को गमले में भी डाल सकते हैं।
आपकी यह छोटी-सी पहल हमारे जलस्रोतों के लिए बहुत लाभदायक सिद्ध होगी।