करवा चौथ माता की पौराणिक कथा
Story of karva chauth: मान्यता के अनुसार कुछ जगहों पर कुंआरी लड़कियां मनोवांछित पति की प्राप्ति या मंगेतर की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं जबकि विवाहित यानी सुहागन स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और जीवन में तरक्की की कामना हेतु करवा चौथ का व्रत रखती हैं। 13 अक्टूबर 2022 गुरुवार को करवा चौथ का व्रत रखा जाएगा। क्या आप जानते हैं कि क्या है करवा चौथ की पौराणिक कथा या कहानी? आओ जानते हैं करवा चौथ की कथा।
करवा चौथ माता की कथा | Karwa chauth mata ki katha in hindi:
1. पौराणिक कथाओं में एक जोर जहां माता पार्वती अपने पति शिवजी को पाने के लिए तप और व्रत करती है और उसमें सफल हो जाती है तो दूसरी ओर सावित्री अपने मृत पति को अपने तप के बल पर यमराज से भी छुड़ाकर ले आती है। यानी स्त्री में इतनी शक्ति होती है कि वो यदि चाहे, तो कुछ भी हासिल कर सकती है। इसीलिए महिलाएं करवा चौथ के व्रत के रूप में अपने पति की लंबी उम्र के लिए एक तरह से तप करती हैं।
2. यह भी कहा जाता है कि करवा नाम की एक पतिव्रता स्त्री के नाम पर ही करवा चौथ का नाम करवा चौथ पड़ा है। कहते हैं कि करवा नाम की पतिव्रता स्त्री अपने पति के साथ नदी के किनारे के गांव में रहती थी। एक दिन उसका पति नदी में स्नान कर रहा था तभी एक मगरमच्छ ने उसका पैर पकड़ लिया। वह मनुष्य करवा-करवा कह के अपनी पत्नी को पुकारने लगा।
उसकी आवाज सुनकर उसकी पत्नी करवा भागी हुई आई और आकर उसने मगरमच्छ को कच्चे धागे से बांध दिया। मगरमच्छ को बांधकर वो यमराज के यहां पहुंच गई और यमराज से कहने लगी- हे भगवन! मगरमच्छ ने मेरे पति का पैर पकड़ लिया है। उस मगरमच्छ को पैर पकड़ने के अपराध में आप नरक में ले जाओ।
यमराज बोले, 'लेकिन अभी मगरमच्छ की आयु शेष है, अतः मैं उसे नहीं मार सकता। इस पर करवा बोली, 'अगर आप ऐसा नहीं करोगे तो मैं आप को श्राप देकर नष्ट कर दूंगी।' सुनकर यमराज डर गए और उन्होंने मगरमच्छ को यमपुरी भेज दिया और करवा के पति को दीर्घायु रहने का आशीर्वाद दे दिया। तभी से उस महिला को करवा माता कहने लगे।