मंगलवार, 8 अक्टूबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. »
  3. व्रत-त्योहार
  4. »
  5. karva chauth
Written By WD

करवा चौथ : भारतीय संस्कृति का अनूठापन

करवा चौथ : भारतीय संस्कृति का अनूठापन -
- स्वाति शर्मा
FILE


विश्वास, प्रेम, सृजन और पवित्रता की डोर से बांधता एक ईश्वरीय बंधन 'विवाह'। कहते भी हैं न कि जोड़ियां आसमानों में बनती हैं। इसलिए इस बंधन की पवित्रता भी देवतुल्य है।

यह बंधन बिलकुल वैसा ही है जैसा सुखद, अपनेपन और सुरक्षा का अहसास दिलाता कोई बंधन होता है। इसमें समाहित है दोनों बंधे हुए जीवों का परस्पर प्रेम, एक-दूसरे के प्रति विश्वास और नए सृजन की सुंदर व अद्भुत साझेदारी। इसलिए ही तो इस बंधन में भी आनंद है। करवा चौथ इसी बंधन को अटूट रखने की कामना के साथ किया जाता है।

एक स्त्री-पुरुष जब सप्तपदी या सात फेरों के साथ विवाह वचनों को अपनाते हैं, तो कहीं एक अदृश्य शक्ति उनके मन और भावनाओं में भी संबंध स्थापित कर देती है। यही संबंध उन्हें सदैव जोड़े रखता है। यह संबंध किसी एक के ऊपर भार नहीं होता बल्कि दोनों की साझेदारी होता है।

FILE


ऐसी साझेदारी जिसमें यदि परेशानी से हलकान हुए पति को मुस्कान के साथ चाय का प्याला देकर उनकी परेशानियों को दूर भगा देने का विश्वास देने वाला अहसास है तो वहीं दिनभर के कामों के बाद पस्त हुई श्रीमतीजी के कंधे पर सहृदयता व स्नेह का परिचायक हाथ रख उनकी सारी थकान हर लेने वाली प्यारी भावना भी होती है। यही तो वे छोटी-छोटी बातें हैं जो पति-पत्नी के स्त्री व पुरुष से पहले एक इंसान होने की भावना को दर्शाती हैं। ऐसी ही भावनाओं को प्रगाढ़ करता है करवा चौथ का व्रत।

पुराणों के अनुसार कार्तिक वदी की चौथ को यह व्रत रखा जाता है। इस दिन स्त्रियां अपने सौभाग्य के लिए गौरी का व्रत कर मिट्टी के करवे से चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं। पूरे दिन निराहार रहकर पूजन के पश्चात पतिदेव के हाथ से पानी का घूंट पीकर व्रत खोलती हैं।

स्त्रियों द्वारा एक-दूसरे को पकवान सहित करवे दिए जाते हैं। इस दिन कथा सुनी जाती है। इस दिन घरों में मैदे की पपड़ी, मीठे गुलगुले आदि बनाए जाते हैं। नई-नई बहुओं से लेकर बड़ी उम्र की शादीशुदा स्त्रियां इकट्ठी हो एक-दूसरे से करवे बदलती हैं। सुंदर, मुस्कानों के बीच कई स्त्रियां तो चंद्रमा के बाद पति की भी आरती उतारती हैं।

FILE

भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग तरीकों से स्त्रियां इस व्रत को मनाती हैं। पंजाब तथा उ.प्र. के कई इलाकों में इस दिन बहुओं हेतु ससुराल से सरगी आती है। इसमें सामर्थ्य अनुसार कपड़े, गहने, फल, मिष्ठान आदि होते हैं। यह 'सरगी' व्रत के एक दिन पूर्व आती है।

वैसे भी भारतीय संस्कृति का अनूठापन और यहां के रीति-रिवाजों के मूल में एक अद्भुत आकर्षण है, जो हमें एक-दूसरे से जोड़ता है। यही कारण है कि ढेर सारे त्योहारों की मीठी परंपरा हमें अपनी जड़ों से अलग नहीं होने देती, चाहे हम कहीं भी रहें। इसका स्पष्ट प्रमाण 'कभी खुशी कभी गम' और 'बागवान' जैसी फिल्मों में भी देखने को मिलता है। या फिर जींस-टॉप के साथ हाथ भर लाल चूड़ियां पहने युवतियों या मंदिरों में माथा टेकते नवयुवकों में भी दिखाई देता है। यही तो असली भारत की तस्वीर है।

फिर आज तो करवा चौथ का महत्व इसलिए भी बढ़ गया है कि अब कहीं-कहीं पत्नी अपने 'उन' के लिए और पति भी अपनी 'उन' के लिए यह व्रत रख रहे हैं। यहां दोनों एक-दूसरे की लंबी उम्र और अपने रिश्ते में विश्वास के बने रहने की प्रार्थना कर रहे हैं। यही भावना तो चाहिए आज रिश्तों के बीच की दूरियों को कम करने के लिए। तभी तो करवा चौथ को सही रूप में अपना पाएंगे हम