करवा चौथ : भारतीय संस्कृति का अनूठापन
विश्वास, प्रेम, सृजन और पवित्रता की डोर से बांधता एक ईश्वरीय बंधन 'विवाह'। कहते भी हैं न कि जोड़ियां आसमानों में बनती हैं। इसलिए इस बंधन की पवित्रता भी देवतुल्य है। यह बंधन बिलकुल वैसा ही है जैसा सुखद, अपनेपन और सुरक्षा का अहसास दिलाता कोई बंधन होता है। इसमें समाहित है दोनों बंधे हुए जीवों का परस्पर प्रेम, एक-दूसरे के प्रति विश्वास और नए सृजन की सुंदर व अद्भुत साझेदारी। इसलिए ही तो इस बंधन में भी आनंद है। करवा चौथ इसी बंधन को अटूट रखने की कामना के साथ किया जाता है।एक स्त्री-पुरुष जब सप्तपदी या सात फेरों के साथ विवाह वचनों को अपनाते हैं, तो कहीं एक अदृश्य शक्ति उनके मन और भावनाओं में भी संबंध स्थापित कर देती है। यही संबंध उन्हें सदैव जोड़े रखता है। यह संबंध किसी एक के ऊपर भार नहीं होता बल्कि दोनों की साझेदारी होता है।