भगवान आदिनाथ का पहला अभिषेक 27 को
1008 कलशों की शोभायात्रा
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दीपक व्यास भगवान आदिनाथ के तीर्थक्षेत्र बावनगजा महामहोत्सव के चौथे दिन आयोजित अखिल भारतीय दिगम्बर जैन राष्ट्रीय महिला सम्मेलन में महिला वक्ताओं ने नारी शक्ति के महत्व को प्रतिपादित करते हुए कहा कि नारी नर की खान होती है एवं प्रतिकूल समय में भी नर का साथ नहीं छोड़ती है। विपरीत परिस्थितियों में भी जूझने का माद्दा रखती है। हम नारी है, न हारी हैं, न हारेंगी। सम्मेलन में अखिल भारतीय महिला संगठन की महिला अध्यक्ष श्रीमती सुधा मलैया सहित अन्य विशेष अतिथियों ने अपने विचार व्यक्त किए। श्रीमती मलैया ने गुरुदेव के चरणों में नमन करते हुए कहा कि नारी के मन में प्राचीनकाल से चली आ रही ममत्व, करुणा एवं वात्सल्य की भावना आज भी अक्षुण्ण है। इस दौरान श्री गुप्तिसागरजी महाराज ने डॉ. दिलीप कुमार बोबरा (अमेरिका) को 27 जनवरी को होने वाले महामस्तकाभिषेक के लिए पहले कलश का मौका प्रदान किया। गोद भराई की रस्मसम्मेलन से पूर्व गोद भराई यात्रा निकाली गई, इसमें भगवान श्रीजी के माता-पिता बनने का श्रेय श्री मुन्नालाल जैन एवं श्रीमती कमला जैन, बड़वानी को मिला। गोद भराई यात्रा में महिलाएँ वस्त्राभूषण एवं सूखे मेवे थाली में सजाकर सिर पर धारण कर चल रही थीं। तत्पश्चात् पांडाल पहुँचकर माता मरूदेवी की गोद भराई की रस्म अदा की गई। अहिंसा जीवन का निचोड़ है
कार्यक्रम के प्रारंभ में डॉ. सविता जैन (उज्जैन) ने अहिंसा के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यदि हम हिसंक हो भी जाएँ तो भी हमें पुनः अहिंसा को धारण करना ही होगा। हिंसक पशु भी अपने बच्चों को प्यार से अपने दाँतों से पकड़कर उठाते हैं, क्योंकि उनके मन में अहिंसा का भाव विद्यमान रहता है। अहिंसा हमारे अंतरमन में निहित है, अतः इसे कदापि त्यागने की बात न सोचें। उन्होंने इस बात पर दुःख जताया कि हम संतों द्वारा बनाए गए अहिंसक भाव (अणुव्रत) से दूर होते जा रहे हैं। षट्कर्मों ने सिखाई जीने की राहडॉ. शोभा जैन (महू) ने 'षट्कर्मों की वर्तमान व्यावसायिक युग में प्रासंगिकता' विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भोगभूमि एवं कर्मभूमि के दौर में भगवान ऋषभ देव के षट्कर्मों ने लोगों को जीने की राह सिखाई और इन षट्कर्मों के माध्यम से लोगों को आजीविका का निर्वाह करने की प्रेरणा दी। श्रीमती आशा जैन विनायिका (इंदौर) ने 'सुखी गृहस्थ जीवन में नारी का योगदान' विषय पर अपने उद्बोधन में 'नारी' शब्द के अर्थ का वर्णन किया। दिगम्बर जैन महिला संगठन इंदौर की श्रीमती सुमन जैन ने स्वागत किया। इसके बाद निमाड़ मंडल की महिलाओं द्वारा हस्तनिर्मित बावनगजा के चित्र का अनावरण किया गया। तत्पश्चात् सुश्री रुचि जैन, साधना डोसी एवं मीनाक्षी जैन द्वारा मंगलाचरण एवं मंगल नृत्य की आकर्षक प्रस्तुति दी गई, जिसे पांडाल में बैठे श्रृद्घालुओं का अच्छा प्रतिसाद मिला। इस दौरान राष्ट्रीय स्तर पर सामाजिक कार्यों में उल्लेखनीय सेवा प्रदान करने वाली जैन समाज की 10 महिलाओं का शॉल, प्रशस्ति पत्र एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मान किया गया। आभार श्रीमती मीना विनायक्या एवं श्रीमती प्रेमलता वेद ने किया। 1008
कलशों की शोभायात्राबावनगजा महोत्सव में जन्म कल्याणक महोत्सव मनाने हेतु श्रद्घालुओं का उत्साह बढ़ता जा रहा है। श्रीजी का जन्म उत्सव मनाने के लिए व्यापक तैयारियाँ की गई हैं। गुरुवार को 1008 कलशों की शोभायात्रा निकाली जाएगी। पांडुक शिला पर बालक आदिकुमार का अभिषेक होगा। जन्मोत्सव के लिए पांडाल भव्य पैमाने पर सजाया गया है। बावनगजा महामहोत्सव के चौथे दिन प्रातःकालीन सत्र में उपाध्याय श्री गुप्तिसागरजी ने कहा कि अरिहंत बनने के लिए जिन स्तरीय पुण्यों के संग्रहण की आवश्यकता होती है उसके लिए पूजन के साथ-साथ व्रत भी अनिवार्य है। आप अपने लिए तो काफी कुछ कर रहे हैं, लेकिन परमात्मा के लिए क्या कर रहे हो, इसका ऑडिट करें। बोबरा दम्पति करेंगे पहला अभिषेकबड़वानी। बावनगजा में 21वीं सदी के पहले महामस्तकाभिषेक महोत्सव में 27 जनवरी को पहले कलशाभिषेक की मंजूरी आयोजन के सूत्रधार उपाध्याय श्री गुप्तिसागरजी महाराज ने बुधवार को प्रदान कर दी। इसके मुताबिक अमेरिका से आए डॉ. दिलीप बोबरा एवं श्रीमती सुमन बोबरा अपने पहले कलश से भगवान आदिनाथजी की विराट प्रतिमा पर मस्तकाभिषेक करेंगे। 27 जनवरी को 1108 कलशाभिषेक होंगे।