2025 Sugandh Dashami: जैन धर्म का पवित्र पर्व सुगंध दशमी हर वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व जैन समुदाय में आत्मशुद्धि, त्याग और कर्मों की सुगंध फैलाने का प्रतीक है। यह दिन दसलक्षण या पर्युषण महापर्व के अंतर्गत आता है। इस साल सुगंध दशमी 02 सितंबर 2025, मंगलवार को मनाई जाएगी।
ALSO READ: पर्युषण 2025: दिगंबर जैन समाज के दसलक्षण महापर्व पर होगी 10 धर्म की आराधना
सुगंध दशमी का महत्व: सुगंध दशमी का शाब्दिक अर्थ है 'सुगंधित दशमी'। 'सुगंध' का अर्थ है अपने सद्कर्मों से फैलने वाली आध्यात्मिक सुगंध, जबकि 'धूप' कर्मों के नाश का प्रतीक है। सुगंध दशमी आत्मशुद्धि और तपस्या का पर्व है। जैन दर्शन के अनुसार, इस दिन पूजा में धूप जलाने से आत्मा पर चढ़े कर्मों के मैल का नाश होता है।
जैन मान्यता के मुताबिक, व्यक्ति अपने सद्कर्मों और तपस्या के माध्यम से जो आध्यात्मिक सुगंध फैलाता है, वही सच्ची सुगंध है। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं, आत्म-चिंतन करते हैं और अपनी इंद्रियों को नियंत्रित करने का अभ्यास करते हैं। यह पर्व मुख्य रूप से 'कर्मों की निर्जरा' यानी आत्मा से कर्मों को हटाने पर केंद्रित है।
झांकियों का महत्व और परंपरा: सुगंध दशमी पर झांकियां बनाने की परंपरा बहुत पुरानी और महत्वपूर्ण है। ये झांकियां सिर्फ सजावट का हिस्सा नहीं होतीं, बल्कि इनके पीछे गहरा धार्मिक और शैक्षिक उद्देश्य होता है।
• धार्मिक कथाओं का प्रदर्शन: झांकियां जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों के जीवन, उनके त्याग, साधना और मोक्ष की कहानियों को दर्शाती हैं। इनमें भगवान महावीर के जन्म, उनके ज्ञान प्राप्ति और भगवान पार्श्वनाथ जैसे तीर्थंकरों के जीवन से जुड़ी घटनाओं को खूबसूरती से प्रस्तुत किया जाता है।
ALSO READ: पर्युषण महापर्व 2025: जानें धार्मिक महत्व और जैन धर्म के 5 मूल सिद्धांत
• सामुदायिक भावना: इन झांकियों को अक्सर जैन समाज के विभिन्न समूह मिलकर तैयार करते हैं। यह प्रक्रिया समुदाय में एकता और आपसी सहयोग की भावना को मजबूत करती है। हर कोई अपनी कला और कौशल का योगदान देकर इस पर्व को और भी विशेष बनाता है। इस अवसर पर पर्यावरण पर भी संदेश दिया जाता है।
• शिक्षा और प्रेरणा: ये झांकियां जैन धर्म के सिद्धांतों को एक सरल और दृश्य रूप में प्रस्तुत करती हैं। बच्चे और युवा इन झांकियों को देखकर अहिंसा, सत्य और त्याग जैसे मूल्यों को आसानी से समझते हैं। ये झांकियां नई पीढ़ी को अपनी संस्कृति और परंपरा से जोड़ने का एक प्रभावी माध्यम हैं।
इस तरह, सुगंध दशमी की झांकियां जैन धर्म की शिक्षाओं को जीवंत करने, धार्मिक कहानियों को पीढ़ी दर पीढ़ी पहुंचाने और समाज में एकता का संदेश देने का एक महत्वपूर्ण जरिया हैं।
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।
ALSO READ: पर्युषण महापर्व 2025 के शुभ अवसर पर अपनों को भेजें ये 10 शुभकामना संदेश