गुरुवार, 10 जुलाई 2025
Choose your language
हिन्दी
English
தமிழ்
मराठी
తెలుగు
മലയാളം
ಕನ್ನಡ
ગુજરાતી
Follow us
समाचार
मुख्य ख़बरें
राष्ट्रीय
अंतरराष्ट्रीय
इंदौर
प्रादेशिक
मध्यप्रदेश
छत्तीसगढ़
गुजरात
महाराष्ट्र
राजस्थान
उत्तर प्रदेश
काम की बात
ऑटो मोबाइल
क्राइम
फैक्ट चेक
व्यापार
मोबाइल मेनिया
बॉलीवुड
बॉलीवुड न्यूज़
हॉट शॉट
वेब स्टोरी
मूवी रिव्यू
आलेख
पर्यटन
खुल जा सिम सिम
आने वाली फिल्म
बॉलीवुड फोकस
सलमान खान
सनी लियोन
टीवी
मुलाकात
धर्म-संसार
एकादशी
सनातन धर्म
श्री कृष्णा
रामायण
महाभारत
व्रत-त्योहार
धर्म-दर्शन
श्रीरामचरितमानस
लाइफ स्टाइल
वीमेन कॉर्नर
सेहत
योग
रेसिपी
नन्ही दुनिया
साहित्य
रोमांस
NRI
श्रीरामचरितमानस
ज्योतिष
दैनिक राशिफल
आज का जन्मदिन
आज का मुहूर्त
राशियां
लाल किताब
वास्तु-फेंगशुई
टैरो भविष्यवाणी
पत्रिका मिलान
जन्मकुंडली
रामशलाका
चौघड़िया
आलेख
नवग्रह
रत्न विज्ञान
क्रिकेट
अन्य खेल
धर्म संग्रह
समाचार
मुख्य ख़बरें
राष्ट्रीय
अंतरराष्ट्रीय
इंदौर
प्रादेशिक
मध्यप्रदेश
छत्तीसगढ़
गुजरात
महाराष्ट्र
राजस्थान
उत्तर प्रदेश
काम की बात
ऑटो मोबाइल
क्राइम
फैक्ट चेक
व्यापार
मोबाइल मेनिया
बॉलीवुड
बॉलीवुड न्यूज़
हॉट शॉट
वेब स्टोरी
मूवी रिव्यू
आलेख
पर्यटन
खुल जा सिम सिम
आने वाली फिल्म
बॉलीवुड फोकस
सलमान खान
सनी लियोन
टीवी
मुलाकात
धर्म-संसार
एकादशी
सनातन धर्म
श्री कृष्णा
रामायण
महाभारत
व्रत-त्योहार
धर्म-दर्शन
श्रीरामचरितमानस
लाइफ स्टाइल
वीमेन कॉर्नर
सेहत
योग
रेसिपी
नन्ही दुनिया
साहित्य
रोमांस
NRI
श्रीरामचरितमानस
ज्योतिष
दैनिक राशिफल
आज का जन्मदिन
आज का मुहूर्त
राशियां
लाल किताब
वास्तु-फेंगशुई
टैरो भविष्यवाणी
पत्रिका मिलान
जन्मकुंडली
रामशलाका
चौघड़िया
आलेख
नवग्रह
रत्न विज्ञान
क्रिकेट
अन्य खेल
धर्म संग्रह
×
Close
धर्म-संसार
धर्म-दर्शन
जैन धर्म
Written By
अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'
जैन तीर्थंकरों के प्रतीक
24 तीर्थंकरों का परिचय
ND
ND
जैन धर्म के चैबीस तीर्थंकरों की मूर्तियों पर पाए जाने वाले चिह्न, चैत्यवृक्ष, यक्ष और यक्षिणी की क्रमवार सूची।
(1)
ऋषभना
थ
चिह्न- बैल, चैत्यवृक्ष- न्यग्रोध, यक्ष- गोवदनल, यक्षिणी- चक्रेश्वरी।
(2)
अजितना
थ
चिह्न- गज, चैत्यवृक्ष- सप्तपर्ण, यक्ष- महायक्ष, यक्षिणी- रोहिणी।
(3)
संभवना
थ
चिह्न- अश्व, चैत्यवृक्ष- शाल, यक्ष- त्रिमुख, यक्षिणी- प्रज्ञप्ति।
(4)
अभिनंदनना
थ
चिह्न- बंदर, चैत्यवृक्ष- सरल, यक्ष- यक्षेश्वर, यक्षिणी- व्रजश्रृंखला।
(5)
सुमतिना
थ
चिह्न- चकवा, चैत्यवृक्ष- प्रियंगु, यक्ष- तुम्बुरव, यक्षिणी- वज्रांकुशा।
(6)
पद्यप्रभ
ु
चिह्न- कमल, चैत्यवृक्ष- प्रियंगु, यक्ष- मातंग, यक्षिणी- अप्रति चक्रेश्वरी।
(7)
सुपार्श्वना
थ
चिह्न- नंद्यावर्त, चैत्यवृक्ष- शिरीष, यक्ष- विजय, यक्षिणी- पुरुषदत्ता।
(8)
चंद्रप्रभ
ु
चिह्न- अर्द्धचंद्र, चैत्यवृक्ष- नागवृक्ष, यक्ष- अजित, यक्षिणी- मनोवेगा।
(9)
पुष्पदं
त
चिह्न- मकर, चैत्यवृक्ष- अक्ष (बहेड़ा), यक्ष- ब्रह्मा, यक्षिणी- काली।
(10)
शीतलना
थ
चिह्न- स्वस्तिक, चैत्यवृक्ष- धूलि (मालिवृक्ष), यक्ष- ब्रह्मेश्वर, यक्षिणी- ज्वालामालिनी।
(11)
श्रेयांसना
थ
चिह्न- गेंडा, चैत्यवृक्ष- पलाश, यक्ष- कुमार, यक्षिणी- महाकाली।
(12)
वासुपूज्
य
चिह्न- भैंसा, चैत्यवृक्ष- तेंदू, यक्ष- षणमुख, यक्षिणी- गौरी।
(13)
विमलना
थ
चिह्न- शूकर, चैत्यवृक्ष- पाटल, यक्ष- पाताल, यक्षिणी- गांधारी।
(14)
अनंतना
थ
चिह्न- सेही, चैत्यवृक्ष- पीपल, यक्ष- किन्नर, यक्षिणी- वैरोटी।
(15)
धर्मना
थ
चिह्न- वज्र, चैत्यवृक्ष- दधिपर्ण, यक्ष- किंपुरुष, यक्षिणी- सोलसा।
(16)
शांतिना
थ
चिह्न- हरिण, नंदी, यक्ष- गरुढ़, यक्षिणी- अनंतमती।
(17)
कुंथुना
थ
चिह्न- छाग, चैत्यवृक्ष- तिलक, यक्ष- गंधर्व, यक्षिणी- मानसी।
(18)
अरहना
थ
चिह्न- तगरकुसुम (मत्स्य), चैत्यवृक्ष- आम्र, यक्ष- कुबेर, यक्षिणी- महामानसी।
(19)
मल्लिना
थ
चिह्न- कलश, चैत्यवृक्ष- कंकेली (अशोक), यक्ष- वरुण, यक्षिणी- जया।
(20)
मुनिंसुव्रतना
थ
चिह्न- कूर्म, चैत्यवृक्ष- चंपक, यक्ष- भृकुटि, यक्षिणी- विजया।
(21)
नमिना
थ
चिह्न- उत्पल, चैत्यवृक्ष- बकुल, यक्ष- गोमेध, यक्षिणी- अपराजिता।
(22)
नेमिना
थ
चिह्न- शंख, चैत्यवृक्ष- मेषश्रृंग, यक्ष- पार्श्व, यक्षिणी- बहुरूपिणी।
(23)
पार्श्वना
थ
चिह्न- सर्प, चैत्यवृक्ष- धव, यक्ष- मातंग, यक्षिणी- कुष्माडी।
(24)
महावी
र
चिह्न- सिंह, चैत्यवृक्ष- शाल, यक्ष- गुह्मक, यक्षिणी- पद्मा सिद्धायिनी।
हमारे साथ WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
हमारे साथ Telegram पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
वेबदुनिया पर पढ़ें :
समाचार
बॉलीवुड
ज्योतिष
लाइफ स्टाइल
धर्म-संसार
महाभारत के किस्से
रामायण की कहानियां
रोचक और रोमांचक
ज़रूर पढ़ें
धन, ज्ञान और शांति के लिए गुरु पूर्णिमा पर करें ये 7 उपाय, दूर होंगी सारी बाधाएं
महर्षि वेदव्यास के जन्मोत्सव पर आजमाएं ये उपाय, मिलेगा गुरु का आशीर्वाद
गुरु पूर्णिमा 2025: सोच समझकर लें गुरु दीक्षा, जानिए सच्चे गुरु की पहचान
हिन्दू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास की पूर्णिमा को आषाढ़ी और गुरु पूर्णिमा कहा जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 10 जुलाई 2025 गुरुवार को पूर्णिमा तिथि रहेगी। गुरु पूर्णिमा महर्षि वेद व्यासजी की जयंती की रूप में भी मनाई जाती है। यदि आपने किसी को गुरु बना रखा है या बनाने का सोच रहे हैं तो जानिए कि आप सही मार्ग पर हैं या नहीं। अधिकांश ऐसे हैं जो अंधे भक्त हैं, तो स्वाभाविक ही है कि उनके गुरु भी अंधे ही होंगे। माना जा सकता है कि वर्तमान में तो अंधे गुरुओं की जमात है, जो ज्यादा से ज्यादा भक्त बटोरने में लगी है।
हरियाली अमावस्या कब है, जानिए पितृ दोष मुक्ति के 5 अचूक उपाय
Hariyali Amavasya 2025: हिन्दू धार्मिक मान्यता के अनुसार श्रावण मास की अमावस्या के दिन की गई साधना से मानसिक शांति, आध्यात्मिक लाभ और पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है। हरियाली अमावस्या पर पितृ तर्पण, दान, शिव-पूजा, पौधारोपण और स्तोत्रों का पाठ जैसे उपाय अपनाकर पितृ दोष से मुक्ति पाई जा सकती है। आइए जानते हैं...
गुरु पूर्णिमा: प्राचीन भारत के 14 महान गुरु जिन्होंने दिया धर्म और देश को बहुत कुछ
भारत में गुरु के बगैर मोक्ष के मार्ग पर चलना मुश्किल माना गया है। प्राचीन काल से ही भारत में गुरु और शिष्य की परंपरा रही है। प्रथम गुरु शिवजी को माना गया है जिनके सात शिष्य थे जो बाद में सप्त ऋषि कहलाए। इसी गुरु शिष्य परंपरा के लिए ही महान गुरु वेद व्यास के जन्मदिन पर गुरु पूर्णिमा का उत्सव मनाया जाता है। इस दिन गुरु की पूजा होती है। आओ जानते हैं भारत के 10 महान गुरुओं के बारे में।
गुरु का मिथुन राशि में उदय, 12 राशियों का राशिफल
guru uday ka fal 2025: इस वक्त बृहस्पति ग्रह मिथुन राशि में अतिचारी गोचर कर रहे हैं। बृहस्पति ग्रह पीछले माह 09 जून 2025 को मिथुन राशि में अस्त हो गए थे जो अब 09 जुलाई 2025 की रात 10 बजकर 50 मिनट पर उदित हो रहे हैं। बृहस्पति के उदय होने से 12 राशियों पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा? जानिए आपकी राशि कौनसी है।
वीडियो
और भी वीडियो देखें
धर्म संसार
यदि आप कावड़ यात्रा नहीं कर पा रहे हैं तो कैसे शिवजी पर जल अर्पित करें, जानिए
कावड़ यात्रा में कावड़िये दो मटकियों में किसी नदी या सरोवर का जल भरकर दूर किसी शिव मंदिर में शिवलिंग का उस जल से जलाभिषेक करते हैं। यात्रा प्रारंभ करने से पूर्ण होने तक का सफर पैदल ही तय किया जाता है। बहुत से लोग किसी न किसी कारणवश कावड़ यात्रा नहीं कर पाते हैं लेकिन उनके मन में रहता है कि वे भी इस यात्रा में शामिल हो। यदि आप भी यदि सोच रहे हैं तो जानिए कि कैसे शिवजी पर जल अर्पित करें कि कावड़ यात्रियों जैसा पुण्य प्राप्त करें। यानी यदि आप किसी कारणवश कांवड़ यात्रा नहीं कर पा रहे हैं, तो भी आप सच्ची श्रद्धा और भक्ति से अपने घर या नजदीकी शिव मंदिर में भगवान शिव को जल अर्पित कर सकते हैं।
सावन मास से इन 3 राशियों का शुरू होगा गोल्डन टाइम, बनने जा रहा है दुर्लभ संयोग
sawan maas ka rashifal 2025: 11 जुलाई से लेकर 9 अगस्त 2025 तक सावन का माह रहेगा। सावन माह में गुरु ग्रह का मिथुन राशि में उदय हो गया है। 13 जुलाई को शनिदेव मीन राशि में 138 दिनों के लिए वक्री चाल शुरू करेंगे। 16 जुलाई को सूर्य का कर्क राशि में गोचर होगा। 18 जुलाई को बुध कर्क में वक्री गति करेंगे। कर्क में सूर्य और बुध की युति से बुधादित्य योग बनेगा। शुक्र 29 जून से ही वृषभ में गोचर कर रहे हैं। इन सभी ग्रह गोचर के चलते 3 राशियों का गोल्डन टाइम शुरू होने जा रहा है।
आषाढ़ व्रत पूर्णिमा का क्या है महत्व, इन 5 उपायों से दूर होगी धन की समस्या
Powerful remedies on Guru Purnima: आज गुरु पूर्णिमा है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और दान करने का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इससे सभी पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। इसे वेदव्यास जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। आइए जानते हैं यहां गुरु पूर्णिमा का महत्व और उपाय...
गुरु और जीवन : अभिन्न हैं
गुरु पूर्णिमा साधक के लिए एक नया वर्ष है। यह वार्षिक रिपोर्ट कार्ड देखने का समय है- आप जीवन में कितने आगे बढ़े हैं और आप कितने अधिक स्थिर हैं। हमें बार-बार ज्ञान की ओर लौटने की आवश्यकता है; बुद्धि को ज्ञान में डुबाना होगा। यही सच्चा सत्संग है। सत्संग सत्य की संगति है, ज्ञानियों की संगति है
भविष्यवाणी: अब होने वाली है स्वर्ण युग की शुरुआत, जानिए श्रीकृष्ण ने माता गंगा से क्या कहा...
ब्रह्मवैवर्त पुराण में श्रीकृष्ण मां गंगा को बताते हैं कि कलियुग में एक स्वर्ण युग होगा जिसकी शुरुआत कलियुग के 5,000 वर्ष बाद होगी और यह सुनहरा युग अगले 10,000 वर्ष तक चलेगा। यह भविष्यवाणी भारत के संदर्भ में नहीं, बल्कि संपूर्ण धरती के संदर्भ में है। कलियुग के 5,000 वर्ष बीत चुके हैं और अब सभी ओर राजनीतिक शुद्धता और तकनीकी का युग शुरू हो चुका है। हर देश में क्रांति और आंदोलन हो रहे हैं। अब झूठ और फरेब ज्यादा दिन तक नहीं चलेगा।