ई-टिकट सेवा जन साधारण तक पहुँची
इंटरनेट से रेलवे के आरक्षित टिकट बुक कराने की सेवा अब अपना सफर तय करते- करते जनता जनार्दन के द्वार तक पहुँच गई है, जबकि एक समय सीमित लोग ही इसका उपयोग किया करते थे।रेलवे के हाल ही के आँकड़ों के अनुसार इंटरनेट पर बिके कुल टिकटों में निचली श्रेणी के टिकटों का प्रतिशत आधा से भी ज्यादा हो गया है।जब रेलवे टिकटों की बिक्री के लिए टिकटिंग सेवा की शुरुआत हुई तो 90 प्रतिशत टिकट वातानुकूलित (उच्च) श्रेणियों के बिकते थे। बाद में यह प्रतिशत गिरकर 80 और 70 होते हुए पिछले वर्ष 60 प्रतिशत तक पहुँच गया।वर्ष 2006-07 में इंटरनेट पर कुल 68 लाख टिकट बिके थे। इनमें उच्च श्रेणी के टिकट 60 प्रतिशत थे तो आम जनता की श्रेणी कहे जाने वाले शयनयान श्रेणी (स्लीपर क्लास) का टिकटों का हिस्सा 40 प्रतिशत था।चालू वित्तवर्ष 2007-08 के शुरुआती तीन महीने के जारी आँकड़ों के अनुसार इस दौरान कुल 29 लाख टिकट इंटरनेट के मार्फत बिके, जिनमें से 60 प्रतिशत टिकट स्लीपर क्लास के थे जबकि मात्र 40 प्रतिशत टिकट उच्च श्रेणी के।