मंगलवार, 16 अप्रैल 2024
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जानिए इंटरनेट से जुड़े ये रोचक तथ्य

जानिए इंटरनेट से जुड़े ये रोचक तथ्य - interesting facts of Internet world
हाल ही में लंदन के एक अंग्रेजी अखबार डेली मेल समाचार प्रकाशित किया गया था कि आने वाले आठ वर्षों में इंटरनेट का उपयोग इतना ज्यादा बढ़ जाएगा कि इसे चलाने वाली फाइबर केबल्स यह भार नहीं झेल पाएंगी और इंटरनेट धवस्त हो जाएगा, लेकिन इस तरह की आशंकाओं के बावजूद भी इंटरनेट का विकास तेजी से जारी है और वैज्ञानिक कोशिश कर रहे हैं कि ऐसी कोई स्थिति आने से पहले कोई विकल्प तलाश लिया जाए।

इसलिए स्वाभाविक है कि अगले दस वर्षों, 2025 तक हमें ऐसे कई बदलाव देखने को मिलेंगे जिनका सीधा असर न केवल हमारी जिंदगी पर वरन दुनिया भर के कारोबार, दूरसंचार, बाजारों और अन्य बहुत से क्षेत्रों पर पड़ेगा।
 
इंटरनेट से जुड़े कुछ तथ्‍यों को इस तरह समझा जा सकता है- 
*ऑप्टिकल फाइबर केबल की मदद से 255 टेराबाइट प्रति सेकेंड की गति हासिल की जा चुकी है और वैज्ञानिक इससे भी अधिक गति को पाने के लिए वैकल्पिक उपाय सोचने लगे हैं।
* दुनिया में मात्र 9.8 प्रतिशत लोगों के पास ही ब्रॉडबैंड कनेक्शन्स हैं।
* 25.3 एमबीपीएस दुनिया की सबसे अच्छी औसत स्पीड है जो साउथ कोरिया में उपलब्ध है।
* भारत में 500 किमी प्रति महीने इंटरनेट केबल बिछाई जा रही हैं जबकि जरूरत 30 हजार किमी प्रति महीने की है।
* 2.5 लाख गांवों को ब्रॉडबैंड सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए भारत सरकार 20 हजार करोड़ रुपए खर्च कर रही है।
* साल 2020 तक भारत में 50 करोड़ इंटरनेट यूजर्स हो जाएंगे।
* भारत दुनिया के उन चंद देशों में शामिल है जहां इंटरनेट के बंद होने की सबसे ज्यादा संभावना है। हाल में आई एक रिपोर्ट ने एक बार फिर भविष्य में हमारे यहां इंटरनेट बंद हो जाने की बात को पुख्ता किया है। इसकी मुख्य वजह भारत में इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स (ग्लोबल आईएसपी) की घटती हुई संख्या है।
* भारत मे इंटरनेट यूजर्स की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। यहां 12 करोड़ 10 लाख लोगों की इंटरनेट की पहुंच हो चुकी है, जो कि कुल जनसंख्या का करीब 10 फीसदी है। 
* दुनिया के सभी इंटरनेट यूजर्स देश में भारत कर हिस्सा 3 प्रतिशत है। यूज के मामले में भारत में इंटरनेट का यूज सबसे ज्यादा पोर्न फिल्में देखने के लिए किया जाता है।
* इंटरनेट का प्रयोग व्यक्तिगत जरूरतों जैसे बैंकिंग, ट्रेन इंफॉर्मेशन-रिजर्वेशन और अन्य सेवाओं के लिए भी होता है।
अगले पन्ने पर, भविष्य में ये होंगे बदलाव...
 
 

भविष्य में हमें इंटरनेट को लेकर बदलाव भी देखने को मिलेंगे- 
 
भारत में बनेगा दूसरा स्थान : जिन इलाकों में इंटरनेट नहीं पहुंचा है वहां इसकी पहुंच बढ़ेगी। एक अनुमान के मुताबिक अभी दुनिया भर में 42 प्रतिशत लोगों तक इंटरनेट पहुंचा है। इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन के अनुसार वर्ष 2020 तक इंटरनेट की पहुंच के मामले में भारत का दुनिया में दूसरा स्थान होगा। इसके लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं।
 
बढ़ेंगी कीमतें भी : इंटरनेट की कीमत को लेकर मतभेद हैं। जहां कुछ लोग मानते हैं कि इसकी कीमत में विशेष फर्क नहीं पड़ेगा वहीं कुछ लोगों का मानना यह भी है कि इसकी पहुंच बढ़ाने और मेंटेनेंस में होने वाले खर्च के चलते कीमत बढ़ सकती है, वहीं नेट न्यूट्रैलिटी का अटका हुआ मामला भी इसकी कीमत निर्धारण में भूमिका निभाएगा। हालांकि निकट भविष्य में इसके मुफ्त होने की संभावना नजर नहीं आती और यह भी आईपीएस की आमदनी बढ़ाने का जरिए बन सकता है। 
 
बढ़ेगी स्पीड भी :  इंटरनेट की स्पीड बढ़ाने की दिशा में लगातार काम हो रहा है। भारत में 4जी सेवाएं शुरू हो चुकी हैं और अब 5जी सेवाओं की तैयारी की जा रही है। वहीं ब्रॉडबैंड में अभी दुनियाभर की औसत इंटरनेट स्पीड 3.9 Mbps है। माना जा रहा है कि वर्ष 2025 तक यह स्पीड मेगाबाइट (MB) से गीगाबाइट (GB) तक पहुंच जाएगी। हालांकि प्रयोगशालाओं में तो स्पीट टेराबाइट तक हासिल की जा चुकी है लेकिन ऐसा सार्वजनिक उपयोग के लिए संभव नहीं हो सका है।
 
नई तकनीकों की शुरुआत : इंटरनेट से जुड़ी कई तरह की तकनीकें विकसित की जा रही हैं जो उपयोग, पहुंच और स्पीड बढ़ाने से जुड़ी हुई हैं। ऐसा माना जा रहा है कि वर्ष 2025 तक इंटरनेट मूलभूत सुविधा बन जाएगा। एमआईटी यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के अनुसार इंटरनेट वैसे ही हमारी जिंदगी में शामिल हो जाएगा जैसे बिजली हो चुकी है और एक अनिवार्य जरूरत बन जाएगा। 
 
अगले पन्ने पर, ये चार तकनीकें बनाएंगी जीवन को आसान...
 
 
 

सुविधाओं के लिए इंटरनेट ऑफ थिंग्स :  यह तकनीक इस समय सबसे ज्यादा चर्चित है। इसके जरिए आपके पास उपलब्ध टीवी, फ्रिज, कार, ओवन जैसा हर उपकरण और यहां तक कि आप भी इंटरनेट का हिस्सा बन जाएंगे। हर चीज आपस में जुड़ी होगी। उदाहरण के लिए फ्रिज में अगर सब्जी खत्म होती है तो इसकी जानकारी

आपके ग्रॉसरी स्टोर तक पहुंच जाएगी या आपके मोबाइल पर सब्जी खरीदने के लिए रिमाइंडर आ जाएगा। मोबाइल ऐप्स घर के उपकरणों को चलाएंगे। बैठने से पहले ही कार ट्रैफिक की सारी जानकारी इकट्ठी कर लेगी। फिटनेस ट्रैकर जैसे गैजेट्स इसकी महज शुरुआत हैं और माना जा रहा है कि 2020 तक दुनिया में 46 अरब डिवाइस होंगे, सारे इंटेलीजेंट और एक-दूसरे के सम्पर्क में रहने वाले होंगे। 
 
आसानी के लिए सीमैंटिक वेब : गूगल या याहू जैसे सर्च इंजन पर कोई विषय सर्च करते हैं तो एक साथ दुनियाभर के नतीजे सामने आ जाते हैं जिनमें से कई काम के नहीं होते। सीमैंटिक वेब तकनीक आपकी सर्च के नतीजे (जैसे लेख, वीडियो, वेबसाइट) आपकी लोकेशन, पसंद और जरूरत के मुताबिक देगी, जिससे नतीजे छांटना आसान हो जाएगा। 
 
पहुंच के लिए प्रोजेक्ट लून : गूगल द्वारा शुरू किए गए इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य ग्रामीण एवं सुदूरवर्ती क्षेत्रों में इंटरनेट पहुंचाना है। इसके लिए गूगल ने 15 मीटर व्यास के गुब्बारों को हवा में लगभग 20 किमी ऊपर भेजा है। इन गुब्बारों में इंटरनेट देने के लिए जरूरी उपकरण रखे जाते हैं। अभी इस प्रोजेक्ट की इंग्लैंड, न्यूजीलैंड में टेस्टिंग हो रही है।
 
गति के लिए ऑप्टिकल फाइबर : कम्युनिकेशन और इंटरनेट के क्षेत्र में अभी भी ऑप्टिकल फाइबर केबल्स का इस्तेमाल होता है और अब इन्हें और बेहतर बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। ऑप्टिकल फाइबर केबल्स की मदद से ही अभी दुनियाभर में डाटा ट्रांसफर होता है। ये केबल्स समुद्र के नीचे बिछी हुई हैं। अब इन्हीं केबल्स पर लोड बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। 
 
लेकिन इसके हल के लिए अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ सेंट्रल फ्लोरिडा ने ऐसी ऑप्टिकल फाइबर की खोज भी कर ली है जो मौजूदा ऑप्टिकल फाइबर की तुलना में 21 गुना तेज है। यानी इससे अभी की तुलना में ज्यादा डाटा कम समय में ट्रांसफर किया जा सकेगा जिससे इंटरनेट की गति बढ़ाने में मदद मिलेगी।
अगले पन्ने पर, सुविधाओं के साथ बढ़ेंगी परे‍शानियां भी... 
 

इंटरनेट के प्रसार से नई समस्याएं पैदा होंगी- 
 
प्राइवेसी पर मंडराया खतरा : इंटरनेट से अगर हर चीज जुड़ जाएगी तो आपकी निजी जिंदगी पर भी प्राइवेसी भंग होने का खतरा बढ़ जाएगा। हैकर्स के पास आपका नेटवर्क हैक करने के ज्यादा माध्यम होंगे क्योंकि आपका पूरा घर ही इंटरनेट पर होगा।
 
पिछड़ने का डर : तकनीक इतनी तेजी से बढ़ेगी कि हो सकता है हम उसके साथ न चल पाएं और आने वाले नतीजों का अनुमान न लगा पाएं। इंटरनेट पर निर्भरता बढ़ेगी तो हम दिमाग पर जोर देना कम कर देंगे जिससे दिमागी विकास कम होने का खतरा भी है।
 
भावनाओं पर असर : भले ही हम इंटरनेट से ज्यादा लोगों से जुड़ पाएंगे लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह जुड़ाव भावनात्मक कम होगा। हो सकता है कि हमें लोगों से ज्यादा अपने गैजेट्स से प्यार हो जाए जिससे अकेलापन बढ़ सकता है।
 
ध्वस्त होने की आशंका : इंटरनेट के बढ़ते उपयोग के बीच यह आशंका भी जताई जा चुकी है कि आठ साल बाद यह उपयोग इतना बढ़ जाएगा कि हो सकता है इंटरनेट ध्वस्त हो जाए क्योंकि हो सकता है कि समुद्र में बिछाई गई मौजूदा केबल्स इतने डाटा का भार न सह पाएं।
 
धरती के बाहर इंटरनेट : लेकिन इसके साथ ही इंटरनेट को अब धरती से बाहर और अन्य ग्रहों तक पहुंचाने की कोशिश हो रही है जिससे स्पेस साइंस को फायदा होगा। ग्रहों के बीच इंटरनेट नेटवर्क स्थापित करने की दिशा में लंबे समय से काम हो रहा है और इसे इंटप्लेनेटरी इंटरनेट नाम दिया गया है।