Grok AI पर लगेगी लगाम, क्या बोली केंद्र सरकार
सोशल मीडिया मंच एक्स को उसके कृत्रिम मेधा (AI) टूल 'ग्रोक' के जवाबों के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। इस बारे में जल्द ही एक कानूनी राय तय की जाएगी। हाल ही में एक्स पर यूजर्स ग्रोक से भारतीय राजनेताओं के बारे में विभिन्न सवाल पूछ रहे थे और एआई मंच के जवाब एक हद तक अरुचिकर थे। ग्रोक सोशल मीडिया मंच एक्स पर संचालित एक एआई टूल है। एक सरकारी सूत्र ने गुरुवार को यह बात कही।
यह पूछे जाने पर कि क्या ग्रोक द्वारा दिए गए जवाबों के लिए एक्स को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, सरकारी सूत्र ने कहा कि प्रथम दृष्टया, लगता है कि हां। यह मेरा व्यक्तिगत विचार है, लेकिन इसकी कानूनी रूप से समीक्षा की जानी चाहिए।
सूत्र ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय सोशल मीडिया मंच के साथ इसके कामकाज को समझने और उसका आकलन करने के लिए चर्चा कर रहा है।
पिछले साल सरकार गूगल के एआई टूल जेमिनी ने भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ कुछ अप्रिय जवाब दिए थे। इसके बाद सरकार ने तत्काल कार्रवाई की थी और एआई पर दिशानिर्देश जारी किए थे।
सूत्र ने कहा कि सोशल मीडिया सामग्री की जांच करने के लिए दिशानिर्देश लागू हैं और कंपनियों को उनका अनुपालन करने की जरूरत है। आईटी अधिनियम की धारा 79 (3) को चुनौती देने वाले सरकार के खिलाफ एक्स के मामले में सूत्र ने कहा कि सोशल मीडिया मंच की सामग्री को ब्लॉक करने संबंधी दलील पर अदालतें अंतिम फैसला सुनाएंगी।
एलन मस्क के स्वामित्व वाले मंच एक्स (पूर्व में ट्विटर) ने भारत सरकार के खिलाफ कर्नाटक उच्च न्यायालय में मुकदमा दायर किया है, जिसमें सामग्री विनियमन को गैरकानूनी और मनमाना बताया गया है।
एक्स ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 79 (3) (बी) के उपयोग पर भी चिंता जताई है। इसका तर्क है कि यह सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों का उल्लंघन करता है और ऑनलाइन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कमजोर करता है।
आधिकारिक सूत्र ने इस संदर्भ में कहा कि धारा 79 (3) (बी) तब लागू होती है जब कोई मध्यस्थ अधिकृत सरकारी निकायों के आदेश पर आपत्तिजनक सामग्री को नहीं हटाता है। यदि कोई सोशल मीडिया मंच उपयोगकर्ता द्वारा उत्पन्न सामग्री की जिम्मेदारी या स्वामित्व लेने को तैयार है, तो उस पर मुकदमा चलाया जा सकता है, और सोशल मीडिया मंच के पास अभियोजन के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाने का विकल्प हमेशा रहेगा। अंततः अदालतें ही इस मामले में अंतिम फैसला सुनाएंगी। (भाषा)