Mauganj Madhya Pradesh Violence : मऊगंज जिले में आदिवासियों द्वारा पुलिस दल पर किए गए हिंसक हमले में एक सहायक उपनिरीक्षक की मौत के एक दिन बाद, मध्य प्रदेश के पुलिस महानिदेशक कैलाश मकवाना स्थिति का आकलन करने के लिए रविवार को रीवा पहुंचे। राज्य के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की बात कही। पुलिस ने मऊगंज से करीब 25 किलोमीटर दूर स्थित गदरा गांव में तलाशी अभियान चलाया और 6 लोगों को गिरफ्तार किया। अन्य आरोपियों की तलाश जारी है। एएसआई रामचरण गौतम का पार्थिव शरीर अंतिम संस्कार के लिए सतना जिले के उनके पैतृक गांव पवैया ले जाया गया है।
शनिवार को मऊगंज में आदिवासियों के एक समूह ने एक व्यक्ति का अपहरण कर उसकी हत्या कर दी और फिर उसे बचाने का प्रयास करने वाले पुलिस दल को निशाना बनाया, जिसके परिणामस्वरूप एक सहायक उप-निरीक्षक (एएसआई) की मौत हो गई। गदरा में स्थिति नियंत्रण में है और पुलिसकर्मियों की भारी तैनाती की गई है। सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 पहले ही इलाके में लागू की जा चुकी है।
कोल जनजाति के लोगों के एक समूह ने सनी द्विवेदी नामक एक व्यक्ति का अपहरण कर लिया और उसे कई महीने पहले एक आदिवासी व्यक्ति अशोक कुमार की मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, कुमार की मौत एक सड़क हादसे में हुई थी, लेकिन कोल जनजाति का मानना था कि द्विवेदी इसमें शामिल था।
अधिकारियों के मुताबिक, द्विवेदी के अपहरण की सूचना मिलने के बाद शाहपुर पुलिस थाने के प्रभारी संदीप भारतीय के नेतृत्व में एक दल उसे बचाने के लिए गदरा गांव रवाना किया गया। हालांकि जब तक दल वहां पहुंचा तब तक उसकी एक कमरे में पिटाई के बाद मौत हो चुकी थी। जब पुलिस ने बंधक द्विवेदी को वहां से निकालने के लिए कमरे को खोलने का प्रयास किया, तो पुलिसकर्मियों पर लाठी-डंडों और पत्थरों से लैस लोगों ने हमला कर दिया।
एक अधिकारी ने बताया कि इस घटना के बाद मची अफरातफरी में विशेष सशस्त्र बल के सहायक उप निरीक्षक (एएसआई) रामचरण गौतम गंभीर रूप से घायल हो गए और बाद में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। इस घटना में अन्य अधिकारी भी घायल हो गए जिन्हें तुरंत स्थानीय अस्पतालों में ले जाया गया। हमले के बाद, पुलिस को भीड़ को तितर-बितर करने और अपने कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हवा में गोलियां चलानी पड़ीं।
रीवा क्षेत्र के पुलिस उप महानिरीक्षक साकेत पांडेय ने रविवार को पुष्टि की कि छह संदिग्धों को गिरफ्तार कर लिया गया है, और पुलिस हमले में शामिल अन्य लोगों की तलाश कर रही है। पुलिस ने अन्य अपराधियों की पहचान करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है।
रीवा संभाग के आयुक्त बीएस जामोद ने बताया कि घटना में घायल हुए सात अधिकारियों और सरकारी कर्मचारियों का विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है। उन्होंने बताया, एक तहसीलदार और एक पुलिस उपनिरीक्षक को सिर में चोट आई है, जिनका रीवा के संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल में इलाज हो रहा है, जबकि पांच पुलिसकर्मियों का मऊगंज जिला अस्पताल में उपचार किया जा रहा है।
रीवा में डीजीपी मकवाना ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की और संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल में घायल तहसीलदार और पुलिस उपनिरीक्षक से मुलाकात की। डीजीपी की बाद में मऊगंज जाने की भी योजना थी। इससे पहले दिन में मुख्यमंत्री यादव ने कहा था कि उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों को घटनास्थल पर पहुंचने का निर्देश दिया है।
उन्होंने कहा था, मऊगंज में कल जो हुआ वह दुखद है। एक एएसआई की जान चली गई, जबकि कई अन्य घायल हो गए। स्थिति नियंत्रण में है और मैंने वरिष्ठ अधिकारियों को तुरंत घटनास्थल पर पहुंचने का निर्देश दिया है। गृह विभाग का प्रभार संभाल रहे यादव ने एक पोस्ट में कहा कि उन्होंने इस अमानवीय और दुर्भाग्यपूर्ण घटना के सभी आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
उन्होंने बताया कि मऊगंज जिले के शाहपुर थाना क्षेत्र के गदरा गांव में दो गुटों के बीच विवाद की सूचना पर पहुंची पुलिस टीम, एसएचओ, तहसीलदार पर हुए दुर्भाग्यपूर्ण हमले के दौरान एएसआई रामचरण गौतम की मौत हो गई। उन्होंने बताया कि घटना में घायल अन्य पुलिसकर्मियों को उपचार के लिए रीवा के अस्पताल भेजा गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि घटना के तुरंत बाद क्षेत्र में धारा 163 (बीएनएसएस) लागू कर दी गई और डीआईजी (उप महानिरीक्षक) रीवा, एसपी (पुलिस अधीक्षक) मऊगंज और अन्य पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे और स्थिति को नियंत्रित किया। यादव ने कहा था, रीवा जोन के एडीजी (अतिरिक्त महानिदेशक) घटनास्थल पर पहुंच रहे हैं। मैंने पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को भी घटनास्थल पर पहुंचकर (क्षेत्र में स्थिति का) निरीक्षण करने का निर्देश दिया है।
एएसआई रामचरण गौतम का पार्थिव शरीर अंतिम संस्कार के लिए सतना जिले के उनके पैतृक गांव पवैया ले जाया गया है। इस बीच कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने दावा किया कि राज्य में कानून-व्यवस्था ध्वस्त हो गई है। उन्होंने कहा कि राज्य के मंडला जिले में हाल ही में नक्सल विरोधी अभियान में मारा गया व्यक्ति निर्दोष आदिवासी था न कि कोई माओवादी।
पटवारी ने कहा कि उन्हें यह भी जानकारी मिली है कि पुलिस ने इंदौर में कुछ वकीलों के साथ मारपीट की है और अगले ही दिन वहां वकीलों ने पुलिसकर्मियों की पिटाई कर दी। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया, पुलिस ने मऊगंज में आदिवासियों पर अत्याचार किया, जिसके जवाब में आदिवासियों ने पुलिस पर हमला कर दिया। पटवारी ने कहा, मध्यप्रदेश में कानून व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour