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Written By वार्ता
Last Modified: नई दिल्ली , शुक्रवार, 22 जून 2007 (18:11 IST)

एफएम रेडियो का बढ़ता वर्चस्व

एफएम रेडियो का बढ़ता वर्चस्व -
फिक्की ने अपने ज्ञापन में कहा है कि रेडियो उद्योग अप्रत्याशित रूप से आगे बढ रहा है और इस क्षेत्र की सकल वार्षिक वृद्धि दर 28 फीसदी है जबकि पूरे उद्योग जगत 18 फीसदी की दर से आगे बढ रहा है। गौरतलब है कि वर्तमान में एफएम रेडियो में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफ्डीआई) की अधिकतम सीमा 20 फीसदी है, जबकि सैटेलाइट रेडियो के लिए ऐसी कोई सीमा तय नहीं है।

फिक्की ने इस उद्योग को सतत बनाए रखने के लिए सैटेलाइट रेडियो की तर्ज पर इस क्षेत्र में एफ्डीआई नियमों को युक्तिसंगत बनाने की मांग की है। संगठन ने इस संबंध में वर्ल्ड स्पेस सैटेलाइट रेडियो का उदाहरण दिया है, जिसमें टीवी चैनलों के समाचार और अन्य समसामयिक कार्यक्रम प्रसारित होते है।

यह चैनल भारत में बड़ी तेजी के साथ प्रगति कर रहा है और उसे सैटेलाइट स्टेशन होने का फायदा मिल रहा है जबकि वह अपने राजस्व का मात्र चार फीसदी हिस्से की ही साझेदारी कर रहा है।

फक्की ने कहा है कि एफएम रेडियो को दस वर्ष के लिए लाइसेंस जारी किए जाते है एवं इसके लिए स्वतः विस्तार की सुविधा नहीं है और हमारा अनुरोध है कि यह प्रारूप सैटेलाइट रेडियो के लिए भी अपनाया जाए

सूचना प्रसारण मंत्रालय को सौपे गए ज्ञापन में । फिक्की ने कहा है कि किसी प्रसारक को एक ही शहर में कइ लाइसेंस जारी नहीं किए जा सकता है। उसने कहा है कि इस क्षेत्र में अपेक्षित प्रगति करने के लिए प्रत्येक शहर में कम से कम दो एफएम चैनल चलाने की अनुमति दी जाए और राष्ट्रीय स्तर पर एफएम रेडियो के स्वामित्व के लिए सीमा तय नहीं की जानी चाहिए।

फिक्की ने कहा है कि सरकार लाइसेंस के हस्तांतरण और उसका व्यापार करने की अनुमति दे ताकि कोई कंपनी आसानी से अपने व्यापार को समेट सके।