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Written By भाषा

कप्तानी की पहली पसंद नहीं थे वॉर्न

शेन वॉर्न
शेन वॉर्न के कुशल नेतृत्व से कमजोर राजस्थान रॉयल्स ने आईपीएल के पहले सत्र में विजेता बनकर क्रिकेट जगत को हतप्रभ कर दिया था, लेकिन एक नई किताब में खुलासा किया गया है कि यह ऑस्ट्रेलियई स्पिन दिग्गज कप्तानी के लिए पहली पसंद नहीं थे।

आलम श्रीनिवास और टीआर विवेक ने अपनी किताब 'आईपीएल एन इनसाइड स्टोरी' में लिखा है कि जयपुर टीम के मालिक मनोज बदाले को खिलाड़ियों की पहली नीलामी में वॉर्न को मन मारकर लेना पड़ा।

किताब के अनुसार असल में वॉर्न कभी जयपुर टीम की कप्तानी के लिए पहली पसंद नहीं थे। बदाले ने हमारे साथ खास साक्षात्कार के दौरान यह बात साफ कर दी थी। हमारी पहली पसंद ग्रीम स्मिथ थे क्योंकि हम वॉर्न के इर्द-गिर्द टीम गठित नहीं करना चाहते थे। इसके बजाय हमने व्यक्तिगत भूमिका और रिकॉर्ड के आधार पर टीम का चयन किया।

किताब में एक फ्रेंचाइजी के सीईओ के हवाले से पहली नीलामी की बातों का खुलासा भी किया गया है। यह सीईओ उस नीलामी में उपस्थित था। जयपुर टीम को तब नीलामी प्रक्रिया को विफल होने से बचाने के लिए अकस्मात ही वॉर्न को खरीदना पड़ा।

इसमें कहा गया है कि वॉर्न 78 खिलाड़ियों की सूची में नीलामी के लिए पहले नाम थे, लेकिन कोई भी उन्हें रिजर्व मूल्य में नहीं खरीदना चाहता था। इससे नीलामी कुछ मिनट के अंदर ही विफल होती दिख रही थी।

किताब के अनुसार चूँकि ललित मोदी के कुछ हित जयपुर टीम से जुड़े थे इसलिए उन्होंने बदाले और कंपनी को आँखों से नीलामी की शुरुआत करने के लिए कहा।

जयपुर टीम ने इस आस में प्लेकार्ड उठाया कि अन्य टीमें भी नीलामी में कूदेंगी लेकिन किसी भी अन्य टीम ने वॉर्न पर दाँव नहीं लगाया। इस तरह से जयपुर टीम को मन मसोसकर वॉर्न को लेना पड़ा।