भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की समर्थित इंडियन प्रीमियर लीग की शुरुआत में किसी ने ख्वाब में भी नहीं सोचा था कि जिन आठ टीमों पर कई सौ करोड़ों रुपए दाँव पर लगाए जा रहे हैं, उन पर भारतीयों के बजाय ऑस्ट्रेलियंस राज करेंगे। इसमें कोई दो मत नहीं कि आईपीएल दर्शकों को पूरी तरह अपने आगोश में लेने में सफल रहा और क्रिकेट का रोमांच भी अपने चरम पर पहुँचा। कमाई के मामले में भी अच्छी टीमों के फ्रेंचाइजी मुनाफे की जोड़-तोड़ में जुटे हुए हैं।
पहले ट्वेंटी-20 विश्वकप को जीतने के बाद क्रिकेट जगत में नई क्रांति का सूत्रपात हुआ और इसी से प्रेरणा लेकर भारत में आईपीएल की संरचना की गई ताकि भारतीय क्रिकेट प्रेमियों को दुनिया के दिग्गजों का एक मंच पर अपना शानदार प्रदर्शन देखने का मौका मिल सके। बड़े विदेशी नामों खासकर ऑस्ट्रेलियाई दिग्गजों को जिन टीमों ने बहुत बड़ी रकम देकर खरीदा, उनमें से पोटिंग को छोड़कर लगभग सभी खिलाड़ी अपने फ्रेंचाइजी को संतुष्ट करने में कामयाब रहे।
एडम गिलक्रिस्ट ने ट्वेंटी-20 के इतिहास का सबसे तेज शतक (42 गेंद, 9 चौके 9 छक्के) पर अपना नाम चस्पा किया और मुंबई को उसी के घर में 10 विकेट से रौंद दिया। ग्रोइन चोट की वजह से चौथे मैच में भी मैदान से बाहर बैठे कप्तान सचिन तेंडुलकर अपनी टीम मुंबई इंडियन्स की शर्मनाक पराजय का तमाशा देखते रहे।
ऐसा लगता है कि जिन उद्देश्यों के साथ भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने इस टूर्नामेंट की शुरुआत करवाई है, उसमें वह कामयाब होता नहीं दिखाई दे रहा है। करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी घरेलू सितारे भारतीय क्रिकेटप्रेमियों पर अपनी छाप छोड़ने में नाकाम ही रहे। युवा भारतीय प्रतिभाओं में भी ऐसा एक भी खिलाड़ी नहीं उभरा, जिसका नाम जुबाँ पर चढ़ सके।
आईपीएल के अब तक 14 मैच खेले जा चुके हैं और इनमें से एक मैच में ऐसा कोई बल्लेबाज सामने नहीं आया, जिससे यह लगे कि भारत वाकई ट्वेंटी-20 का विश्व विजेता है। सोने के सिक्के में तौले गए ये क्रिकेटर अपनी चाल-ढाल ही भूल गए हैं। कुल 14 मैचों में से 12 मैचों के 'मैन ऑफ द मैच' पुरस्कार पर विदेशियों ने कब्जा जमाया, जबकि भारत की तरफ से केवल दो बल्लेबाज सहवाग (94) और यूसुफ पठान 61 रन बनाकर यह सम्मान अर्जित करने में सफल रहे।
क्या किसी भारतीय सितारे की बाजुओं में मैथ्यू हैडन जैसी खिलाड़ी जैसी ताकत है? क्या एडम गिलक्रिस्ट (एक दिवसीय क्रिकेट से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संन्यास ले चुके) के बल्ले जैसी मारक क्षमता किसी भारतीय में है? या फिर क्या किसी हिन्दुस्तानी में ब्रेट ली जैसे तूफानी गेंदबाज की तर्ज पर गेंदबाजी करने का दमखम है? शायद नहीं। आईपीएल का टूर्नामेंट विदेशी और खासकर ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों के बीच सिमट कर रह गया है और भारतीय सितारों के लिए बजने वाली तालियों पर एक तरह से कंगारुओं ने कब्जा जमा लिया और वे इसके हकदार भी हैं।
तीन विश्वकप पर कब्जा जमाने वाले ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर अचानक किसी धूमकेतु की तरह क्रिकेट के आकाश पर नहीं चमके, बल्कि वर्षों की मेहनत, लगन और अपने जुझारू खेल के बूते तक इस मुकाम को हासिल करने में सफल रहे हैं।
ऑस्ट्रेलियाई टीम की यही खूबी है कि वह हर मैच को रणनीति की तरह लेती है और वहाँ पर 10 खिलाड़ी के बाद देखा जाता है कि कप्तान की जगह टीम में बन रही है या नहीं?
ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों की खूबी देखिए कि वहाँ जब खिलाड़ी खुद यह महसूस करने लगता है कि गेंद पर उसकी नजर कमजोर पड़ने लगी है तो स्वयं को टीम से हटाने के लिए तैयार हो जाता है। यहाँ पर विकेटकीपर एडम गिलक्रिस्ट का उदाहरण प्रासंगिक है कि जब कुछ मौकों पर वे गेंद को चूक गए तो उन्होंने अचानक एक दिवसीय मैचों से संन्यास लेने का ऐलान कर दिया और आज वही गिलक्रिस्ट दक्षिण अफ्रीका के खूँखार गेंदबाज शान पोलक की गेंद पर गगनभेदी छक्के उड़ा रहे हैं।
इसमें कोई दो मत नहीं कि इंडियन प्रीमियर लीग ने विदेशी खिलाड़ियों की जेबों में लाखों डॉलर ठूँसे और खिलाड़ियों ने भी अपने प्रदर्शन से उन्हें संतुष्ट किया, सिवाय रिकी पोंटिंग के। विदेशी क्रिकेटरों में न्यूजीलैंड के ब्रेडम मैकुलम कोलकाता नाइट राइडर्स की शान बने हुए हैं और उन्होंने अपनी लाजवाब पारी से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया है।
अब तक हुए 14 मैचौं के टॉप टेन स्कोरर : न्यूजीलैंड के ब्रेंडम मैकुलम आईपीएल के 14 मैचों में अब तक सिर्फ तीन मैचों में कुल 187 रनों के साथ शीर्ष पर हैं। मैकुलम ने राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ नाबाद 158 रनों की पारी खेली थी। मैकुलम के नाम सर्वाधिक 15 छक्के और 15 चौके दर्ज है। ऑस्ट्रेलिया के मैथ्यू हैडन चेन्नई सुपर किंग का अहम हिस्सा हैं। उन्होंने तीन मैचों में 176 रन ठोंके हैं। एक मैच में 'मैन ऑद मैच' रहे हैडन अब तक 22 चौके और 6 छक्के लगा चुके हैं।
श्रीलंका के स्टार बल्लेबाज कुमार संगकारा किंग्स इलेवन पंजाब का प्रतिनिधित्व करते हुए सर्वाधिक रन बनाने वालों की सूची में 172 रनों के साथ तीसरे (4 मैच, 22 चौके 4 छक्के), ऑस्ट्रेलिया के शेन वॉटसन राजस्थान की ओर से खेलते हुए 162 रन बनाकर चौथे (4 मैच, 16 चौके 7 छक्के), ऑस्ट्रेलिया के ही एंड्रयू साइमंड्स डेक्कन चार्जर्स की ओर से खेलते हुए 161 रन बनाकर पाँचवे (4 मैच, 15 चौके 9 छक्के), एडम गिलक्रिस्ट डेक्कन की ओर से खेलते हुए 153 रन बनाकर छठे (4 मैच 13 चौके, 13 छक्के) स्थान पर हैं।
किंग्स इलेवन पंजाब के कप्तान युवराजसिंह कुल 138 रन बनाकर सातवें (4 मैच, 11 चौके, 8 छक्के), ऑस्ट्रेलिया के माइक हसी चेन्नई सुपर किंग्स की ओर से खेलते हुए 121 रनों के साथ आठवें (3 मैच, 9 चौके, 9 छक्के), दक्षिण अफ्रीका के ग्रीम स्मिथ राजस्थान रॉयल्स की ओर से खेलते हुए 120 रन के साथ नौंवे (2 मैच, 17 चौके 2 छक्के) और मुंबई इंडियन्स के रॉबिन उथप्पा 118 रनों के साथ दसवें (4 मैच, 14 चौके, 3 छक्के) स्थान पर चल रहे हैं।
टॉप टेन में सिर्फ दो भारतीय : इस तरह टॉप 10 स्कोरर में भारत से केवल 2 बल्लेबाज युवराज और रॉबिन उथप्पा ही अपनी जगह बना पाए हैं। आईपीएल में ट्वेंटी-20 की विश्व विजेता टीम के कप्तान महेन्द्रसिंह धोनी (चेन्नई सुपर किंग्स के कप्तान) के अलावा सौरव गांगुली, राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण से काफी उम्मीदें थीं कि वे घरेलू मैदानों पर अपने जलवे बिखेरेंगे लेकिन ये सितारे जिस-जिस टीम की कमान संभाले हुए हैं, उन्हें जीत मेहमान बल्लेबाजों और गेंदबाजों की बदौलत ही मिली है।
दिल्ली डेयरडेविल्स जिसकी कमान वीरेन्द्र सहवाग के हाथों में है, वे सिर्फ एक मैच में ही अपना कमाल दिखा सके हैं। इस टूर्नामेंट के जरिए क्षेत्रवाद का विवाद भी उभरकर सामने आया है। यदि दिल्ली का कप्तान दक्षिण में जाकर उम्दा पारी खेलकर 'मैन ऑफ द मैच' बनता है तो दक्षिण भारतीयों को यह गले नहीं उतरता। यह रोष खुद सहवाग भी व्यक्त कर चुके हैं।
यदि श्रीसंथ जोश में आकर अपनी टीम को उत्साह बढ़ाते हैं तो हरभजन इतने क्रूर हो जाते हैं कि गाल पर चाँटा नहीं मुक्का जड़ देते हैं। क्या नोटों के दम पर भारतीय क्रिकेट को बाँटने की साजिश रची जा रही है? भारतीय बहुत भावुक होते हैं और अपने उपर हुए अन्याय को वे ताउम्र याद रखते हैं। क्या कभी हरभजन और श्रीसंथ ड्रेसिंग रूम में साथ नहीं होंगे? तब क्या श्रीसंथ उस अपमान और आँसुओं को भूल जाएँगे जिन्हें पूरी दुनिया ने मोहाली में देखा था?
बहरहाल, बात आईपीएल और उसमें विदेशी खिलाड़ियों के चमत्कारिक प्रदर्शन की हो रही है। इसका समापन यह है कि विदेशी खिलाड़ियों ने भारतीयों का जमकर मनोरंजन किया और दूसरी तरफ हमारी नजरें जिन्हें बहुत बड़ा खिलाड़ी मानती हैं, उन्होंने अपने प्रदर्शन से शर्मसार किया।
अब जरा उन सितारों के आँकड़ों पर भी गौर फरमा लीजिए, जिन्हें आप टीवी पर न जाने कितने विज्ञापनों में देखते हैं और उनके जैसा बनना चाहते हैं। महेन्द्रसिंह धोनी ने 3 मैचों में कुल 75, सौरव गांगुली ने तीन मैचों में सिर्फ 36, राहुल द्रविड़ ने तीन मैचों में 34, वीवीएस लक्ष्मण ने 4 मैचों में 54 रन बनाए हैं। क्या आँकड़े आपको लज्जित नहीं करते?
आईपीएल का असली आनंद तो तब आएगा जब ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर अपनी राष्ट्रीय प्रतिबद्धता की वजह से स्वदेश लौट जाएँगे। इस पूरे आईपीएल में शेन वॉर्न की तारीफ न करना उनके साथ नाइन्साफी होगी।
राजस्थान रॉयल्स की जिस टीम को सबसे कमजोर माना जा रहा था, वही टीम सबके सामने चुनौती साबित हो रही है। शेन वॉर्न की कप्तानी वाली इस टीम में कोई बड़े नामी सितारे नहीं है, बावजूद इसके कि वह तीन 4 में से 3 मैच जीतकर अंक तालिका में चेन्नई सुपर किंग (3) के साथ 6 अंकों के साथ संयुक्त रूप से शीर्ष पर है।