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Last Modified: मंगलवार, 23 जनवरी 2018 (22:02 IST)

आतंकवाद, संरक्षणवाद और जलवायु परिवर्तन सबसे बड़ा खतरा : मोदी

आतंकवाद, संरक्षणवाद और जलवायु परिवर्तन सबसे बड़ा खतरा : मोदी - World Economic Forum, Narendra Modi
दावोस। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यहां दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक पंचायत को संबोधित करते हुए कहा कि आज दुनिया में आतंकवाद, संरक्षणवाद और जलवायु परिवर्तन सबसे बड़ा खतरा हैं जिनसे दुनिया को एकजुट होकर निपटने की जरूरत है।


विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की 48वीं सालाना बैठक का उद्घाटन करते हुए मोदी ने दुनियाभर के निवेशकों को भारत में निवेश का आह्वान किया। इस अवसर पर उन्होंने दुनिया के अनेक देशों में बढ़ती संरक्षणवादी प्रवृति पर भी चिंता जाहिर की। डब्ल्यूईएफ की बैठक को संबोधित करने वाले मोदी पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं। इससे पहले 1997 में तत्कालीन प्रधानमंत्री एच डी देवेगौडा ने मंच की बैठक में शिरकत की थी।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपना भाषण हिन्दी में दिया। मोदी ने कहा कि पिछले 20 सालों के दौरान दुनिया में काफी कुछ बदला है। उन्होंने अपने संबोधन में इन 20 सालों के दौरान प्रौद्योगिकी से लेकर दुनिया की सोच और पर्यावरण में आए बदलाव का जिक्र किया।

उन्होंने आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन और बढ़ती संरक्षणवादी प्रवृति को दुनिया के लिए बड़ा खतरा बताया। प्रधानमंत्री ने कहा, जिन चुनौतियों की ओर मैं इशारा कर रहा हूँ उनकी संख्या भी बहुत है और विस्तार भी व्यापक है। पर यहां मैं सिर्फ तीन प्रमुख चुनौतियों का जिक्र करुंगा जो मानव सभ्यता के लिए सबसे बड़े ख़तरे पैदा कर रही हैं।

पहला खतरा है जलवायु परिवर्तन का। ग्लेशियर पीछे हटते जा रहे हैं। आर्कटिक की बर्फ पिघलती जा रही है। बहुत से द्वीप डूब रहे हैं, या डूबने वाले हैं। बहुत गर्मी और बहुत ठंड, बेहद बारिश और बाढ़ या बहुत सूखा इस तरह के चरमता की हद तक पहुंचे मौसम का प्रभाव दिन-ब-दिन बढ़ रहा है।

दुनिया भर से यहां जुटे नेताओं, उद्योंगपतियों और नीतिनिर्माताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, इन हालात में होना तो यह चाहिए था कि हम अपने सीमित संकुचित दायरों से निकलकर एकजुट हो जाते। लेकिन क्या ऐसा हुआ? और अगर नहीं, तो क्यों? और हम क्या कर सकते हैं जो इन हालात में सुधार हो।

हर कोई कहता है कि  कार्बन उत्सर्जन कम करना चाहिए। लेकिन ऐसे कितने देश या लोग हैं जो विकासशील देशों और समाजों को उपयुक्त प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराने के लिए आवश्यक संसाधन मुहैया कराने में मदद करना चाहते हैं। 

इस लंबे भाषण में उन्होंने वसुधैव कुटुम्बकम् के भारतीय दर्शन, प्रकृति के साथ गहरे तालमेल की भारतीय परम्परा और भारतीय उपनिषदों का जिक्र करते हुए दुनिया के देशों से मौजूदा चुनौतियों को पार पाने का मंत्र दिया। उन्होंने कहा, आज पर्यावरण में व्याप्त भयंकर कुपरिणामों के इलाज का एक अचूक नुस्खा है – प्राचीन भारतीय दर्शन का मानव और प्रकृति के बीच सामंजस्य।

यही नहीं, इस दर्शन से जन्मी योग और आयुर्वेद जैसी भारतीय परम्पराओं की समग्र पद्धति न सिर्फ परिवेश और हमारे बीच की दरांरों को पाटी सकती है, बल्कि हमें शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य और संतुलन भी प्रदान करती है।

उन्होंने वातावरण को बचाने और जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के लिए अपनी सरकार की पहल के बारे में भी बताया। एक बहुत बड़ा लक्ष्य मेरी सरकार ने देश के सामने रखा है। सन् 2022 तक हमें भारत में 175 गीगावाट की नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन करना है। पिछले करीब तीन वर्षों में 60 गीगावाट, यानी इस लक्ष्य का एक तिहाई से भी अधिक हम प्राप्त कर चुके हैं।

उन्होंने कहा कि इसी संदर्भ में 2016 में भारत और फ्रांस ने मिलकर एक नई अंतरराष्ट्रीय संधि संगठन की कल्पना की। अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन नामक क्रांतिकारी क़दम अब एक सफल प्रयोग में बदल गया है। अब एक वास्तविकता है। मुझे बेहद ख़ुशी है कि इस वर्ष मार्च में फ्रांस के राष्ट्रपति मैंक्रॉ और मेरे संयुक्त निमंत्रण पर इस गठबंधन के सदस्य देशों के तमाम नेता नई दिल्ली में होने वाले सम्मेलन में भाग लेंगे।

मोदी ने कहा, दूसरी बड़ी चुनौती है आतंकवाद। इस संबंध मेँ भारत की चिंताओं और विश्वभर में पूरी मानवता के लिए इस गम्भीर ख़तरे के बढ़ते और बदलते हुए स्वरूप से आप भली-भांति परिचित हैं। मैं यहाँ सिर्फ दो आयामों पर आपका ध्यान खींचना चाहता हूँ। आतंकवाद जितना ख़तरनाक है उससे भी ख़तरनाक है अच्छा आतंकवाद और खराब आतंकवाद के बीच बनाया गया कृत्रिम भेद।

दूसरा समकालीन गंभीर पहलू जिस पर मैं आपका ध्यान चाहता हूँ वह है पढ़े-लिखे और सम्पन्न युवाओं का कट्टरपंथी होकर आतंकवाद में लिप्त होना। मुझे आशा है कि इस फोरम में आतंकवाद और हिंसा की दरारों से हमारे सामने उत्पन्न गंभीर चुनौतियों पर और उनके समाधान पर चर्चा होगी। प्रधानमंत्री ने तीसरी गंभीर चुनौती के रूप में संरक्षणवाद का जिक्र किया।

उन्होंने कहा, बहुत से समाज और देश ज्यादा से ज्यादा आत्ककेन्द्रित होते जा रहे हैं। ऐसा लगता है कि वैश्वीकरण अपने नाम के विपरीत सिकुड़ता जा रहा है। उन्होंने कहा, इस प्रकार की मनोवृत्तियों और गलत प्राथमिकताओं के दुष्परिणाम को जलवायु परिवर्तन या आतंकवाद के ख़तरे से कम नहीं आंका जा सकता। मोदी ने कहा कि हर कोई आपस में जुड़े विश्व की बात करता है लेकिन वैश्वीकरण की चमक कम हो रही है।

मोदी ने कहा, वैश्वीकरण के विपरीत संरक्षणवादी ताकतें सर उठा रहीं हैं। उनकी मंशा है कि न सिर्फ वे खुद वैश्वीकरण से बचें बल्कि वैश्वीकरण के प्राकृतिक प्रवाह का रुख भी पलट दें। इसका एक परिणाम यह है कि नए-नए प्रकार के शुल्क और गैर-शुल्कीय प्रतिबंध देखने को मिल रहे हैं। द्विपक्षीय और बहुपक्षीय व्यापार समझौते और वार्ताएं रुक-से गए हैं। सीमा पार वित्तीय निवेश में ज्यादातर देशों में कमी आई है और वैश्विक आपूर्ति श्रंखला की वृद्धि भी रुक गई है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस समस्या का समाधान परिवर्तन को समझने और उसे स्वीकारने में है, बदलते हुए समय के साथ चुस्त और लचीली नीतियां बनाने में है। उन्होंने कहा, भारत और भारतीयों ने पूरे विश्व को एक परिवार माना है। विभिन्न देशों में भारतीय मूल के तीन करोड़ लोग रह रहे हैं। जब हमने पूरी दुनिया को अपना परिवार माना है, तो दुनिया के लिए भी हम भारतीय उनका परिवार हैं।

दुनियाभर के निवेशकों का भारत में निवेश के लिए आह्वान करते हुए उन्होंने कहा, मैं आप सबका आह्वान करता हूं कि अगर आप वेल्थ के साथ वैलनेस चाहते हैं, तो भारत में काम करें। अगर आप स्वास्थ्य के साथ जीवन की समग्रता चाहते हैं तो भारत में आएं। अगर आप समृद्धि के साथ शांति चाहते हैं तो भारत में रहें। आप भारत आएं, भारत में हमेशा आपका स्वागत होगा।

प्रधानमंत्री ने कहा आज भारत में निवेश करना, भारत की यात्रा करना, भारत में काम करना, भारत में विनिर्माण करना और भारत से अपने उत्पादों सवं सेवाओं को दुनिया भर में निर्यात करना, सभी कुछ पहले की तुलना में बहुत आसान हो गया है। हमने लाइसेंस-परमिट राज को जड़ से ख़त्म करने का प्रण लिया है। लालफीताशाही हटा कर हम लाल कालीन बिछा रहे हैं। अर्थव्यवस्था के लगभग सभी क्षेत्र प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए खुल गए हैं। 90 प्रतिशत से अधिक में स्वमंजूरी मार्ग से निवेश सम्भव है। केंद्र एवं राज्य सरकारों ने मिल कर सैकड़ों सुधारों को आगे बढ़ाया है। 1400 से अधिक ऐसे पुराने कानून, जो व्यावसाय में, प्रशासन में और आम इंसान के रोजमर्रा के जीवन में अडचनें डाल रहे थे, ऐसे पुराने कानूनों को हमने ख़त्म कर दिया है।

उन्होंने जीएसटी लागू करने का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, 70 साल के स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार देश में एक एकीकृत कर व्यवस्था वस्तु एवं सेवाकर (जीससटी) के रूप में लागू कर ली गई है। पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए हम प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर रहे हैं। अब भारत के लोग, भारत के युवा 2025 में 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था के निर्माण में योगदान के लिए समर्थ हैं। (भाषा)
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