व्लादिमीर पुतिन की बड़ी जीत, चौथी बार बनेंगे रूस के राष्ट्रपति
मॉस्को। रूस में राष्ट्रपति चुनाव में भारी बहुमत से जीत दर्ज करने के बाद व्लादिमिर पुतिन का फिर से 6 साल के लिए सत्ता में काबिज रहना सोमवार को तय हो गया। अभी तक केवल करीबी सहयोगियों ने पुतिन को इस जीत पर बधाई दी है, क्योंकि हाल में पश्चिम के साथ रूस के रिश्तों में गिरावट आई है। करीब 2 दशक से रूस पर शासन कर रहे पुतिन ने 76.67 प्रतिशत मतों के साथ अब तक का सबसे शानदार चुनावी प्रदर्शन किया है, हालांकि उन्होंने अनिश्चितकाल तक सत्ता में बने रहने की संभावना को खारिज कर दिया। बहरहाल विपक्ष ने चुनाव में धांधली का आरोप लगाया है। पुतिन अब कम से कम वर्ष 2024 तक सत्ता में बने रहेंगे और वे स्टालिन के बाद देश में सबसे लंबे समय तक सत्ता में रहने वाले नेता बन गए हैं।
हालांकि उन्होंने आजीवन राष्ट्रपति बने रहने की संभावना को खारिज कर दिया। उन्होंने वर्ष 2030 में फिर से राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के बारे में एक सवाल पर रविवार रात संवाददाताओं से कहा कि मेरी सुनिए। आप जो कह रहे हैं, वह मुझे थोड़ा हास्यास्पद लग रहा है। उन्होंने कहा कि क्या मैं 100 साल का होने तक गद्दी पर बैठे रहने जा रहा हूं? नहीं। पुतिन के खिलाफ 7 उम्मीदवार खड़े हुए थे। पुतिन ने एग्जिट पोल आने के बाद क्रेमलिन के सामने चौराहे पर समर्थकों की भीड़ को संबोधित करते हुए कहा कि मैं इस परिणाम को हमारे लोगों के विश्वास और उम्मीद के तौर पर देखता हूं। अधिकारियों ने इन चुनावों में मतदाताओं को प्रेरित करने के लिए हर हथकंडा अपनाया और 67 फीसदी से ज्यादा लोगों ने वोट डाला। केंद्रीय चुनाव आयोग के अनुसार 99.8 फीसदी मतपत्रों की गिनती हो चुकी है और पुतिन ने 76.67 फीसदी वोट हासिल किए हैं।
उनके करीबी प्रतिद्वंद्वी कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार पावेल ग्रुडिनिन को 11.79 फीसदी वोट मिले हैं। ग्रुडिनिन ने चुनावों में बेईमानी का आरोप लगाया है। पुतिन को बधाई देने वाले नेताओं में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग शामिल हैं। चीन के राष्ट्रपति ने खुद दूसरा कार्यकाल हासिल किया है और उन्होंने खुद के आजीवन देश पर शासन करने का रास्ता भी साफ कर दिया है। शी ने कहा कि चीन-रूस संबंधों को उच्च स्तर तक ले जाने, दोनों देशों में विकास को बढ़ावा देने और क्षेत्रीय तथा वैश्विक शांति को बढ़ावा देने के लिए चीन, रूस के साथ काम करने का इच्छुक है। लातिन अमेरिका में वेनेजुएला और बोलीविया में वाम सरकारों के राष्ट्रपतियों ने भी पुतिन को उनकी जबरदस्त जीत की बधाई दी। वर्ष 2000 में पहली बार राष्ट्रपति चुने जाने के बाद से पुतिन ने दुनिया में सबसे बड़े देश के कामकाज को अपने नियंत्रण में ले लिया। उन्होंने विपक्ष को दबाया और टेलीविजन पर सरकारी नियंत्रण कायम किया। (भाषा)