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Last Modified: गुरुवार, 21 दिसंबर 2017 (17:24 IST)

पसीने से ऊर्जा पैदा करेगी बायो-बैटरी

पसीने से ऊर्जा पैदा करेगी बायो-बैटरी - bio battery to be chared with human sweat
न्यू यॉर्क । बिंगम्टन यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च टीम ने एक कपड़े पर आधारित बैक्टीरिया से चार्ज होने वाली बायो-बैटरी विकसित की है। इस बैटरी को भविष्य में पहने जा सकने वाले इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों के साथ जोड़ा जा सकता है। 
 
यूनिवर्सिटी के इलेक्ट्रिकल ऐंड कंप्यूटर साइंस के असिस्टेंट प्रोफेसर सिओकें चोई के नेतृत्व में एक टीम ने कपड़े पर एक बायो बैटरी बनाई है जो कागज पर आधारित माइक्रोबियल फ्यूल सेल के बराबर अधिकतम ऊर्जा पैदा कर सकती है। इसके साथ ही बार-बार खींचे और मोड़े जाने के बाद भी ये बायो बैटरी लगातार बिजली पैदा करने की क्षमता रखती है। 
 
प्रोफेसर ने बताया कि कपड़े पर आधारित इन बायो बैटरी को भविष्य में पहने जा सकने वाले इलेक्ट्रॉनिक्स के साथ जोड़ा जा सकता है। उन्होंने कहा, 'रीयल टाइम इन्फर्मेशन कलेक्शन के लिए फ्लेक्सिबल और स्ट्रेचेबल इलैक्ट्रॉनिक्स की जरूरत है जिन्हें कई तरह के प्लैटफॉर्म पर इस्तेमाल किया जा सके। हमने सतत, नवीनीकरण और ईकोफ्रेंडली क्षमताओं के कारण फ्लेक्सिबल और स्ट्रेचेबल बायो बैटरी पर विचार किया क्योंकि यह काफी जरूरी ऊर्जा तकनीक है।' 
 
परंपरागत बैटरी और एंजाइम आधारित फ्यूल सेल की तुलना में माइक्रोबियल फ्यूल सेल पहने जा सकने वाले इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए सबसे अच्छे उर्जा स्रोत हो सकते हैं क्योंकि ऐसे सेल लंबे समय तक बायॉकैटलिस्ट के तौर पर ऊर्जा प्रदान कर सकते हैं। ऐसे सेल्स के लिए मानव शरीर से निकलने वाला पसीना फ्यूल का काम कर सकता है क्योंकि उसमें ऊर्जा पैदा करने के लिए जरूरी बैक्टीरिया मिल सकते हैं। 
 
प्रोफेसर ने कहा, 'अगर हम ऐसा मानें कि मानव शरीर में कोशिकाओं से ज्यादा बैक्टीरियल सेल्स होते हैं जो पावर रिसोर्स के तौर पर काम कर सकते हैं।' इस रिसर्च को नैशनल साइंस फाउंडेशन, बिंगम्टन यूनिवर्सिटी फाउंडेशन की मदद से किया गया है।