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Last Modified: काबुल , शुक्रवार, 5 मई 2017 (07:56 IST)

अफगानिस्तान के राष्ट्रपति ने ठुकराया पाक यात्रा का न्योता

अफगानिस्तान के राष्ट्रपति ने ठुकराया पाक यात्रा का न्योता - Afghan President Ashraf Ghani declines invitation to visit Pakistan
अफगानिस्तान दशकों से पाकिस्तान द्वारा प्रयोजित आतंकवाद से लड़ रहा है। इसी को लेकर अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने पाकिस्तान के प्रमुख नागरिक और सैन्य अधिकारियों द्वारा दिए गए इस्लामाबाद की यात्रा के निमंत्रण को अस्वीकर कर दिया है।
 
बीबीसी उर्दू की गुरुवार (4 मई) की रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रपति के उपप्रवक्ता दावा खान मिनापाल ने बताया कि गनी ने पाकिस्तान के प्रमुख अधिकारियों द्वारा इस्लामाबाद की यात्रा के लिए दिए गए निमंत्रण को नामंजूर कर दिया है। अधिकारियों से राष्ट्रपति ने कहा कि वह तब तक पाकिस्तान की यात्रा नहीं करेंगे, जब तक कि वह अफगानिस्तान में आतंकी हमलों के दोषियों को अफगानिस्तान को नहीं सौंप देता।
 
पिछले हफ्ते पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल नवीद मुख्तार और राष्ट्रीय असेम्बली के स्पीकर अयाज सादिक ने राष्ट्रपति गनी से मुलाकात की थी और उन्हें पाकिस्तान की यात्रा का निमंत्रण दिया था। मिनापाल के मुताबिक, गनी ने कहा, "मैं पाकिस्तान तब तक नहीं जाऊंगा जब तक मजार-ए-शरीफ, काबुल में अमेरिकन यूनिवर्सिटी और कंधार हमले में शामिल आतंकियों को पाकिस्तान अफगान अधिकारियों को नहीं सौंप देता और अपनी धरती पर अफगान तालिबान के खिलाफ उचित कार्रवाई नहीं करता।"
 
बीबीसी उर्दू की रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान के अधिकारियों ने कहा कि राष्ट्रपति ने आईएसआई प्रमुख से मुलाकात के दौरान अफगानिस्तान में हाल में हुए हमलों से संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत किए थे और पाकिस्तान से इनमें शामिल आतंकियों को अफगान अधिकारियों की सौंपने का आग्रह किया था। काबुल लंबे समय से अफगानिस्तान में हमलों के लिए पाकिस्तान की धरती पर पनाह लिए आतंकियों के बारे में शिकायत करता रहा है। लेकिन, पाकिस्तान इनको खारिज करता आया है।
 
पिछले हफ्ते पाकिस्तान के तीन प्रतिनिधिमंडलों ने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति से मुलाकात के लिए काबुल की यात्रा की थी। अफगानिस्तानी राष्ट्रपति द्वारा पाकिस्तान की यात्रा से इनकार करने पर पाकिस्तान के विदेश विभाग और सैन्य नेतृत्व की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। 
 
गौरतलब है कि भारत और अफगानिस्तान दोनों ही पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद से ग्रस्त हैं। हाल ही में प्रतिष्ठित विशेषज्ञों ने अमेरिकी सांसदों को बताया था कि पाकिस्तान को अफगानिस्तान का भारत के साथ संबंध अस्वीकार्य है और वह अपने पड़ोसी देशों के खिलाफ छद्म युद्ध छेड़ने के लिए हक्कानी नेटवर्क एवं तालिबान जैसे संगठनों का इस्तेमाल कर रहा है।
 
पिछले सप्ताह कांग्रेस की एक सुनवाई के दौरान इंटरनेशनल सिक्योरिटी एंड डिफेंस पॉलिसी सेंटर, रैंड कॉरपोरेशन के निदेशक सेथ जोन्स ने कहा, 'अफगानिस्तान का सबसे मजबूत क्षेत्रीय सहयोगी भारत है और यह बात पाकिस्तान को अस्वीकार्य है। भारत एक शत्रु है, जबकि अफगान सरकार भारत सरकार की एक सहयोगी है।'
 
कांग्रेस के सदस्य टेड पो के सवाल के जवाब में जोन्स ने कहा, 'जम्मू और कश्मीर जैसे स्थानों पर भारतीयों के खिलाफ और अफगानिस्तान में अपनी विदेश नीति के उद्देश्यों के आगे बढ़ाने के लिए पाकिस्तान ने छद्म युद्धों का इस्तेमाल किया है। यहां इसका अर्थ हक्कानी नेटवर्क और तालिबान जैसे संगठनों को सहयोग देने से है। इसलिए यह एक छद्म युद्ध है।'
 
आतंकवाद और परमाणु अप्रसार के मुद्दे पर बनी सदन की विदेश मामलों की उपसमिति द्वारा आयोजित एक सुनवाई में लॉन्ग वॉर जर्नल के संपादक बिल रोजियो ने कहा, 'पाकिस्तान सरकार अपनी नीति को जारी रखे हुए है। यह एक ऐसी नीति है, जो हर चीज को भारत से युद्ध के चश्मे से देखती है।' (एजेंसी)
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