World map distortion: इस दुनिया को देखने और समझने के लिए मानचित्र (World Map History) का इस्तेमाल सभी करते हैं। ऐसे में, अगर आपसे कहा जाए कि स्कूल टाइम से जिन मैप को आप देखते आ रहे हैं, उनमें से ज्यादातर गलत हैं तो आपको कैसा लगेगा?
ये सच है कि आपने स्कूल में जो वर्ल्ड मैप देखा होगा, वह असलियत से काफी अलग है। मैप पर देश, महाद्वीप और महासागर का जो आकार दिखता है, वह वास्तविक आकार नहीं है। दरअसल, विश्व मानचित्र दुनिया की सही तस्वीर नहीं दिखाता है और इसमें कई देशों की आकृति (Incorrect World Maps Facts) को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है। ऐसा क्यों होता है? आइए जानते हैं इसके पीछे की वजह।
गलत हैं ज्यादातर नक्शे
एक रिसर्च में यह बात पता चली है कि दुनिया के ज्यादातर मैप ग़लत हैं। वैज्ञानिकों का तो यहां तक कहना है कि दुनिया में ऐसा कोई नक्शा नहीं है, जो आकार, फासला, लंबाई इत्यादि के किसी भी पैमाने पर खरा उतरता हो। यानी मानचित्र कोई भी हो इसमें कुछ न कुछ गलतियां तो जरूर होती हैं।
मैप प्रोजेक्शन (Map Projection) की समस्या
आइये समझता हैं क्या है मैप प्रोजेक्शन?
मैप प्रोजेक्शन वह प्रक्रिया है जिसमें गोलाकार पृथ्वी को एक सपाट सतह पर दिखाया जाता है। चूंकि पृथ्वी गोल है, उसे एक फ्लैट पेपर पर दिखाने के लिए कुछ समझौते करने पड़ते हैं। यही वजह है कि मैप्स में देश और महाद्वीप असलियत से अलग दिखते हैं।
आमतौर पर दुनिया में 10 तरह के वर्ल्ड मैप मौजूद हैं, जिनमें से सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है मर्केटर का मैप। इसे साल 1569 में जेरार्डस मर्केटर ने बनाया था, जिसका मकसद नाविकों को सही दिशा दिखाना होता था।
बताया जाता है कि यह मैप जमीन के बड़े टुकड़ों का आकार दिखाता है, लेकिन ध्रुव के नजदीक जाते-जाते सटीकता बिगड़ने लगती है।
मौजूद है मर्केटर का विकल्प
इसके बाद गाल-पीटर्स दूसरा सबसे प्रचलित मानचित्र है, जिसे साल 1947 में जर्मन इतिहासविद और फिल्मकार आर्नो पीटर्स ने तैयार किया था। इसे मर्केटर के विकल्प के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। इसे अन्य नक्शों के मुकाबले सबसे बेहतर माना जाता है, क्योंकि यह काफी सटीक माना गया है। यही वजह है कि इसे बोस्टन स्कूल से भी मान्यता मिली हुई है, वहीं संयुक्त राष्ट्र भी इसे स्वीकार करता है। हालांकि छोटी-मोटी गलतियां तो इसमें भी मौजूद हैं।
Mercator Projection का प्रभाव
वर्ल्ड मैप के सबसे प्रसिद्ध प्रकारों में से एक Mercator Projection है। इस प्रोजेक्शन में देशों को ऐसा दिखाया जाता है कि दिशा-निर्देश सही रहें, लेकिन इसका साइड इफेक्ट यह होता है कि देश और महाद्वीप आकार में गलत दिखते हैं।
उदाहरण: ग्रीनलैंड मैप पर अफ्रीका जितना बड़ा दिखता है, जबकि असल में अफ्रीका ग्रीनलैंड से 14 गुना बड़ा है।
कौन-कौन से क्षेत्र गलत दिखते हैं?
ग्रीनलैंड: यह अफ्रीका से काफी छोटा है, लेकिन मैप पर लगभग बराबर दिखता है।
अफ्रीका: अपने असली आकार से बहुत छोटा दिखाया गया है।
रूस और कनाडा: ये दोनों देश असल में जितने बड़े हैं, उससे भी बड़े नजर आते हैं।
सही वर्ल्ड मैप का प्रयास
आज के समय में कई नई मैप प्रोजेक्शन तकनीकें विकसित हो रही हैं। इनमें से एक Gall-Peters Projection है, जो देशों के आकार को सही अनुपात में दिखाने की कोशिश करती है।
Gall-Peters Projection क्यों बेहतर है?
यह प्रोजेक्शन देशों के वास्तविक क्षेत्रफल को सही-सही दिखाने पर जोर देता है। हालांकि इसमें भी थोड़ी बहुत विकृति (distortion) होती है, लेकिन यह Mercator Projection से ज्यादा सही है।
वर्ल्ड मैप की गलतियों को समझना जरूरी है, क्योंकि ये हमारे सोचने का तरीका प्रभावित कर सकती हैं। Mercator Projection के चलते हमें कुछ देश ज्यादा बड़े और कुछ छोटे लगते हैं। लेकिन अब नई तकनीकों से यह समस्या हल हो रही है।