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Written By WD Feature Desk
Last Modified: सोमवार, 17 फ़रवरी 2025 (17:55 IST)

गेहू, जौ और प्याज से पता लगाई जाती थी प्रेगनेंसी, इतिहास में दर्ज हैं गर्भावस्था test करने के ये हैरान करने वाले तरीके

गेहू, जौ और प्याज से पता लगाई जाती थी प्रेगनेंसी,  इतिहास में दर्ज हैं गर्भावस्था test करने के ये हैरान करने वाले तरीके - The history of pregnancy tests in ancient time
The history of pregnancy tests in ancient time: आजकल प्रेग्नेंसी टेस्ट किट और आधुनिक तकनीकों के ज़रिए प्रेग्नेंसी का पता लगाना बहुत आसान हो गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि प्राचीन काल में प्रेग्नेंसी का पता लगाने के तरीके कितने अनोखे और दिलचस्प थे? इतिहास में ऐसे कई तरीके दर्ज हैं, जिनमें गेहूं, जौ और प्याज जैसी साधारण चीजों का इस्तेमाल किया जाता था। आइए जानते हैं इन हैरान करने वाले तरीकों के बारे में।

प्राचीन मिस्र में गेहूं और जौ से प्रेग्नेंसी टेस्ट
प्राचीन मिस्र में प्रेग्नेंसी का पता लगाने के लिए गेहूं और जौ का इस्तेमाल किया जाता था। यह तरीका लगभग 2500 साल पहले का है। 350 ईसा पूर्व के लगभग जब मिस्र में जब किसी महिला की प्रेग्नेंसी के बारे में पता लगाना होता था तो उसे जौ और गेहूं के बीजों पर यूरीन करने के लिए कहां जाता था। उसे ऐसा कई दिनों तक करना होता था। ऐसा करते हुए अगर कुछ दिनों में बीज अंकुरित हो जाते थे, तो माना जाता था कि महिला प्रेग्नेंट है। माना जाता है कि गर्भवती महिलाओं के यूरिन में कुछ ऐसे हॉर्मोन होते हैं, जो बीजों को अंकुरित करने में मदद करते हैं। 

लड़का होगा या लड़की, ऐसे लगाते थे पता
प्राचीन मिस्र में न सिर्फ प्रेग्नेंसी का पता लगाया जाता था, बल्कि गर्भ में पल रहे बच्चे का लिंग भी बताया जाता था। अगर गेहूं के बीज पहले अंकुरित होते थे, तो माना जाता था कि लड़की होगी, और अगर जौ के बीज पहले अंकुरित होते थे, तो माना जाता था कि लड़का होगा।

 
प्याज से भी होता था प्रेग्नेंसी टेस्ट
प्राचीन ग्रीक में प्रेग्नेंसी टेस्ट के लिए प्याज का इस्तेमाल किया जाता था। इस तरीके के अनुसार, जिस महिला की प्रेगनेंसी चैक करनी होती थी उसे  रात भर अपनी वजाइना में प्याज रखना होता था। यही सुबह महिला के मुंह से प्याज की गंध आती थी, तो माना जाता था कि वह प्रेग्नेंट नहीं है। और अगर सुबह महिला के मुंह से प्याज की गंध नहीं आती थी, तो माना जाता था कि वह प्रेग्नेंट है। इसके पीछे तर्क यह होता था कि जब कोई महिला प्रेग्नेंट होती है तो उसका गर्भाशय बंद हो जाता है और इस तरह प्याज की गंध उसके मुंह तक नहीं पहुंच पाती, लेकिन वहीं यदि कोई महिला प्रेग्नेंट नहीं होती थी तो उसका यूटरस खुला रहता था और प्याज की स्मेल इसी के जरिए होते हुए मुंह तक पहुंच जाती थी।

प्राचीन काल में प्रेग्नेंसी का पता लगाने के लिए कई और तरीके भी अपनाए जाते थे। इनमें से कुछ तरीकों में महिलाओं के बालों, आंखों और त्वचा में होने वाले बदलावों को देखकर प्रेग्नेंसी का अनुमान लगाया जाता था।
इनमें से कई तरीके अंधविश्वास पर आधारित थे और उनकी सटीकता की कोई गारंटी नहीं थी। लेकिन ये तरीके बताते हैं कि प्राचीन काल में लोग प्रेग्नेंसी के बारे में कितने उत्सुक थे और इसके लिए कैसे-कैसे तरीके अपनाते थे।

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