Tujia Tribe Wedding Ritual
Weeping Marriage Tradition: क्या आप सोच सकते हैं कि एक दुल्हन अपनी शादी की तैयारियों में बिजी रहते हुए हर रोज रोने की प्रैक्टिस करे? यह अनोखी परंपरा चीन के सिचुआन प्रांत में रहने वाली तुजिया जनजाति में देखने को मिलती है। शादी से एक महीने पहले से ही दुल्हन को रोजाना एक घंटे रोना अनिवार्य होता है। जानिए चीन की तुजिया जनजाति में शादी से पहले दुल्हन को रोने की अनोखी प्रथा क्यों निभाई जाती है। 30 दिन तक चलने वाली इस परंपरा के पीछे क्या है खास कारण?
इस परंपरा की शुरुआत कैसे हुई?
तुजिया जनजाति की यह परंपरा सदियों पुरानी है। माना जाता है कि इसकी शुरुआत 475 ईसा पूर्व से 221 ईसा पूर्व के बीच हुई थी। एक प्राचीन कहानी के अनुसार, जाओ राज्य की राजकुमारी की शादी के वक्त उनकी मां ने बेटी के बिछड़ने के गम में फूट-फूटकर रोया था। तभी से यह परंपरा हर दुल्हन के लिए अनिवार्य हो गई।
शुभ माने जाते हैं दुल्हन के आंसू
तुजिया जनजाति का मानना है कि दुल्हन के आंसू शादी को शुभ बनाते हैं। यह न केवल भावनाओं का प्रतीक है बल्कि इसे एक अच्छी शुरुआत के रूप में देखा जाता है। इस परंपरा के दौरान दुल्हन अपनी मां, दादी और परिवार की अन्य महिलाओं के साथ पारंपरिक गीत गाती है, जो उसके जीवन के बदलाव और परिवार के प्रति जुड़ाव को दर्शाते हैं।
कैसे होती है 30 दिन तक रोने की प्रैक्टिस?
शादी से एक महीने पहले शुरू होने वाली इस प्रथा में दुल्हन हर दिन एक घंटे रोती है। पहले दिन दुल्हन अकेली नहीं रोती, बल्कि उसकी मां और दादी भी उसके साथ शामिल होती हैं। धीरे-धीरे अन्य महिलाएं भी इसमें जुड़ती हैं।
आंसू ना आने पर पड़ते हैं थप्पड़ :
यदि दुल्हन आंसू न बहा पाए, तो उसकी मां उसे हल्के-फुल्के थप्पड़ मारकर रुलाने की कोशिश करती है। यह अजीब लग सकता है, लेकिन इस जनजाति के लिए यह पूरी श्रद्धा से निभाई जाने वाली परंपरा है।
रोने का महत्व और परिवार का सहयोग
यह परंपरा दुल्हन को अपने परिवार से गहरा जुड़ाव महसूस कराती है। हर दिन के साथ, यह प्रक्रिया दुल्हन को मानसिक रूप से नए जीवन के लिए तैयार करती है। यह एक तरह से भावनात्मक शुद्धिकरण की प्रक्रिया है, जहां दुल्हन अपने पुराने जीवन को अलविदा कहती है और एक नए अध्याय की ओर बढ़ती है।
तुजिया जनजाति की यह परंपरा दुनिया की अनोखी शादी परंपराओं में से एक है। यह दिखाता है कि हर संस्कृति में शादी का अपना एक महत्व और तरीका होता है। यह परंपरा दुल्हन के नए जीवन की ओर बढ़ने के साथ ही उसके परिवार के प्रति प्रेम और जुड़ाव को दर्शाती है।
अस्वीकरण (Disclaimer) : सेहत, ब्यूटी केयर, आयुर्वेद, योग, धर्म, ज्योतिष, वास्तु, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार जनरुचि को ध्यान में रखते हुए सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। इससे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।