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NSA Ajit Doval : अजीत डोभाल तेजतर्रार अधिकारी के अनसुने किस्से

NSA Ajit Doval : अजीत डोभाल तेजतर्रार अधिकारी के अनसुने किस्से - HAPPY BIRTHDAY AJIT Doval INTERESTING FACTS
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल अपने कार्यों को लेकर हमेशा सुर्खियों में बने रहते हैं। अपनी कुशलता और क्षमता से उन्होंने दुश्मनों को लोहे के चने चबाने में पीछे नहीं रहे। अपनी हैरतगंज कारनामों और कई बड़ी उपलब्धियां हासिल कर चुके अजीत डोभाल का भारत का जेम्‍स बॉन्‍ड कहा जाने लगा। 20 जनवरी 1945 में जन्‍में अजीत डोभाल अपने करियर कई ऊंचाइयां हासिल की है। इस खास दिन पर जानते हैं अजीत डोभाल के अनसुने किस्‍से -  

- अजीत डोभाल एकमात्र नौकरशाह हैं जिन्हें कीर्ति चक्र और शांतिकाल में मिलने वाले गैलेंट्री अवार्ड से नवाजा गया है। कई सिक्योरिटी कैंपन का हिस्सा रहे हैं अजीत डोभाल। डोभाल  अपनी आईपीएस अफसर की नियुक्ति के 4 साल बाद ही 1972 में इंटेलिजेंस ब्‍यूरो से जुड़ गए थे।

- अजीत डोभाल बने तो आईपीएस अफसर थे लेकिन उन्‍होंने अपने करियर में सिर्फ 7 साल पुलिस की वर्दी पहनी। वहीं अजीत डोभाल को जासूसी  का करीब 37 साल का अनुभव है। 31 मई 2014 को उन्‍होंने देश की राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का पदभार संभाला।
 
- अजीत डोभाल 33 साल तक नॉर्थ-ईस्ट, जम्मू-कश्मीर और पंजाब में खुफिया जासूस भी रहे। वह 2015 में मणिपुर में आर्मी के काफिले पर हमले के बाद म्यांमार की सीमा में घुसकर उग्रवादियों के खात्मे के लिए सर्जिकल स्ट्राइक ऑपरेशन के हेड प्लानर रहे।  

- भारतीय सेना के एक महत्वपूर्ण ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान उन्होंने एक गुप्तचर की भूमिका निभाई और भारतीय सुरक्षा बलों के लिए महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी उपलब्ध कराई जिसकी मदद से सैन्य ऑपरेशन सफल हो सका। इस दौरान उनकी भूमिका एक ऐसे पाकिस्तानी जासूस की थी, जिसने खालिस्तानियों का विश्वास जीत लिया था और उनकी तैयारियों की जानकारी मुहैया करवाई थी।

-  जब 1999 में इंडियन एयरलाइंस की उड़ान आईसी-814 को काठमांडू से हाईजैक कर लिया गया था तब उन्हें भारत की ओर से मुख्य वार्ताकार बनाया गया था। बाद में, इस फ्लाइट को कंधार ले जाया गया था और यात्रियों को बंधक बना लिया गया था।

-  कश्मीर में भी उन्होंने उल्लेखनीय काम किया था और उग्रवादी संगठनों में घुसपैठ कर ली थी। उन्होंने उग्रवादियों को ही शांति रक्षक बनाकर उग्रवाद की धारा को मोड़ दिया था। उन्होंने एक प्रमुख भारत-विरोधी उग्रवादी कूका पारे को अपना सबसे बड़ा भेदिया बना लिया था।

- अस्सी के दशक में वे उत्तर पूर्व में भी सक्रिय रहे। उस समय ललडेंगा के नेतृत्व में मिजो नेशनल फ्रंट ने हिंसा और अशांति फैला रखी थी, लेकिन तब डोभाल ने ललडेंगा के सात में छह कमांडरों का विश्वास जीत लिया था और इसका नतीजा यह हुआ था कि ललडेंगा को मजबूरी में भारत सरकार के साथ शांति विराम का विकल्प अपनाना पड़ा था।

- डोभाल ने वर्ष 1991 में खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट द्वारा अपहरण किए गए रोमानियाई राजनयिक लिविउ राडू को बचाने की सफल योजना बनाई थी।  

-  डाभोल ने पूर्वोत्तर भारत में सेना पर हुए हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक की योजना बनाई और भारतीय सेना ने सीमा पार म्यांमार में कार्रवाई कर उग्रवादियों को मार गिराया। भारतीय सेना ने म्यांमार की सेना और एनएससीएन खाप्लांग गुट के बागियों सहयोग से ऑपरेशन चलाया, जिसमें करीब 30 उग्रवादी मारे गए हैं।
 
- डोभाल ने पाकिस्तान और ब्रिटेन में राजनयिक जिम्मेदारियां भी संभालीं और फिर करीब एक दशक तक खुफिया ब्यूरो की ऑपरेशन शाखा का लीड किया।
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