मंगलवार, 19 नवंबर 2024
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Written By WD Feature Desk

जिम्मी मगिलिगन सेंटर में महिलाओं और छात्रों ने सिखा होली के लिए प्राकृतिक रंग बनाना

फूल और फल से ऐसे बना सकते हैं होली के लिए प्राकृतिक रंग, जानें इसके फायदे

Organic Holi Colours
Organic Holi Colours
जिम्मी मगिलिगन सेंटर में महिलाओं , एसजीएसआईटीएस के छात्रों और बच्चों ने होली के लिए प्राकृतिक रंग बनाने सीखे। पद्मश्री जनक पलटा मगिलिगन ने होली महोत्सव के लिए प्राकृतिक रंग बनाने के लिए अपने सप्ताह भर के प्रशिक्षण की शुरुआत स्वंय तथा केंद्रीय विद्यालय के गुरुबक्स बहाई प्रार्थना के साथ की। उन्होंने एसजीएसआईटीएस के सिविल इंजीनियरिंग के अंतिम वर्ष के छात्रों, सिल्वर स्प्रिंग और विजयनगर इंदौर की महिलाओं के दो उत्साही समूहों और सनावदिया के कई युवाओं और बच्चों सहित सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया। 
 
उन्होंने अपने पूरे जीवन के उद्देश्य के बारे में सीखने का उद्देश्य समस्त परिजनों के साथ सद्भाव से रहना और ईश्वर की सभी रचनाओं के साथ स्वस्थ संबंध बनाए रखना बताया। उन्होंने मुख्य रूप से इस बात पर प्रकाश डाला कि पूरी सृष्टि को स्वस्थ बनाए रखना केवल टिकाऊ जीवन जीने से ही संभव है और इसके बारे में जागरूकता फैलाना और स्वम् उदाहर्ण बनना है। 
 
इसके बाद उन्होंने सभी प्रतिभागियों को शामिल करके फूलों से होली प्राकृतिक रंग बनाकर दिखाया। प्रतिभागी पलाश से नारंगी-सुनहरा रंग, गुलाब की पंखुड़ियों से गुलाल, बोगेनविला, मालाबार पालक (पोई का पौधा) और सोलर ड्रायर और सोलर कुकर में संतरे के छिलकों से बने रंगो को देखकर मंत्रमुग्ध हो गए। जनक पलटा ने होली मनाने के लिए प्राकृतिक रंगों के उपयोग के महत्व पर जोर दिया, जो आनंदमय और स्वास्थ्यवर्धक है। साथ ही यह हमारी संस्कृति में प्यार प्रकृति के स्वास्थ्य को बनाए रखता है। रासायनिक रंगों को खरीदने और पर्यावरण को खराब करने और पानी बर्बाद किए बिना दोस्तों, परिवार, पड़ोस और समुदाय में अधिक सकारात्मकता लाना सबसे जरूरी है।
Organic Holi Colours
मुख्य अतिथि प्रो. राजीव संगल पूर्व निदेशक आईआईआईटी हैदराबाद और बीएचयू ने, बुराई पर अच्छाई की जीत के महत्व को दर्शाते हुए होलिका दहन की कहानी सुनाई। उन्होंने कहा कि 'हम सभी याद रखें कि अच्छाई की हमेशा जीत होती है और होली पर हर्षोल्लास के साथ रंग खेलने की प्रथा है और एक-दूसरे को अबीर-गुलाल लगाकर और गले मिलकर होली खेली जाती है। लेकिन हमारी पर्यावरण-प्रदूषित जीवनशैली में, हमारे भोजन और रोजमर्रा की जिंदगी में मौजूद रसायनों ने त्योहारों को भी प्रदूषित कर दिया है। यह आकर्षण और खुशी को छीन लेता है क्योंकि होली की वास्तविकता मिलावटी हो गई है। आयोजित इस कार्यशाला में शामिल होना मेरे लिए सौभाग्य की बात है।'
 
उन्होंने आगे कहा कि 'जनक दीदी वह प्यार से जो प्राप्त करती है उसे प्रकृति को वापस देकर अपने जीवन का उदाहरण प्रस्तुत करती है और इस कला को आत्मसात कर लिया है। और उदाहरण के तौर पर जीवनयापन किया है और प्रत्येक दिन पूरे मन से सभी को सिखाती हैं, मुझे यकीन है कि सभी प्रतिभागी सीखेंगे और दूसरों को सिखाएंगे और होली का आनंद लेंगे।' 
 
डॉ शेफाली आयुर्वेद ने हमारे स्वास्थ्य के लिए इन फूलों और जड़ी-बूटियों के उपयोग के महत्व पर भी प्रकाश डाला। जिम्मी और जनक फाउंडेशन फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट के ट्रस्टी श्री वीरेंद्र गोयल ने सभी को धन्यवाद दिया और इस तरह के विचारोत्तेजक, प्रेरणादायक अमूल्य प्रशिक्षण की सराहना की और हम कामना करते हैं कि हम सभी अपने सांस्कृतिक मूल्यों और खुशियों के साथ हैप्पी होली मनाएं। 
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