स्वामी ब्रह्मानंद लोधी निर्वाण दिवस : 10 बातें
1. 13 सितंबर, आज स्वामी ब्रह्मानंद लोधी (Swami Brahmananda) का निर्वाण दिवस है। उनका जन्म 4 दिसंबर 1894 को उत्तरप्रदेश के हमीरपुर जिले की राठ तहसील के बरहरा नामक गांव में हुआ था। कहा जाता है कि उनके बारे में संतों ने भविष्यवाणी कि थी कि यह बालक या तो राजा होगा या प्रख्यात संन्यासी।
2. स्वामी ब्रह्मानंद जी महाराज के पिता का नाम मातादीन लोधी, जो कि एक साधारण किसान परिवार थे और माता का नाम जशोदाबाई था।
3. स्वामी ब्रह्मानंद के बचपन का नाम शिवदयाल था तथा उनकी प्रारंभिक शिक्षा हमीरपुर में ही हुई तथा उनका विवाह मात्र सात वर्ष की उम्र में हमीरपुर के गोपाल महतो की पुत्री राधाबाई किया गया, तथा आगे चलकर राधाबाई ने एक पुत्र और एक पुत्री को जन्म दिया।
4. उन्होंने बचपन से ही समाज में फैले हुए अंधविश्वास, अशिक्षा जैसी निंदनीय प्रथा का दृढ़तापूर्वक विरोध किया।
5. शिवदयाल जी ने अपने घर पर ही रामायण, गीता, महाभारत, उपनिषद और अन्य कई शास्त्रों का अध्ययन किया। अत: उसी समय से उन्हें लोग 'स्वामी ब्रह्मानंद' के नाम से बुलाने लगे।
6. उनका मन आध्यात्मिकता की तरफ ज्यादा होने से उन्होंने मात्र 24 वर्ष की आयु में परिवार का मोह त्याग कर गेरुए वस्त्र धारण किए तथा हरिद्वार में भगीरथी के तट पर 'हर की पौड़ी' पर संन्यास की दीक्षा ली।
7. संन्यास ग्रहण करने के बाद शिवदयाल लोधी ने संपूर्ण भारत के तीर्थस्थलों का भ्रमण करके कई महान साधु-संतों से संपर्क में आए और इसी दौरान उन्हें 'गीता रहस्य' भी प्राप्त हुआ। संन्यास के बाद वे संसार में 'स्वामी ब्रह्मानंद' के रूप में मशहूर हुए।
8. भारत भ्रमण के दौरान उनकी भेंट भटिंडा (पंजाब) में महात्मा गांधी से हुई तथा गांधी से मिलने के बाद स्वतंत्रता आंदोलन (Indian independence movement) में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। उन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए स्वयं को समर्पित किया, कई बार जेल गए तथा आजादी के बाद देश की राजनीति में उनका काफी योगदान रहा है।
9. उन्होंने कई हिन्दी पाठशालाएं खुलवाईं तथा समाज के लोगों को शिक्षा की ओर ध्यान देने का आहवान किया। और गौ वध बंदी के लिए आंदोलन चलाकर अनेक सामाजिक भी कार्य किए।
10. ऐसे महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, संत व्यक्तित्व के धनी स्वामी ब्रह्मानंद लोधी जी 13 सितंबर 1984 को ब्रह्मलीन (Nirvana diwas) हो गए।