International Youth Day 2023: हर साल 12 अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का अर्थ है कि "सरकार युवाओं के मुद्दों और उनकी बातों पर ध्यान आकर्षित करें। भारत में युवा दिवस पर स्वामी विवेकानंद के विचारों और कार्यों को लेकर समारोह आयोजित किए जाते हैं, क्योंकि विवेकानंदजी को यूथ आईकॉन माना जाता है। आज भी उनके विचार युवाओं के बीच प्रासंगिक हैं।
पूरे विश्व में भारत को युवाओं का देश कहा जाता है। भारत में 35 वर्ष की आयु तक के करीब 65 करोड़ युवा होंगे। यानी हमारे देश में अथाह श्रम शक्ति के साथ ही ऊर्जा है। इस श्राम शक्ति और उर्जा को यदि सही दिशा देने वाले प्रेरक लोग नहीं होंगे तो देश भी दिशाहीन होकर भटक जाएगा। ऐसे में स्वामी विवेकादंन के विचार आज भी प्रासंगिक हैं।
मात्र 100 युवा बदल सकते हैं देश की दशा और दिशा : चरित्रवान, संस्कारवान और शिक्षित युवा ही देश की दशा बदलकर नई दिशा दे सकता है। स्वामी विवेकानंद का कहना था कि मुझ देश के मात्र 10 युवा मिल जाए तो दुनिया को बदला जा सकता है। मात्र 100 युवा मिलकर ही देश को सही मार्ग पर ले जा सकते हैं। युवाओं में ही होती है क्रांति को जन्म देने की शक्ति, परंतु युवाओं का विचारवान और विवेकवान होना जरूरी है।
स्वामी विवेकानंद के विचार आज भी हैं प्रासंगिक : गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर ने एक बार कहा था, यदि आप भारत को जानना चाहते हैं तो विवेकानंद को पढ़िए। लेकिन यह सिर्फ जानने भर की बात नहीं है वरन कई जानकार लोग मानते हैं कि इस देश की समस्याओं के लिहाज से भी विवेकानंद के विचार उनके जाने के एक सदी बाद भी प्रासंगिक बने हुए हैं- न सिर्फ भारत के नीति निर्धारकों के लिए बल्कि विकास की पश्चिमी अवधारणा का अंधानुकरण करते उसके समाज के लिए भी जोकि आज भी उनके विचारों की उपेक्षा ही करता है।
स्वामी विवेकनंद ने देश की गरीबी, कृषि, शिक्षा, धार्मिक समस्या, महिलाओं की समस्या, राजनीतिक अस्थिरता, युवाओं की शक्ति, पर्यावरण आदि कई विषयों पर पर अपने विचार व्यक्त किए हैं जिन्हें आज के लोगों को पढ़ना चाहिए। उनके विचारों में सभी तरह की समस्या का समाधन छुपा हुआ है। ऐसे में उनके विचार आज भी प्रासंगिक बने हुए हैं।
स्वामी विवेकानंद क्यों प्रसिद्ध हैं?
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स्वामी विवेकानंद चार बातों के लिए प्रसिद्ध हैं, पहला यह कि वे श्री रामकृष्ण परमहंस के शिष्य हैं।
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दूसरा कि उन्होंने शिकागो में बहुत ही प्रसिद्ध भाषण दिया था।
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तीसरा कि उन्होंने श्रीराम कृष्ण मिशन और मठ की स्थापना की थी।
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चौथा कि उनके विचार युवाओं को प्रभावित करते हैं।
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वे आधुनिक भारत के युवा थे जिन्होंने अध्यात्म और मानव जीवन का सहसम्बन्ध बताया।
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हिन्दू धर्म को उन्होंने पूरे विश्व से परिचय करवाया।
स्वामी विवेकानंद की प्रेरक कहानी
यह बात तब की है जब विवेकानंद अमेरिका में थे। स्वामी जी ने के बार पुल पर खड़े कुछ लड़कों को नदी में अंडे के छिलके पर पत्थर मारने की कोशिश करते हुए देखा। वे लड़के बुरी तरह से असफल हो रहे थे और कोई भी इनमे से सफलता हासिल नहीं कर पा रहा था। कुछ देर तक लड़कों को देखने के बाद स्वामी जी लड़कों के पास पहुंचे और उन्होंने इस खेल में शामिल होने को कहा।
इसके बाद स्वामी जी ने अंडे के छिलके पर कई बार निशाने लगाए और हर बार उनका निशाना एक दम सटीक होता था। लड़के स्वामी जी की सटीकता को देखकर हैरान हो गए। तभी एक लड़के ने स्वामी जी से इस युक्ति के बारे में पुछा। स्वामी जी बहुत शांति से उत्तर देते हुए कहा कि 'आप जो भी कर रहे हैं, उसमे अपना पूरा दिमाग लगाएं।'
आज भी प्रसासंगिक हैं स्वामी विवेकानंद के ये अमूल्य कोट्स
1. उठो मेरे शेरों, इस भ्रम को मिटा दो कि तुम निर्बल हो, तुम एक अमर आत्मा हो, स्वच्छंद जीव हो, धन्य हो, सनातन हो, तुम तत्व नहीं हो, न ही शरीर हो, तत्व तुम्हारा सेवक है, तुम तत्व के सेवक नहीं हों।
2. शक्ति जीवन है तो निर्बलता मृत्यु हैं। विस्तार जीवन है और संकुचन मृत्यु हैं। प्रेम जीवन है तो द्वेष मृत्यु हैं।
3. किसी की निंदा न करें। कभी मत सोचिए कि आत्मा के लिए कुछ असंभव है। ऐसा सोचना सबसे बड़ा विधर्म है। अगर कोई पाप है, तो वो यही है; ये कहना कि 'तुम निर्बल हो या अन्य निर्बल हैं।
4. उठो, जागो और तब तक नहीं रुको, जब तक कि लक्ष्य न प्राप्त हो जाए।
5. अगर आप मदद के लिए हाथ बढ़ा सकते हैं, तो जरूर बढ़ाएं। अगर नहीं बढ़ा सकते हैं, तो अपने हाथ जोड़िए, अपने भाइयों को आशीर्वाद दीजिए और उन्हें उनके मार्ग पर जाने दीजिए।
6. स्वामी विवेकानंद के अनुसार खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप है।
7. सत्य को हजार तरीकों से बताया जा सकता है, फिर भी हर एक सत्य ही होगा।
8. जिस समय जिस काम के लिए प्रतिज्ञा करो, ठीक उसी समय पर उसे करना ही चाहिए, नहीं तो लोगों का विश्वास उठ जाता है।
9. जिस दिन आपके सामने कोई समस्या न आए, आप यकीन कर सकते हैं कि आप गलत रास्ते पर सफर कर रहे हैं।
10. जीवन का रास्ता बना बनाया नहीं मिलता, इसे स्वयं को बनाना पड़ता है। जिसने जैसा मार्ग बनाया, उसे वैसी ही मंजिल मिलती है।