शुक्रवार, 18 जुलाई 2025
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. »
  3. धर्म-दर्शन
  4. »
  5. कुम्भ मेला
  6. महाकुंभ की प्रशासनिक व्यवस्था
Written By ND

महाकुंभ की प्रशासनिक व्यवस्था

- महेश पाण्डे

महाकुम्भ
SUNDAY MAGAZINE
21वीं सदी के इस पहले महाकुंभ को लेकर उत्तराखंड राज्य सरकार ने 500 करोड़ रुपए खर्च करने का दावा किया है। सरकार का दावा है कि इस बार जितने स्थायी निर्माण कार्य उसने करावाए हैं उतने आज तक के कुंभ में नहीं किए गए। इसके बावजूद कुंभ को सकुशल संपन्न कराना प्रदेश शासन के लिए चुनौती है। कई बार कुंभ के दौरान मची भगदड़ और साधुओं के बीच खूनी संघर्ष ने इस प्रमुख धार्मिक आयोजन को खराब रंग प्रदान किया है।

पिछले अर्धकुंभ में ही पुलिस और व्यापारियों के बीच टकराव हो गया था। जिसमें एक व्यक्ति मारा गया। भीड़ को नियंत्रित करना चिकित्सा, यातायात, परिवहन एवं कानून व्यवस्था बहाल रखना एक चुनौती बन जाता है। इस सबके लिए राज्य सरकार ने इस कुंभ पर्व की व्यवस्थाओं पर कई पहरे भी बैठा रखे हैं। मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुभाष कुमार एवं अपर सचिव निधिमणि त्रिपाठी को इन कार्यों पर नजर रखने को कहा गया है।

यह महाकुंभ सत्तारूढ़ भाजपा के लिए एक चुनौती के रूप में देखा जा रहा है। आतंकवाद के खतरे से यह विशेष पर्व भी मुक्त नहीं है। अनुभवहीन इस शिशु राज्य में इस तरह की यह पहली चुनौती होने से राज्यवासी और खासतौर पर हरिद्वार के लोग सहमे हुए हैं। राज्य सरकार के पास कुंभ जैसे पर्वों के आयोजन का अनुभव रखने वाले अधिकारियों की कमी है। सुभाष कुमार एवं कुंभ के डीआईजी बनाए गए आलोक शर्मा जरूर कुंभ के आयोजन का अनुभव रखते हैं।

SUNDAY MAGAZINE
डीआईजी आलोक कुमार शर्मा का कहना है कि पुलिस बल को महाकुंभ के लिए खासतौर पर प्रशिक्षित किया गया है। अब तक ढाई हजार पुलिसकर्मियों के अलावा पीएससी के दो हजार जवान भी मेला ड्यूटी के लिए प्रशिक्षित किए गए हैं। इन सबको बम निरोधी उपाय भी सिखाए गए हैं। मेला प्रमुख के अनुसार जिन लोगों को इस महाकुंभ में ड्यूटी दी गई है उन्हें हरिद्वार बुलाकर यहाँ के मेला क्षेत्र सहित ज्वालापुर, कनखल, भूपतवाला, भेल एवं सिडकुल का भ्रमण का करवाया जा रहा है। इसके अलावा इनको पंडा, व्यापारी, नेता और मीडिया के लोगों से मिलवाया जा रहा है ताकि इनके बीच संवाद की अच्छी स्थिति बने और एक-दूसरे की अपेक्षाओं का सही पता हो।

कुंभ की अवधि सरकारी अधिसूचना के अनुसार 1 जनवरी से शुरू हो गई है जो 30 अप्रैल तक जारी रहेगी। इस अवधि में हरिद्वार, देहरादून, टिहरी, पौड़ी जिले के मेला क्षेत्र को मिलाकार एक कुंभ जनपद भी बनाया गया है। जिसकी कमान मेलाधिकारी आनंदवर्द्धन के हाथों में होगी। पुलिस प्रमुख के रूप में डीआईजी आलोक कुमार कार्य देखेंगे।

इस पर्व के लिए 15 जनवरी तक ढाई हजार पुलिसकर्मी मेला क्षेत्र में तैनात हो जाएँगे। 15 फरवरी तक यह 3,750 और मार्च तक 5,000 पुलिसकर्मी यहाँ सिविल वर्दी में ही तैनात कर दिए जाएँगे। इसके अलावा 4,000 पीएससी जवान, 60 कंपनियों अर्द्धसैनिक बल समेत लगभग 20,000 पुलिसकर्मी यहाँ तैनात हो जाएँगे। इसके अलावा जल पुलिस, घुड़सवार पुलिस, स्निफर डॉग्स स्क्वाड, वायरलेस ऑपरेटर सहित अग्निशमन, बीएसएफ, आरएएफ, आरपीएफ आदि के जवानों के साथ होमगार्ड भी यहाँ तैनात रखे जाएँगे।

तस्वीर का दूसरा पहलू यह है कि एक तरफ यह महाकुंभ सुरक्षा की दृष्टि से सुरक्षा बलों से तो लैस हो जाएगा इस दौरान राज्य के अन्य जिले पुलिस की कमी से जूझेंगे। देहरादून का एक-चौथाई तो ऊधमसिंह नगर एवं नैनीताल का आधा पुलिस फोर्स यहाँ तैनात रहेगा।

कुंभ के मद्देनजर तीर्थयात्रियों एवं उनके वाहनों के लिए एक लाख वाहनों की पार्किंग की व्यवस्था का भी विकास हुआ है। कनखल के लक्ष्यद्वीप में 40 हजार कारों की पार्किंग की व्यवस्था की गई है। 25-25 हजार वाहन खड़े करने के लिए नजीबाबाद मार्ग पर गौरी शंकर द्वीप और ज्वालापुर के धीरवाला क्षेत्र में व्यवस्था की गई है।

देहरादून व ऋषिकेश से आने वाले मार्ग के वाहनों के लिए सप्तसरोवर, रायवाला व मोतीचूर में 10-10 हजार वाहन क्षमता की पार्किंग बनाई गई है। यह सभी पार्किंग स्थल हरिद्वार के मुख्य स्नान स्थल हर की पौड़ी से कमोबेश छह से सात किलोमीटर दूर हैं। ऐसे में शहर में 80 सिटी बसें चलाई जाएंगी। इसके बावजूद स्नान के लिए श्रद्धालुओं को तीन से चार किलोमीटर पैदल चलना होगा।

हरिद्वार शहर के निवासियों के लिए प्रशासन कोशिशों में जुटा है कि इस मेले के अनुरूप उन्हें कुछ हिदायतें दी जाएँ ताकि उन्हें सामान्य जीवन में कष्ट न हो लेकिन इतना तो तय है कि कुंभ मेले की अवधि के दौरान करीब एक माह तक हरिद्वारवासियों को कड़े अनुशासन में बंधकर रहना पड़ेगा। सुरक्षा को चाक-चौबंद रखने के लिए प्रदेश सरकार ने सत्रह करोड़ रुपए की व्यवस्था की है।

राज्य सरकार ने कुंभ के लिए कुल 273 कार्य स्वीकृत किए हैं। इनमें से 204 कार्य स्थायी प्रवृत्ति के हैं। इनमें से 153 कार्य पूर्ण कर लिए गए हैं जबकि 42 कार्यों को मेला अवधि यानी 30 अप्रैल तक पूरा किया जाना है। दो कार्य न्यायालयीय अड़चन से रुके हुए हैं तो एक में सुप्रीम कोर्ट से दिशा-निर्देश लेने की शर्त है।

कुंभ में इन स्थायी निर्माण कार्यों की गुणवत्ता को लेकर कई विवाद खड़े हुए हैं जिनको फिलहाल नजरअंदाज किया गया है। पिछले दिनों डामकोठी के पास बन रहे पुल का लिंटर ढह गया। इससे इस कार्य की गुणवत्ता पर सवाल उठे पर धीरे-धीरे बात आई-गई हो गई। इसी तरह हर की पौड़ी क्षेत्र में तारों का जाल बिलकुल पुराना पड़ जाने से दुर्घटना की आशंका बनी हुई है। इस जालों को नए बदले जाने का मामला अब तक लंबित है। मेलाधिकारी के अनुसार इसे शीघ्र दुरुस्त करा लिया जाएगा।