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Written By WD

आम के घरेलू नुस्खे

सेहत डेस्क

आम
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कच्चा आम भूनकर या पानी में उबालकर 'पना' बनाया जाता है, जो गरमी में लू से बचाव करता है। भूने हुए कच्चे आम के गूदा को पैरों के तलवों पर लगाने से भी लू से राहत मिलती है।

* कच्चे आम के गुण : कच्चे आम को कैरी कहते हैं। यह कसैली खट्टी, रुचिकारी भी है। कच्चे आम रूक्ष और त्रिदोषकारक होते हैं।

* अमचूर के गुण : कच्चे आम के ऊपर का छिलका उतारकर उसको सूखा लेते हैं। इसी को अमचूर कहते हैं। यह स्वाद में खट्टा और रुचिकारक है। गुणों में दस्तावर और कफ वातजित है। इसको दाल या तरकारी में डालते हैं तथा गहने और बर्तन भी इससे साफ करते हैं।

* पका हुआ आम : कुछ मीठा, स्वादिष्ट, पौष्टिक, चिकना, बलदायक, वातनाशक, हृदय को बलदायक होता है। शरीर की कांति को बढ़ाने वाला, शीतल, क्षुधावर्धक तथा पित्त को साम्यावस्था में लाने वाला है।

* आम रस : आम का रस निचुड़ा हुआ- बलकारी, वायुनाशक, दस्तावर, हृदय को तृप्त करने वाला और कफवर्धक है। सूर्य किरणों से सूखाकर तैयार किया हुआ रस हल्का होता है। यह पित्तनाशक होता है तथा प्यास और जी मचलाने की शिकायत दूर करता है। यह सूखकर पपड़ी के समान हो जाता है। यह रुधिर विकारनाशक, देर से पचने वाला मधुर और शीतल होता है।

* दुग्ध के साथ आम : इसका सेवन अत्यंत लाभदायक है। यह स्वादिष्ट और रुचिवर्धक होने के साथ-साथ वातपित्त कफनाशक, बलवर्धक, पौष्टिक और देह के वर्ण को निखारने वाला है।

* आम की गुठली : आम की गुठली के गूदे में बहुत से पौषक तत्व सम्मिलित हैं। आयुर्वेद शास्त्र में इसका खूब उपयोग किया गया है।

कुछ सामान्य रोगों का आम से इलाज इस प्रकार किया जा सकता है-

गले के रोग : आम के पत्तों को जलाकर गले के अंदर धूनी देने से गले के अनेक रोग दूर होते हैं। जी मिचलाना, पेट की जलन : आम की मिंगी के 5 ग्राम चूर्ण को दही के साथ मिलाकर सेवन करने से जी मिचलाना और पेट की जलन दूर होती है।

बिच्छू, ततैया, मकड़ी का विष : अमचूर को पानी में पीसकर विषैले स्थान पर लगाएँ। इससे विष और फफोले में शीघ्र आराम होता है।

फुंसियाँ : आम की छाल पानी में घिसकर लगाएँ।