• Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. होली
  4. barsana ki holi

राधा के बरसाने की होली के अद्भुत रंग, देश-विदेश के लोग आते हैं देखने

राधा के बरसाने की होली के अद्भुत रंग, देश-विदेश के लोग आते हैं देखने | barsana ki holi
फाग उत्सव के बाद होलिका दहन और फिर धुलेंडी अर्थात धूलिवंदन मनाया जाता है। इस दिन लोग एक-दूसरे से गले मिलते हैं। मिठाइयां बांटते हैं। भांग का सेवन करते हैं। होलिका दहन के ठीक पांचवें दिन रंग पंचमी मनाई जाती है। इस दिन प्रत्येक व्यक्ति रंगों से सराबोर हो जाता है। देश के प्रत्येक प्रदेश में इस त्योहार को अलग अलग तरीके से मनाया जाता है। अर्थात कोई होलिका दहन के दिन होली मनाता है, कोई धुलेंडी के दिन तो कोई रंगपंचमी के दिन। हलांकि देशभर में इस त्योहार की धूम होलिका दहन के दिन से ही शुरू हो जाती है।
 
 
उत्तरप्रदेश और बिहार में होली की हुड़दंग का जोरदार मजा रहता है। इसे वहां फाग या फागु पूर्णिमा कहते हैं, लेकिन विश्वविख्यात है बसराने की होली। इस होली को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। यहां कई तरह से होली खेलते हैं, रंग लगाकर, डांडिया खेलकर, लट्ठमार होली आदि। आओ जानते हैं बरसाने की होली की हुड़दंग।
 
 
ब्रज मंडल में ही बरसाना आता है। ब्रज में रंगों के त्योहार होली की शुरुआत वसंत पंचमी से प्रारंभ हो जाती है। इसी दिन होली का डांडा गढ़ जाता है। महाशिवरात्रि के दिन श्रीजी मंदिर में राधारानी को 56 भोग का प्रसाद लगता है। अष्टमी के दिन नंदगांव व बरसाने का एक-एक व्यक्ति गांव जाकर होली खेलने का निमंत्रण देता है।
 
 
नवमी के दिन जोरदार तरीके से होली की हुड़दंग मचती है। नंदगांव के पुरुष नाचते-गाते छह किलोमीटर दूर बरसाने पहुंचते हैं। इनका पहला पड़ाव पीली पोखर पर होता है। इसके बाद सभी राधारानी मंदिर के दर्शन करने के बाद लट्ठमार होली खेलने के लिए रंगीली गली चौक में जमा होते हैं। दशमी के दिन इसी प्रकार की होली नंदगाँव में होती है।
 
 
बरसाने की होली 
राधा-कृष्ण के वार्तालाप पर आधारित बरसाने में इसी दिन होली खेलने के साथ-साथ वहां का लोकगीत 'होरी' गाया जाता है। फाल्गुन मास की नवमी से ही पूरा ब्रज रंगीला हो जाता है, लेकिन विश्वविख्‍यात बरसाने की लट्ठमार होली जिसे होरी कहा जाता है, इसकी धूम तो देखने लायक ही रहती है। देश-विदेश से लोग इसे देखने आते हैं। माना जाता है कि इसकी शुरुआत 16वीं शताब्दी में हुई थी।
 
 
इस दिन कृष्ण के गांव नंदगांव के पुरुष बरसाने में स्थित राधा के मंदिर पर झंडा फहराने की कोशिश करते हैं लेकिन बरसाने की महिलाएं एकजुट होकर उन्हें लट्ठ से खदेड़ने का प्रयास करती हैं। इस दौरान पुरुषों को किसी भी प्रकार के प्रतिरोध की आज्ञा नहीं होती। वे महिलाओं पर केवल गुलाल छिड़ककर उन्हें चकमा देकर झंडा फहराने का प्रयास करते हैं। अगर वे पकड़े जाते हैं तो उनकी जमकर पिटाई होती है और उन्हें महिलाओं के कपड़े पहनाकर श्रृंगार इत्यादि करके सामूहिक रूप से नचाया जाता है।