कैसे मनाएं होली, धुलेंडी से रंगपंचमी तक..., जानिए 13 विशेष बातें...
होली के त्योहार पर मुख्यतः पांच दिन (प्रतिपदा से पंचमी तक) चलने वाले इस त्योहार का सूत्र वाक्य है- प्रेम, उल्लास, एकता और भाईचारा।
* होलिका दहन के पश्चात् प्रतिपदा को अर्थात् धुलेंडी को भगवान का पूजन कर माता-पिता से भी आशीर्वाद लेना चाहिए।
* रंग, अबीर, गुलाल लेकर सभी दोस्तों को एक जगह मिलना चाहिए।
* ढोलक अथवा मृदंग की व्यवस्था करना चाहिए।
* फिर टोली बनाकर गाते-बजाते चल समारोह निकाला जाना चाहिए।
* इस दौरान मित्रों, पड़ोसियों, रिश्तेदारों को रंग-गुलाल लगाकर उन्हें भी समारोह में शामिल करना चाहिए।
* चल समारोह के दौरान चुटकुलों, हास्य गीतों, पैरोडियों, अजीब स्वांग धारण कर ठिठोली करते हुए आनंद और उल्लास का वातावरण बनाया जाता है।
* शाम को पुनः स्नान कर भगवान के दर्शन कर माता-पिता का आशीर्वाद लेना चाहिए।
* द्वितीया, तृतीया और चतुर्थी एक-दूसरे को होली की शुभकामनाएं देने तथा मिठाई खाने-खिलाने के दिन होते हैं।
* पंचमी अर्थात् रंगपंचमी को फिर वही किया जाता है, जैसा कि प्रतिपदा अर्थात् धुलेंडी को किया था।
* कुछ क्षेत्रों में रंगपंचमी का त्योहार ज्यादा जोर-शोर से मनाया जाता है। इस दिन सभी लोग मिलकर समूह 'गेर' बनाते हैं और फिर हुड़दंग मचाते हुए चल समारोह के रूप में गेर निकालते हैं।
* इन दिनों में दोस्तों या बराबरी वालों को हास्य से भरपूर टाइटल देकर मन गुदगुदाया जा सकता है।
* इन पांच दिनों में दुश्मन के घर जाकर, उससे गले मिलकर, गिले-शिकवे दूर कर उनके साथ भी होली खेली जाती है और उनके लिए भी मंगल कामनाएं की जाती हैं।
* बदलते दौर में मोबाइल पर शुभकामना संदेश, होली के चटपटे चुटकुले और होली की रंगबिरंगी फोटो भेजने का चलन बहुत बढ़ा है। इस दौरान यह ध्यान रखने योग्य बात है कि होली के इस पावन त्योहार को हंसी-खुशी मनाएं। मोबाइल पर होली से संबंधित संदेश आदि भेजते समय यह भी ध्यान रखें कि आपके कारण किसी का मन को कभी भी दुख न पहुंचे।
होली के इस पावन पर्व की आपको ढेरों बधाइयां और शुभकामनाएं।