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Written By WD Feature Desk
Last Modified: शनिवार, 25 जनवरी 2025 (14:43 IST)

प्रयागराज कुंभ मेले में स्नान करने जा रहे हैं तो इन 5 जगहों के दर्शन अवश्य करें

प्रयागराज कुंभ मेले में स्नान करने जा रहे हैं तो इन 5 जगहों के दर्शन अवश्य करें - prayag pilgrimage site
Mahakumbh Mela 2025: 13 जनवरी से 26 फरवरी तक प्रयागराज में महाकुंभ मेला चलेगा। यदि आप भी प्रयाग कुंभ मेले में स्नान करने गए हैं तो प्राचीन नगरी प्रयागराज में आप इन 5 जगहों के दर्शन करना न भूलें। कुंभ स्नान के बाद इन जगहों के दर्शन करने से लाभ होगा और पुण्य की प्राप्ति होगी।ALSO READ: मौनी अमावस्या के बारे में 5 खास बातें, कुंभ स्नान और दान से मिलता है मोक्ष
 
1. अक्षयवट (अमर वृक्ष):
जैसा की इसका नाम ही है अक्षय। अक्षय का अर्थ होता है जिसका कभी क्षय न हो, जिसे कभी नष्ट न किया जा सके। इसीलिए इस वृक्ष को अक्षय वट कहते हैं। पुरात्व विज्ञान के वैज्ञानिक शोध के अनुसार इस वृक्ष की रासायनिक उम्र 3250 ईसा पूर्व की बताई जाती है अर्थात 3250+2025=5278 वर्ष का यह वृक्ष है। इस वृक्ष को मनोरथ वृक्ष भी कहते हैं अर्थात मोक्ष देने वाला या मनोकामना पूर्ण करने वाला। यह पवित्र वृक्ष अक्षय वट किले के अंदर स्थित है। इस वृक्ष के दर्शन करें और इसके पौराणिक महत्व को समझें।
 
2. हनुमान मंदिर (लेटे हुए हनुमान जी):
इस हनुमान मंदिर और मूर्ति का संबंध त्रेतायुग से है और वह भी जब हनुमानजी अपने गुरु सूर्यदेव से अपनी शिक्षा-दीक्षा पूरी करके सूर्यदेव के कहने पर वे अयोध्या जा रहे थे परंतु रास्ते में गंगा तट पर रात हो गई और उन्हें वहीं सोना पड़ा। चूंकि वे गंगा को लांघ नहीं सकते थे इसलिए यहां विश्राम करने के बाद वे अगले दिन गए। यहाँ भगवान हनुमान की विशाल लेटी हुई मूर्ति है। मंदिर में पूजा-अर्चना करें और इसकी अनोखी मूर्ति का दर्शन करें।
3. प्रयाग शक्तिपीठ:
संगम तट पर माता सती के हाथ की अंगुली गिरी थी। इसकी शक्ति है ललिता और भैरव को भव कहते हैं। प्रयागराज में तीन मंदिरों को शक्तिपीठ माना जाता है और तीनों ही मंदिर प्रयाग शक्तिपीठ की शक्ति 'ललिता' के हैं। माना जाता है कि माता की अंगुलियां 'अक्षयवट', 'मीरापुर' और 'अलोपी' स्थानों पर गिरी थीं। अक्षयवट किले में 'कल्याणी-ललिता देवी मंदिर' के समीप ही 'ललितेश्वर महादेव' का भी मंदिर है। मत्स्यपुराण में वर्णित 108 शक्तिपीठों में यहां की देवी का नाम 'ललिता' दिया गया है।ALSO READ: Maha Kumbh 2025: महाकुंभ में जा रहे हैं तो जानिए कि किस साधु के कैंप में जाने से क्या मिलेगा लाभ
 
4. संगम तट :
गंगा, यमुना, सरस्वती तीन भव्य नदियों का संगम यहां पर होता है इसलिए भारत के प्रमुख पवित्र स्थानों में प्रयागराज प्रमुख है। यहां संगम तट पर कई देवी, देवताओं सहित कई ऋषि मुनियों के चरण पड़े हैं। इसलिए यहां के दर्शन करना सबसे महत्वपूर्ण है। 
 
5. भारद्वाज आश्रम: 
भारद्वाज आश्रम प्रयाग का महत्वपूर्ण मंदिर है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम वन जाते हुए भारद्वाज आश्रम में आए थे। भारद्वाज मुनि ने राम का बड़े प्रेम से स्वागत किया था और उन्हें चित्रकूट जाने का मार्ग बताया था। राम को चित्रकूट से वापस बुलाने के लिए भरत प्रयाग आए, तो उन्होंने ऋषि भारद्वाज के दर्शन किए। इस आश्रम में भारद्वाज ऋषि ने एक शिवलिंग को स्थापित किया था। यह शिव विग्रह आज भी पूजा जाता है। इन्हें भारद्वाजेश्वर शिव कहा जाता है।