हिन्दू परंपराओं और मान्यताओं के अनुसार स्त्रियों द्वारा सफेद कपड़ों का शुभ कामों में उपयोग नहीं किया जाता। कुछ लोग इसे रूढ़ि मानते हैं तो कुछ इसके पीछे विशेष कारणों का उल्लेख करते हैं। हालांकि यह परंपरा कब से और कैसे शुरू हुई? यह कोई नहीं जानता।
शास्त्रों के अनुसार पति की मृत्यु के नौवें दिन उसे दुनियाभर के रंगों को त्यागकर सफेद साड़ी पहननी होती है, वह किसी भी प्रकार के आभूषण एवं श्रृंगार नहीं कर सकती। स्त्री को उसके पति के निधन के कुछ सालों बाद तक केवल सफेद वस्त्र ही पहनने होते हैं और उसके बाद यदि वह रंग बदलना चाहे तो बेहद हल्के रंग के वस्त्र पहन सकती है। हालांकि कोई स्त्री पुनर्विवाह का निर्णय लेती है, तो इसके लिए वह स्त्रतंत्र है।