Vishwakarma Jayanti 2025: हिन्दू कैलेंडर के अनुसार ब्रह्मांड के रचयिता भगवान विश्वकर्मा की जयंती इस वर्ष सोमवार, 10 फरवरी 2025 को मनाई जा रही है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार माघ शुक्ल त्रयोदशी तिथि को विश्वकर्मा जी के पूजन का विशेष महत्व है। भगवान विश्वकर्मा जी को देवताओं का शिल्पी माना गया है। उन्होंने ब्रह्मांड की हर वस्तु की रचना की है। उन्होंने कई नगर, अस्त्र शस्त्र सहित कई बड़े मंदिरों और महलों का निर्माण भी किया है।
पूजा का महत्व: मान्यतानुसार यदि पूरे विधि-विधानपूर्वक इनकी पूजा की जाए तो जीवन के तमाम कष्ट समाप्त होते हैं, व्यापार में आने वाली कठिनाइयां दूर होकर घर में हमेशा धन-संपदा का वास रहता है।
पूजा का शुभ मुहूर्त:
अभिजित मुहूर्त: दोपहर 12:13 से 12:58 तक।
विजय मुहूर्त : दोपहर 02:26 से 03:10 तक।
अमृत काल: दोपहर 03:36 से शाम 05:12 तक।
गोधूलि मुहूर्त : शाम 06:05 से 06:31 तक।
भगवान विश्वकर्मा पूजा विधि- Vishwakarma Jayanti Puja Vidhi
- सबसे पहले सुबह जल्दी उठ कर स्नान करें।
- पूजा स्थान को साफ करके प्रतिमा रखें।
- हाथ में पुष्म, और अक्षत लेकर ध्यान लगाएं।
- भगवान को भोग लगाएं।
- विधिपूर्वक आरती उतारें।
- अपने औजारों और यंत्र की पूजा कर हवन करें।
- मंत्र ॐ आधार शक्तपे नम:, ॐ कूमयि नम:, ॐ अनंतम नम:, ॐ पृथिव्यै नम:।
पुराणों में विश्वकर्मा के पांच अवतारों का वर्णन मिलता है- 1.विराट विश्वकर्मा- सृष्टि के रचयिता, 2.धर्मवंशी विश्वकर्मा- महान् शिल्प विज्ञान विधाता और प्रभात पुत्र, 3.अंगिरावंशी विश्वकर्मा- आदि विज्ञान विधाता वसु पुत्र, 4.सुधन्वा विश्वकर्म- महान् शिल्पाचार्य विज्ञान जन्मदाता अथवी ऋषि के पौत्र और 5.भृंगुवंशी विश्वकर्मा- उत्कृष्ट शिल्प विज्ञानाचार्य (शुक्राचार्य के पौत्र)।
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